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चुनावी राज्यों में उतरे बीजेपी सांसदों और मंत्रियों की बढ़ी मुश्किलें

Assembly Election 2023: बीजेपी ने रणनीति के तहत चुनावी मैदान में अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को उतारा था। समझ यही कि ये सांसद और मंत्री स्थानीय विधायकों और अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा प्रभावशाली होंगे। बीजेपी की समझ यह भी थी एक सांसद कई सीटों को भी प्रभावित करें गए और अपने साथ ही कुछ उम्मीदवारों को भी जीता सकेंगे। लेकिन सोंच के मुताबिक परिणाम आते कहाँ हैं ? कभी कभी बिना सोंचे ही बहुत कुछ मिल जाता है और अक्सर जो सोंचते हैं वह फेल कर जाता है।

बीजेपी के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। बीजेपी ने आंध्र प्रदेश ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अपने सांसदों को को उतारा है। ये सभी बीजेपी के दिग्गज सांसद और मंत्रीओ भी हैं। नरेंद्र सिंह तोमर की अपनी पहचान है और अपनी राजनीति भी। जीत गए तो मध्य प्रदेश के सीएम भी बन सकते हैं और हार गए तो खेल खराब हो सकता है। राजनीति भी जा सकती है। फिर कोई पूछने वाला भी नहो होगा। हर्फ़े हुए नेडा को कौन पूछता है ? कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो पूछ नहीं ही होगी। तोमर की परेशानी यह है कि ठीक चुनाव के समय ही उनके बेटे का कांड सामने आया। करोडो रुपये कमाने का कांड। इस वीडियो ने तहलका मचा दिया है। हालांकि इस वीडियो की क्या सच्चाई है यह अभी जांच का विषय है। यह बात और है कि तोमर खुद ही इस वीडियो को फर्जी मानते हैं लेकिन क्या बीजेपी भी कुछ ऐसा ही सोंचती है ?

क्या बीजेपी और संघ वाले भी वीडियो को फर्जी हैं ? ऐसा कैसे माना जा सकता है?

जांच एजेंसियों को इसकी जांच करनी चाहिए इस तरह के बयान कांग्रेस वाले बोल रहे हैं। लेकिन क्या जाँच एजेंसी इसकी जांच करेगी ? कम से कम अब ही तो नहीं। अगर सत्ता सरकार बदल गई तो यह मामला बड़ा होगा। और इसकी जांच भी होगी। इस घटना से यह भी पता चलता है कि मंत्री रहते हुए उनके रिश्तेदार क्या -क्या नहीं करते ? सच तो यही है कि नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीति फंस सी गई है। अगर चुनाव जीत गए तो उनकी इज्जत बचेगी और हार गए तो आगे की कहानी कुछ भी हो सकती है। संभव है बीजेपी उन्हें भूल भी जाए।

राजनीति में संगत बनाते और भूलने में वक्त ही कितना लगता है?

बीजेपी के दूसरे सांसद हैं प्रहलाद पटेल। काबिल नेता है और चर्चित भी। पहचान भी बड़ी है। पछले दिनों प्रचार के दौरान ही उनकी गाडी से एक्सीडेंट हो गया। एक आदमी की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पटेल साहब परेशान है। जहाँ सक्से चुनाव लड़ रहे हैं वहां के लोग उन्हें हारने की बात कर रहे हैं। उनके विरोधी तो और भी कई बाते कहते जा रहे हैं। जिन उम्मीदवार को टिकट मिलने की सम्भावना है वे भी भला बुरा कह रहे हैं। जनता भी कह रही है कि प्रहलाद की राजनीति फंस सकती है। बीजेपी हालत को देखकर परेशान है। प्रहलाद पटेल को भी लगने लगा है कि वे बेकार में ही इस झंझट में फंस गए।

राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौर और दिया कुमारी चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ वहां के बीजेपी वाले ही शोर मचा रहे हैं। दोनों नेताओं का विरोध कोई और नहीं बीजेपी के लोग ही कर रहे हैं। खासकर उन नेताओं का ज्यादा विरोध है जीने टिकट मिलने की सम्भावना थी। बीजेपी ऊपर सड़े भलके ही कह रही है कि सब ठीक है लेकिन ठीक कुछ भी नहीं। विरोधियों को मनाने की बात चल रही है लेकिन बागी मानते कब हैं ?

