Karnataka Election News: कर्नाटक चुनाव प्रचार आज शांत हो जायेगा। कांग्रेस -बीजेपी और जेडीएस को कर्नाटक की जनता अगले दस तारीख को कितना समर्थन देती है यह देखना बाकी है। तीनो दलों की अपनी कहानी है और अपने दावे भी। चुनाव प्रचार में सभी ने जनता को लुभाया और भरमाया भी। अब जनता किसको अपना आशीर्वाद देती है या फिर शाप देती है इसे देखना बाकी है। 13 तारीख को परिणाम आएंगे। जनता जनार्दन क जो ंअंतिम निर्णय होगा होगा वही सच होगा।
इस बीच और भी खेल हो रहे हैं। बीजेपी कई जरूर राज्यों की तयारी कर रही है। जिन राज्यों में आगामी महीनो में चुनाव होने हैं वहां बीजेपी अभी से ही गोटी फिट कर रही है। दस तारीख को राजस्थान में पीएम मोदी क बड़ा कार्यक्रम रखा गया है। कहा जा रहा है कि राजस्थन की धरती से पीएम मोदी कर्नाटक को साध सकते हैं। वैसे राजस्थान में भी कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है। बीजेपी यहां सत्ता पर काबिज होने को बेक़रारा है जबकि कांग्रेस फिर से सत्ता में लौटने की कहानी बना रही है। कांग्रेस के सामने सचिन का विद्रोही तेवर है तो बीजेपी के भीतर वसुंधरा की अपनी कहानी ही। उपद्रव हर जगह है लेकिन सब साधने की बात है। हर परिस्थिति को साध कर जो बाजो मर ले वही विजेता कहलाता है। बाकी कहानी गौण हो जाती है।
इसी बीच नीतीश कुमार की कहानी भी आगे बढ़ रही है। यह बड़ी कहानी है। भविष्य की कहानी। विपक्षी दलों को जोड़ने की कहानी। कहा जा रहा है कि कि सभी विपक्षी दल एक जायेंगे तो बीजेपी को चुनौती दी जा सकती है। नीतीश कुमार इस खेल को आगे बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने की नेताओं से मुलाकात की है। सबने भरोसा दिया है। एकता की बात कही है। लेकिन एकता के बीच अनेकता की कहानी भी चल रही है। सब एक दूसरे के खिलाफ बोल भी रहे हैं और एकता की माला भी जप रहे हैं।
ठगिनी राजनीति का यह खेल बड़ा निराला है। लेकिन रजनीति अब ऐसे ही चलती है। कोई किसी का नहीं है और वक्त आने पर सब एक दूसरे के करीब हैं। कोई जाति दुश्मनी तो होती नहीं है। हार -जीत और लेन -देन के साथ ही लाभ हानि पर टिकी राजनीति का चरित्र बेईमान वाला ही है। नेता ईमानदार नहीं होते लेकिन स्वांग ईमानदारी रचते हैं। जनता बेचारी जो है। स्वांग में फंसती है और गुलाम होते चली जाती है।
तो खबर ये है कि नीतीश कुमार कल मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिल सकते हैं। पूरी तैयारी की गई है। नीतीश बाबू की चाहत यही है कि नवीन पटनायक भी विपक्षी एकता के साथ आएं और बीजेपी को चौनौती दें। नवीन पटनायक समाजवादी नेता है। उनके पिता बीजू पटनायक देश के बड़े समाजवादी नेता रहे और ओडिशा के मुख्यमंत्री भी। उन्होंने बीजू जनता दल का गठन किया। अब यह पार्टी नवीन बाबू के हाथ में हैं और लम्बे समय से ओडिशा की सत्ता पर बैठे भी हैं। नवीन की अपनी कहानी है। लोकसभा में उनके 12 सांसद हैं और राज्य सभा सभा में 8 सांसद हैं। उनकी कोई राष्ट्रीय अभिलाषा नहीं ही .इनकी पूरी राजनीति ओडिशा को लेकर ही चलती है और ओडिशा के बेहतरी के लिए जो भी संभव होता है वे करते रहते हैं। यही वजह है कि नवीन बीजेपी के साथ न होते हुए भी बीजेपी के ज्यादा नजदीक रहे हैं। कई बार उन्होंने बीजेपी का सपोर्ट किया और संसद में बीजेपी को आगे भी बढ़ाया। कांग्रेस की राजनीति पर अभी नवीन ने कब्ज़ा कर रखा है। ऐसे में नीतीश बाबू नवीन बाबू को कितना मना पाएंगे यही सबसे बड़ा सवाल है।
अगर नवीन और नीतीश की दोस्ती पक्की होती है तो आगे की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल सकते हैं। यह भी हो सकता है कि नवीन पटनायक न्यूट्रल रहने की ही बात करें। लेकिन जब दो बड़े समाजवादी मिलेंगे तो को बड़ा फैसला तो होगा ही। सबको उस फैसले का ही तो इन्तजार है।