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कर्नाटक में बहुमत की सरकार बनेगी या फिर त्रिशंकु विधान सभा होगी ?

Karnataka News: कल बुधवार को कर्नाटक का चुनाव है। देश दुनिया की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हुई है। मौजूदा बीजेपी सरकार किसी भी सूरत में सत्ता में बने रहना चाहती है। बीजेपी की परेशानी यह भी है कि अगर इस बार कर्नाटक उसके साथ से निकल गया तो दक्षिण की उसकी राजनीति कमजोर पड़ जाएगी। ऐसे में बीजेपी की कोशियश यही है कि हर हाल में उसकी सरकर बची रही। उधर कांग्रेस की पानी परेशानी है। कर्नाटक में उसकी सरकार नहीं बनी तो विपक्षी एकता पर उसका असर पड़ेगा और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। बता दें कि कर्नाटक चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत के साथ प्रचार किया है और कई मुद्दों को उठाकर जनता को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है।

लेकिन अब सवाल है कि इस बार बहुमत वाली सरकार बनेगी यह फिर त्रिशंकु विधान सभा होगा। ये बातें इसलिए भी कही जा रही है कि कर्नाटक के चुनाव में मुकाबला केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही नहीं है। मुकाबले में जेडीएस भी है और कई अन्य पार्टियां भी। बड़ी संख्या में आप पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में खड़े हैं। इसके साथ ही जनार्दन रेड्डी की पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं। एनसीपी भी चुनाव लड़ रही है और जदयू के साथ ही कई और पार्टियां भी चुनाव लड़ रही है। दलों के इस दलदल में अब यह कहा जा रहा है कि अगर जनता ने कोई खेल किया और अपनी पसंद के मुताबिक वोट डालते रहे तो चुनाव परिणाम भी बदल सकते हैं।

कर्नाटक में 2004 से अभी तक किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। केवल 2013 में कांग्रेस को बहुमत मिला था। उसे 122 सीटें मिली थी। लेकिन इससे पहले किसी भी चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला। 2018 के चुनाव में भी किसी को बहुमत नहीं मिला था लेकिन बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कर्नाटक का सच यही है कि हर पार्टी के पस अपना एक निश्चित वोट बैंक है। सबके लोग अपने मन लायक पार्टी को वोट देते हैं चाहे परिणाम जो भी आये। यही वजह है कि अब सवाल यह उठने लगा है कि जब सभी पार्टी के अपने वोट बैंक हैं तो फिर बहुमत मिलेगा की नहीं। इस बार का चुनाव कई मायने में अलग है। कई छोटी पार्टियां भी मैदान में है।

जेडीएस की अलग राजनीति है और करीब 20 तक उसके वोट बैंक रहे हैं। अगर जेडीएस के सभी वोट उसको मिल जाते हैं तो उसकी सीटें 30 से भी ज्यादा हो सकती है। और ऐसा हुआ तो फिर किसी भी पार्टी को बहुमत कैसे मिल सकता है ? फिर कभी बीजेपी के तारणहार रहे बेल्लारी के जनार्दन रेड्डी बंधुओं की अपनी राजनीति है। इस बार यह बंधू कयलन राज्य प्रगति पक्ष पार्टी के जरिये अलग राजनीति कर रही है। चुनाव में उसके उम्मीदवार भी हैं। देखना ये है कि इस बंधू को कितनी सीटें आती है और यह पार्टी किसका वोट काटती है। उधर बसपा भी 120 सीटों पर लड़ रही है। उसका दावा है कि प्रदेश के दलित वोट उसके पाले में जायेंगे। केजरीवाल की पार्टी भी 168 सीटों पर लड़ रही है। जाहिर है उसके पास भी कुछ सीटें जा सकती है। और बंटवारा इसी तरह से हुआ तो फिर बहुमत किसे और कैसे मिलेगा यही बड़ा सवाल है ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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