ट्रेंडिंगधर्म-कर्मलाइफस्टाइल

आज का विचार: चाणक्य ने बताया है कि इन सारे कारणों से नष्ट होती है जमा पूंजी, कारण जानकर आपकी भी खुल जाएंगी आंखे

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य को उनकी नीतियों के लिए जाना जाता है वह दूसरों से अलग सोंच रखने वाले व बहुत गुणवान और विद्वान थे। अपनी कुशलता को प्रबल करने के लिए चाणक्य ने पूरी निष्ठा से गहन अध्ययन किया था। (आज का विचार)

वह शिक्षक होने के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। चाणक्य ने अपने ज्ञान की सहायता से लोगों की सेवा की। चाणक्य ने अपने कौशल और बुद्धि के बल से जीवन में सफलता प्राप्त करने की कई नीतियां बनाई थीं। चाणक्य द्वारा बनाई गई उन सभी नीतियों का संग्रह चाणक्य नीति शास्त्र में है।

ये भी पढ़ें- Navratri Day 9th Day: महानवमी कल, नवरात्रि के 9वें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंदिरों में उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भारी भीड़  

चाणक्य की ये बातें आज के दौर में भी प्रासंगिक प्रतीत होती हैं। यही कारण है कि इतने वर्षों के बाद भी चाणक्य नीति की लोकप्रियता कायम है। चाणक्य नीति व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। चाणक्य नीति कहती है कि धन यानि पूंजी को सुरक्षित रखना है इन कार्यों को कभी नहीं करना चाहिए-

आय से अधिक धन का व्यय नहीं करना चाहिए

चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति आय से अधिक धन खर्च करते हैं, वे सदैव परेशान रहते हैं। धन को खर्च करते समय व्यक्ति को गंभीर रहना चाहिए। (आज का विचार)

गलत आदतों से बचें

चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को धनवान बनना है तो गलत आदतों से दूर रहना चाहिए। गलत आदतें अपनाने से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं और छोड़कर चली जाती हैं।(आज का विचार)

धन की रक्षा की करें

चाणक्य नीति कहती है कि धन परिश्रम से प्राप्त करना चाहिए। इस धन की रक्षा गंभीरता से करनी चाहिए। धन की रक्षा न करने पर धन चला जाता है।

आचार्य चाणक्य ने जीवन में दुख और कष्ट देने वाले बंधनों के बारे में जिक्र किया है. चाणक्य कहते हैं कि इंसार अपना पूरा जीवन दुख-कष्ट देने वाले बंधनों को दूर करने के प्रयास में झोंक देता है, लेकिन फिर वो इन चीजों से पार नहीं पाता है. (आज का विचार)

बन्धाय विषयाऽऽसक्तं मुक्त्यै निर्विषयं मनः।

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः ॥

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने मन को समस्त बंधनों और दुखों का एक मात्र कारण बताया है. वे कहते हैं कि मोक्ष-प्राप्ति के लिए ही भगवान जीवात्मा को मानव जीवन प्रदान करते हैं, लेकिन इंसान जीवन पाकर काम, क्रोध, लोभ, मद और मोह आदि में लिप्त हो जाता है. इससे इंसान अपने वास्तविक लक्ष्य से भटक जाता है. चाणक्य ने इन सबका एकमात्र कारण मन को माना है.(आज का विचार)

editorial

editor

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button