NCERT News: राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद् यानी एनसीईआरटी ने दसवीं की सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है। इस बदलाव में सबसे बड़ी बात यह है कि अब दसवीं के छात्र लोकतंत्र का पाठ नहीं पढ़ सकेंगे। कहा गया है कि सिलेबस को कम करने के लिए यह सब किया गया है। अब इसकी काफी आलोचना की जा रही है। बता दे कि इसी साल के शुरुआत में दसवीं की विज्ञानं पाठ्यक्रम से विकास के संधानत यानी थियरी ऑफ़ इवोल्यूशन को हटा दिया गया था जिसकी काफी आलोचना हुई थी।
लेकिन मामला केवल लोकतंत्र का पाठ ही हटाने का नहीं है। इसी दसवीं कक्षा की केमिस्ट्री पुस्तक से आवर्त सारणी को भी हटा दिया गया है। इसके साथ ही लोकतंत्र और ऊर्जा के श्रोतो से जुड़े पाठ को भी ख़त्म कर दिया गया है। एनसीईआरटी ने कहा है कि छात्रों पर बोझ को काम करने के लिए तर्कसंगता के एक हिस्से के रूप में विषयो पर पूरा अध्याय अब हटा दिया गया है। साल के शुरुआत में विकास के सिद्धांत को हटाया गया था जिसकी काफी आलोचना की गई थी।
विज्ञान की पुस्तकों से जिस पाठों को हटाया गया है उनमें पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा के स्रोत का सिद्धांत भी शामिल है। इसके साथ ही लोकतंत्र और लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की चुनौतियों को भी हटा दिया गया है। एनसीईआरटी का कहना है कि कोरोना महामारी को देखते हुए छात्रों पर बोझ करना जरुरी है। वर्तमान संदर्भ में अप्रासंगिक सामग्री को हटाने की बात की गई है।
कहा गया है कि जिन पाथो को किताब से हटाया गया है छात्र अभी भी उन विषयों की जानकारी ले सकते हैं लेकिन यह तभी संभव होगा जब छात्र कक्षा 11 और 12 में प्रासंगिक विषय चुनते हैं। भारत में कक्षा दस अंतिम वर्ष है जिसमे विज्ञानं अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। केवल वे छात्र जो शिक्षा के अंतिम दो वर्षों में रसायन वञण का अध्ययन करने का चुनाव करते हैं। वे आवर्त सारणी के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
एनसीईआरटी लगातार पाठ्यक्रमों में बदलाव के चलते विवादों में रहा है। इतिहास और राजनीति विज्ञान के कई पाठों को हटाने के बाद सरकार की काफी आलोचना की गई है। इसी सप्ताह एनसीईआरटी की तरफ से कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में उन विवादित अंशों को हटाने की जानकारी दी गई है जिसमे श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को कथित तौर पर खालिस्तान की मांग से जोड़ा गया था। वही वीर सावरकर के जीवन से सम्बंधित चैपटर पाठ्यक्रम किये गए हैं। इस तरह की राजनीति से भले ही कुछ लोगों को शांति मिलती हो लेकिन इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही कई राज्यों की पाठ्यपुस्तकों में भी बदलाव किया जा रहे हैं लेकिन एनसीईआरटी द्वारा किये गए बदलाव का बड़ा असर चाह्त्रो की पढ़ाई पर पड़ता है।