LokSabha Election 2024 Update: साल भर में करीब आधा दर्जन पार्टियों का कांग्रेस में विलय हो गया !
LokSabha Election 2024 Update: स्वार्थ की राजनीति का बोलबाला है। इस राजनीति में कोई किसी का नहीं है। दलीय राजनीति में एक दल दूसरे के विरोधी हो सकते हैं और होते भी हैं लेकिन सभी दलों में जो नेता काम करते दिखते हैं उनमें से अधिकतर का कोई चरित्र नहीं होता। जिधर जीत की सम्भावना दिखती है नेता उधर ही जाने में अपनी भलाई समझते हैं। यह पहले भी होता था और खूब हो रहा है। यह आगे भी चलता रहेगा।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बहुत से नेता बीजेपी के साथ चले गए। आज भी चले जा रहे हैं। हर दिन कांग्रेस के नेता बीजेपी में जाते दिख रहे हैं वैसे नेता भी जा रहे हैं जो कांग्रेस में रहकर खूब माल कमाते रहे लेकिन अब जब कांग्रेस में उनकी पूछ कमजोर हो गई तो वे बीजेपी का दमन पकड़ने में देरी नहीं करते। पिछले दस सालो के इतिहास को देखे तो कांग्रेस से करीब सैकड़ों नेताओं ने बीजेपी के साथ जाने का काम किया है।
सैकड़ो विधायक और सांसद बीजेपी में गए हैं बीजेपी ही क्यों कई अन्य पार्टियों के साथ भी वे गए हैं। लेकिन पिछले साल भर के राजनीतिक इतिहास को देखे तो करीब आधा दर्जन पार्टियां कांग्रेस में विलय कर गई है। इसके साथ ही कई वैसे नेता जो अलग तरह की स्वतंत्र राजनीति करते रहे हैं वे भी कांग्रेस के साथ जुड़े हैं ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ कांग्रेस के नेता ही बीजेपी और अन्य पार्टियों के साथ जुड़ रहे हैं।
जिन पार्टियों का कांग्रेस में विलय हुआ है उसके बारे में जानने की जरूरत है। तेलंगाना की वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हुआ। यह पार्टी आंध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी चला रही थी। लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान इस पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। असर ये हुआ कि तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बन गई। अब कांग्रेस की नजर आंध्रप्रदेश पर है। कांग्रेस ने शर्मिला को अब आंध्रा का पार्टी अध्यक्ष बना दिया है।
शर्मिला वहां अब जगन रेड्डी को भारी चुनौती दे रही है। आंध्रा में इस बार विधान सभा चुनाव भी हो रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि इस बार जगन की कुर्सी खतरे में हैं। शर्मिला कडप्पा की सीट से चुनाव लड़ रही है। अब आंध्रा प्रदेश में त्रिकोणीय लड़ाई हो गई है। इस बार कांग्रेस मजबूती से आगे बढ़ रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को एक फीसदी वोट भी नहीं मिले थे। यहाँ बीजेपी और टीडीपी गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।
बिहार में पप्पू यादव की पार्टी जनाधिकार पार्टी भी कांग्रेस में विलय कर गई है। हालांकि यह बात और है कि पप्पू यादव कांग्रेस की टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ने को तैयार थे और राहुल गाँधी भी ऐसा ही चाहते थे लेकिन राजद की तरफ से अड़ंगा लगाया गया और राजद ने अपना उम्मीदवार वहां से उतार दिया। लेकिन पप्पू यादव रुकने वाले नहीं थे। इस बार वे कांग्रेस का झंडा हाथ में थामकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पप्पू यादव का सीमांचल की सीटों पर बेहतर प्रभाव माना जाता है और उम्मीद की जा रही है कि इस बार सीमांचल में कांग्रेस की इस्थिति बेहतर हो सकती है।
इसी तरह पंजाब की पटियाला सीट पर 2014 में महारानी परनीत कौर को हराने वाले धर्मवीर गांधी ने अपनी पार्टी नवां पंजाब पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया है। कांग्रेस ने उनको पटियाला सीट से उम्मीदवार बनाया है। वे पहले आम आदमी पार्टी में थे।
उधर जम्मू कश्मीर में डोगरा स्वाभिमान संगठन नाम की पार्टी भी कांग्रेस में चली गई है। उस पार्टी का विलय हो गया है। इस पार्टी को आगे बढ़ रहे थे पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह। कॉंग्रेस्सने लाल सिंह को उधमपुर से उम्मीदवार बनाया है।
पिछले साल अक्टूबर में यूपी में भारतीय विकास कांग्रेस पार्टी का भी कांग्रेस में विलय हो गया। पर्त्य प्रमुख विनोद राय अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में चले गए। इसी तरह पिछले जून महीने में नागरिक एकता पार्टी किआ भी कोंग्रेसस्मे विलय हो गया। बिहार की विकासशील स्वराज पार्टी का भी कांग्रेस में विलय हो गया। इसी तरह 26 साल पुराने संगठन आल इंडिया कश्मीरी हिन्दू फोरम भी कांग्रेस में विलय कर गया है।