israel and america relations Update’s: जो दोस्ती सालों पुरानी थी, जो बिना शर्त के हर वक्त एक दूसरे के साथ खड़े रहते थे। अमेरिका और इज़राइल की इस गहरी दोस्ती में आखिरकार दरार पड़ गई और दरार भी ऐसी पड़ी है कि पूरी दुनिया में इस खटास का नज़ारा देखा। हमास के हमले के कुछ ही दिन बाद इज़राइल पहुंच जाने वाले बाइडेन ने अपने ही दोस्त इज़राइल को इतना बड़ा धोखा दिया जो नेतन्याहू अब सालों साल नहीं भूलेंग। जब पूरी दुनिया इज़राइल के खिलाफ एकजुट थी.. और उसे ज़रूरत थी अपने दोस्त अमेरिका के वीटो की.. तभी बाइडेन ने मदद से इंकार कर दिया।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाज़ा में चल रहे युद्ध के लिए तुरंत विराम लगाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है.. इस प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि सभी बंधकों को बिना शर्त की रिहाई दी जाए। इसमें अहम बात ये है कि वोटिंग के दौरान अमेरिका ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल नहीं किया.. इतना ही नहीं अमेरिका वोटिंग के दौरान मौजूद भी नहीं रहा..ऐसे में प्रस्ताव 14-0 से पारित हो गया। ये प्रस्ताव पारित होने से इज़राइल को बड़ा झटका लगा है.. इससे पहले जब जब ऐसे प्रस्ताव आते रहे। अमेरिका ने हमेशा अपने वीटो का इस्तेमाल किया. लेकिन इस बार अमेरिका ने ऐसा ना करने का फैसला किया। इस बात से इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू नाराज़ हो गए और उन्होंने अपना अमेरिकी दौरा भी रद्द कर दिया.. जहां वाशिंगटन में उन्हें एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल बैठक में शामिल होना था।
दरअसल इजरायली प्रतिनिधिमंडल को व्हाइट हाउस के अधिकारियों के सामने गाज़ा के राफा में संभावित जमीनी हमले की योजना पेश करनी थी.. जहां 10 लाख से ज़्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों ने युद्ध से बचने के लिए शरण मांगी है। लेकिन अब युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव पर अमेरिका के वीटो नहीं करने से इजराइल के प्रधानमंत्री न खुश हैं इसलिए उन्होंने आने से इनकार कर दिया.. हालांकि उनकी जगह रक्षा मंत्री योव गैलेंट ज़रूर वाशिंगटन पहुंचे। तन्याहू ने प्रतिनिधिमंडल के साथ इस बैठक को रद्द कर दिया है.. क्या ऐसी कोई संभावना है कि अमेरिका इज़राइल को राफा पर अपना रुख बदलने के लिए मना सके? क्या सम्भावना है?
वहीं इज़राइल में रह रहे लोगों ने भी इस युद्धविराम के प्रस्ताव का विरोध किया है… कहा ये भी जा रहा है कि हाल के दिनों में अमेरिका और इजराइल के संबंधों में खटास भी आई है.. क्योंकि कुछ दिन पहले बाइडेन ने एक फोन कॉल के दौरान राफा में इजरायली जमीनी हमले के लिए किसी भी संभावित समर्थन से इनकार कर दिया था और अब संघर्ष विराम के प्रस्ताव का विरोध न करना भी इज़रायल को खटक रहा है।
इज़रायल का मकसद साफ है, हर हाल में हमास का सफाया। भले इसमें कितने ही मासूम लोगों की जान क्यों न चली जाए.. वहीं अब अमेरिका को लग रहा है कि राफा में ग्राउंड ऑपरेशन एक बड़ी गलती साबित हो सकती है इसलिए वो इससे हाथ पीछे खींच रहा है। वहीं बीते कुछ दिनों से अमेरिकी विदेश मंत्री लगातार मिडिल ईस्ट का दौरा कर रहे हैं और गाज़ा में बंधकों की रिहाई पर प्रमुखता से बातचीत कर रहे हैं और उन्होंने युद्धविराम का भी समर्थन किया है.. जिससे ये उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका अब गाज़ा में युद्ध नहीं चाहता है.. फिलहाल देखने वाली बात ये होगी कि UNSC की तरफ से पारित प्रस्ताव कब तक लागू होता है