मणिपुर में फिर भड़की हिंसा ,कुकी उग्रवादियों ने किया कमांडों की हत्या !
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Manipur Violence News! मणिपुर का क्या होगा कोई नहीं जानता। राज्य सरकार यही कहती है कि सबकुछ नियंत्रण में है लेकिन सच्चाई यही है कि मणिपुर में कुछ भी ठीक नहीं है। पिछले साल से जो हिंसा का दौर शुरू हुआ था वह आज भी कायम है। हिंसा थोड़े समय के लिए कूकती है और फिर विकराल रूप धारण कर लेती है। अब तो उग्रवादियों ने पुलिस और कमांडों पर भी हमले शुरू कर दिए हैं। ताजा हमले में एक कमांडों की मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक ये हमले कुकी उग्रवादियों ने किये हैं। इस घटना के बाद मणिपुर की हालत और भी गंभीर हो गई है।
मणिपुर में अब नया हमला कुकी और सुरक्षाबलों के बीच शुरू हुआ है। टेंगनोपाल और मोरेह जिले की हालत काफी गंभीर बतायी जा रही है। इन जिलों में सुरक्षा बालों की चौकियों को निशाना बनाया जा रहा है। खबर के मुताबिक कुकी उग्रवादी न सिर्फ यहाँ सुरक्षाबलों की छुअकियों पर हमले और बमबारी कर रहे है बल्कि गोलियां भी चला रहे हैं। उग्रवादियों की गोलीबारी में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई है।
राजधानी इम्फाल से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक राज्य के कई जिलों में तनावपूर्ण स्थिति है और अब सुरक्षा कर्मी भी बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है ताकि उग्रवादियों को पकड़ा जा सके। लेकिन घरों में छुपे उग्रवादी मौके की तलाश में रहते हुए जब भी मौका मिलता है हमला कर रहे हैं। जानकारी मिल रही है कि बड़ी संख्या में उग्रवादी राज्य के भीतर अभी भी बैठे हुए हैं और सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं।
हाल ही में जिस सुरक्षा अधिकारी की मौत हुई है उसके बाद कई जिलों में उग्रवादियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान भी चल रहे हैं। खबर के मुताबिक अभी तक दो लोगों की गिरफ्तारी की गई है। गिरफ्तार इन लोगों में एक बीजेपी का नेता है जबकि दूसरा एक पूर्व सैनिक है। पुलिस ने कहा है कि गिरफ्तार बीजेपी नेता का नाम हेमखोलाल है। इसकी उम्र 36 वर्ष बताई जा रही है यह बीजेपी का जिला कोषाध्यक्ष है।
मणिपुर में आगे क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता लेकिन सच तो यही है कि यहाँ की सरकार पूरी तरफ से हिंसा को रोकने में विफल रही है। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह कहने को तो बहुत कुछ कह रहे हैं लेकिन सच यही है कि मणिपुर की हिंसा रुक नहीं रही है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि बड़ी संख्या में लोग शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं और बच्चो के साथ ही महिलाओं की हालत बेहद ख़राब बताई जाती है। जो बच्चे रहत शिविर में रह रहे हैं उनकी पढ़ाई लिखाई भी बंद हो चुकी है। उधर मैतेई और कुकी के बीच अभी भी खाई बढ़ती जा रही है। दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के साथ अब रहना नहीं चाहते। ऐसे में सरकार आगे क्या कुछ करती है इसे देखने की जरूरत है।