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Nagaland news: राजनीति के कई रंग, नागालैंड में एनसीपी बनी सरकार की सहयोगी !

nagaland news: ठगिनी राजनीति के कई रंग हैं। शरद पवार केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता की बात भी कर रहे हैं लेकिन नागालैंड में बीजेपी -एनडीपीपी सरकार की सहयोगी बनने की हामी भी भर रहे हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अब नागालैंड में अपनी पार्टी को सरकार के साथ जाने की इजाजत दे दिए हैं। नागालैंड चुनाव में इस बार एनसीपी को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई है।


शरद पवार ने नागालैंड पार्टी नेतृत्व को कह दिया है कि पार्टी सरकार वाले गठबंधन के साथ रहेगी। हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि एनसीपी वहाँ नेफ्यू रियो की सरकार में शामिल होगी या फिर बाहर से समर्थन करेगी। लेकिन अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि पवार के इस खेल के मायने क्या है ? केंद्र और महाराष्ट्र की राजनीति पर इसके असर पड़ेंगे ,इस बात की संभावना बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र में खासकर एनसीपी ,कांग्रेस और उद्धव की पार्टी शिवसेना गठबंधन में है और एमवीए के जरिये बीजेपी पर हमलावर भी।


हालिया नागलैंड चुनाव में एनसीपी को सात सीटों पर जीत हुई। पार्टी के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। लेकिन जिस तरह की राजनीति उत्तर पूर्व के राज्यों में चलती रही है उससे पार्टी के स्थानीय नेता पार्टी में टूट या पाला बदलने वाली परिपाटी से डर गए हैं। पार्टी के प्रदेश नेताओं ने शरद पवार से इस बात की जानकारी दी कि बीजेपी जिस रास्ते पर चलती है और किसी भी पार्टी को तोड़ने का काम करती है ऐसे में अगर पार्टी के सरकार के साथ नहीं किया गया तो कुछ भी हो सकता है। स्थानीय नेताओं ने शरद पवार को यह भी बताया कि यहाँ कोई भी पार्टी और विधायक विपक्ष में नहीं रहना चाहता ऐसे में बेहतर यही होगा कि हम भी नेफ्यू रियो सरकार का समर्थन करे।

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हालांकि पवार चाहते थे कि उनकी पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाएगी और इसकी तयारी भी उन्होंने कर ली थी। एनसीपी विधायक दल की बैठक चार मार्च को हुई जिसमे एरर पिक्टो शोहे को विधायक दल का नेता चुना गया जबकि पी लोंगोने को उपनेता चुना गया। नमरी नचांग को मुख्य सचेतक और वाई मोहनबेमो को सचेतक जबकि तोइहो एप्थो को पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति को हरी झंडी पवार से भी मिल गई। लेकिन बाद में पार्टी विधायकों में जो बात हुई और बातों में जो अंतर देखे गए इसकी जानकारी पार्टी राज्य अध्यक्ष ने शरद पवार के सामने रखी। पवार ने दो दिनों तक इस पर मंथन किया और अंत में पार्टी के भविष्य को देखते हुए नागालैंड इकाई को सरकार की सहयोगी बनने की स्वीकृति दे दी। इस सहमति के बाद अब पार्टी के सभी विधायक खुश हैं और कहा जा कि अभी भले ही एनसीपी सरकार में शामिल न हो लेकिन भविष्य में वह सरकार में भी शामिल हो सकती है।


अब एनसीपी की इस राजनीति का केंद्र की राजनीति पर क्या असर होगा देखना होगा। कांग्रेस और शिवसेना इस पर क्या प्रतिक्रया देती है इस पर सबकी निगाहें है। उधर बीजेपी के लोग इस खेल का स्वागत कर रहे हैं। बीजेपी ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। लेकिन जानकार यह मान रहे हैं कि एनसीपी इस खेल से दो बातें साबित कर रही है। एक बात तो यह है कि कहने के लिए नागालैंड में उसकी भी सरकार कही जा सकती है और दूसरी बात जांच एजेंसियों के खतरे से बचने की कहानी भी इस खेल में शामिल है।

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Team News Watch India

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