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Muslim Connect Rss : आखिर RSS से क्यों बातचीत करना चाहते हैं मुस्लिम नेता, जानिये खबर के पीछे का क्या है सच !

इस मुलाकात में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व जमात ए इस्लामी के नेता मोहतशिम खान ने किया, बैठक में जमीयत उलेमा हिंद के दोनों पक्ष मौजूद रहे. जिनमें शाहिद सिद्दीकी और एसवाई कुरैशी, नियाज फारूकी, फजलुर्रहमान कासमी, शामिल थे.

Explained Why Muslim Meet RSS : कुछ मुस्लिम संगठनों का राय ​​है कि RSS से बातचीत जारी रहनी चाहिए और दोनों समुदायों में विवादित मुद्दों का बहुत जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. सूत्रों की माने तो ‘जमात ए इस्लामी हिंद’ के एक प्रतिनिधि ने RSS नेताओं से मुलाकात  करते हुए कहा कि, “हमारी राय है कि RSS से बातचीत जारी रहनी चाहिए क्योंकि सरकार पर उनका काफी प्रभाव है.

‘हम युद्ध में नहीं हैं’

अपने बयान में उन्होंने कहा: “हम युद्ध में नहीं हैं इसलिए हमें आशा है कि बातचीत का परिणाम पॉजिटिव होगा”  एक और मुस्लिम नेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया वो एक बार इन नेताओं से मिले थे, उन्होंने कहा कि गोहत्या के मुद्दे पर समुदाय को डेडिकेटेड रिस्पांस देना चाहिए क्योंकि, मुस्लिम मामलों में शामिल नहीं हैं. और यह अब एक व्यापारिक मुद्दा बन गया है. उन्होंने कहा कि लखनऊ में रविवार को होने वाली ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ (All India Muslim Personal Law Board) की बैठक में  भी इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है. विख्यात मुस्लिम नागरिकों और धार्मिक संगठनों ने 14 जनवरी को दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग (Former LG Najeeb Jung) के आवास पर RSS नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) से मुलाकात की और सभी समुदायों के बीच सद्भाव के मुद्दे पर चर्चा की.

मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ मीटिंग करने के पीछे क्या मकसद है?

इस मुलाकात में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व जमात ए इस्लामी के नेता मोहतशिम खान ने किया, बैठक में जमीयत उलेमा हिंद के दोनों पक्ष मौजूद रहे. जिनमें शाहिद सिद्दीकी और एसवाई कुरैशी, नियाज फारूकी, फजलुर्रहमान कासमी, शामिल थे. नजीब जंग के साथ एएमयू के प्रतिष्ठित व्यक्ति और अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) के प्रतिनिधि सलमान चिश्ती (Salman Chishti) भी बैठक में थे.सूत्रों की माने तो मुस्लिम पक्ष खुले तौर पर आरएसएस (RSS) और उसके सहयोगियों से लिंचिंग के खिलाफ अपील चाहता था और यह भी चाहता था कि सरकार टीवी पर नफरत फैलाने वाले प्रचार को रोके. इसमें आरएसएस (RSS) का प्रतिनिधित्व इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar), कृष्ण गोपाल और राम लाल ने किया था.

‘काफिर शब्द’ का इस्तेमाल सार्वजनिक रूप से नहीं

इस दौरान आरएसएस (RSS) ने गोहत्या और भारत में बहुमत के लिए काफिर शब्द के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें, ताकि इस मुद्दे पर एक समान कानून बनना चाहिए उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम अपने समुदाय से सार्वजनिक रूप से ‘काफिर शब्द’ का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे.प्रतिभागियों में से एक शाहिद सिद्दीकी ने न्यूज वॉच इंडिया से बात करते हुए बताया, “बातचीत जारी रखने पर आम सहमति थी जिसे दोनों पक्ष स्वीकार करते हैं ताकि सद्भाव बना रहे”

मुस्लिम नेता ने अरशद मदनी सभी की थी मुलाकात

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक से पहले नजीब जंग और कई मुस्लिम नेता ने अरशद मदनी से मुलाकात की थी, जब मदनी ने जोर देकर कहा था कि बयान को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि समुदाय को एक आश्वासन मिल सके. मुसलमानों ने RSS प्रमुख मोहन भागवत का मुद्दा उठाया. वहां पढ़ा गया जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि संघ नेता के साक्षात्कार को संदर्भ से बाहर उद्धृत किया गया था.

काशी और मथुरा के मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं

मुस्लिम पक्ष ने काशी और मथुरा के मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि विवादों को अदालत में सुलझाया जाना चाहिए जबकि RSS के नेताओं ने कहा कि उन्हें उन्हें सौंप दिया जाना चाहिए .22 अगस्त को संघ के नेताओं की मुस्लिम नेताओं से मुलाकात के बाद से यह बातचीत चल रही है.

Prachi Chaudhary

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