Discussion on no-confidence motion: आज प्रधानमंत्री मोदी की सरकार संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। हालांकि मोदी सरकार के खिलाफ इससे पहले भी इसी तरह के अविश्वास प्रस्ताव लाये गए थे और सरकार के बहुमत के सामने प्रस्ताव गिर गया था। आज भी वैसा होना है। संसद में बहुमत के 272 वोटों की जरूरत है जबकि एनडीए के पास 303 सांसद हैं। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार को कोई खतरा नहीं है। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी संसद में आज विपक्ष के तामम सवालों के जवाब देंगे और फिर वोटिंग होगी।
बता दें कि कल बुधवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा को यह जानकारी दे दी थी कि प्रधानमंत्री मोदी आज संसद में विपक्ष का जवाब देंगे। बता दें कि मोदी सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर मामले को लेकर विपक्ष ने लाया हुआ है। विपक्ष भी जानता है कि अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को कोई हानि नहीं होनी है। विपक्ष केवल यही चाहता है कि मणिपुर पर सरकार रखें। विपक्ष का यह भी कहना है कि अगर प्रधानमंत्री पहले ही जवाब देते तो अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत ही नहीं होती। विपक्ष बार-बार प्रधानमंत्री को संसद में आने और जवाब देने को कह रहा था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जवाब देने नहीं पहंचे थे। लेकिन आज वे विपक्ष को जवाब देंगे।
बता दें कि संविधान में उल्लेखित नियमों के मुताबिक लोकसभा का कोई भी संसद जिसके पास 50 सहयोगियों का सपोर्ट है, किसी भी समय सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसके बाद प्रस्ताव पर चर्चा होती है। प्रस्ताव के समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियों को उजागर करते हैं और ट्रेजरी बेंच उनके सवालों पर प्रतिक्रिया देते हैं। फिर मतदान होता है। यदि मतदान सफल होता है ताे सरकार को कार्यालय खाली करने को मजबूर होना पड़ता है। अब तक अविश्वास प्रस्ताव की वजह से दो बार सरकार गिर चुकी है।
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सरकार को इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई डर नहीं है। पिछले 2019 के चुनाव में लोकसभा की 543 में से 331 सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी। बीजेपी को 303 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है। विपक्षी पार्टी इंडिया के पास अभी मात्र 144 सांसद ही है। लोकसभा में गैर बीजेपी और गैर इंडिया गठबंधन के पास 70 सांसद हैं। ऐसे में सरकार को इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई हानि नहीं होनी है।
राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछे थे। पहला सवाल था कि प्रधानमंत्री अभी तक मणिपुर क्यों नहीं गए ?विपक्षी दलों के सांसद गए, गृह मंत्री गए लेकिन देश के पीएम क्यों नहीं गए? राहुल गांधी का दूसरा सवाल था कि मणिपुर पर बोलने में प्रधानमंत्री को 80 दिन क्यों लग गए? और बोले भी मात्र 30 सेकंड! उन्होंने वहां शांति की भी अपील नहीं की और तीसरा सवाल था कि मणिपुर के सीएम को अभी तक बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?
उम्मीद की जा रही है कि आज प्रधानमंत्री इन सभी सवालों के जवाब देंगे और साथ ही विपक्षी एकता पर भी वार करेंगे।