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तेलंगाना में बीजेपी ने तीन सांसदों को मैदान में उतारा है। समझ यही थी कि कम से कम तीन सांसद भी चुनाव जीतकर पहुँच जायेंगे ताकि आगे की राजनीति चलेगी। लेकिन जो रिपोर्ट मिल रही है उससे बीजेपी के लोग भी घबरा रहे हैं। केसीआर और कांग्रेस की लड़ाई में ये तीनो सांसद अपनी जगह के लिए तगारास रहे हैं। जो लोग पहले इनके साथ खड़े थे वे भी भाग गए हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव में बीजेपी की हालत जो भी हो लेकिन ये तीनो सांसद जीत नहीं पाएंगे। हालांकि चुनाव केर बाद क्या परिणाम होंगे हैं इसे देखना बाकी है। जनता के मिजाज को आखिर कौन जानता है ?

बीजेपी ने रणनीति के तहत चुनावी मैदान में अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को उतारा था। समझ यही कि ये सांसद और मंत्री स्थानीय विधायकों और अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा प्रभावशाली होंगे। बीजेपी की समझ यह भी थी एक सांसद कई सीटों को भी प्रभावित करें गए और अपने साथ ही कुछ उम्मीदवारों को भी जीता सकेंगे। लेकिन सोंच के मुताबिक परिणाम आते कहाँ हैं ? कभी कभी बिना सोंचे ही बहुत कुछ मिल जाता है और अक्सर जो सोंचते हैं वह फेल कर जाता है।

बीजेपी के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। बीजेपी ने आंध्र प्रदेश ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अपने सांसदों को को उतारा है। ये सभी बीजेपी के दिग्गज सांसद और मंत्रीओ भी हैं। नरेंद्र सिंह तोमर की अपनी पहचान है और अपनी राजनीति भी। जीत गए तो मध्य प्रदेश के सीएम भी बन सकते हैं और हार गए तो खेल खराब हो सकता है। राजनीति भी जा सकती है। फिर कोई पूछने वाला भी नहो होगा। हर्फ़े हुए नेडा को कौन पूछता है ? कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो पूछ नहीं ही होगी। तोमर की परेशानी यह है कि ठीक चुनाव के समय ही उनके बेटे का कांड सामने आया। करोडो रुपये कमाने का कांड। इस वीडियो ने तहलका मचा दिया है। हालांकि इस वीडियो की क्या सच्चाई है यह अभी जांच का विषय है। यह बात और है कि तोमर खुद ही इस वीडियो को फर्जी मानते हैं लेकिन क्या बीजेपी भी कुछ ऐसा ही सोंचती है ?

क्या बीजेपी और संघ वाले भी वीडियो को फर्जी हैं ? ऐसा कैसे माना जा सकता है?

जांच एजेंसियों को इसकी जांच करनी चाहिए इस तरह के बयान कांग्रेस वाले बोल रहे हैं। लेकिन क्या जाँच एजेंसी इसकी जांच करेगी ? कम से कम अब ही तो नहीं। अगर सत्ता सरकार बदल गई तो यह मामला बड़ा होगा। और इसकी जांच भी होगी। इस घटना से यह भी पता चलता है कि मंत्री रहते हुए उनके रिश्तेदार क्या -क्या नहीं करते ? सच तो यही है कि नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीति फंस सी गई है। अगर चुनाव जीत गए तो उनकी इज्जत बचेगी और हार गए तो आगे की कहानी कुछ भी हो सकती है। संभव है बीजेपी उन्हें भूल भी जाए।

राजनीति में संगत बनाते और भूलने में वक्त ही कितना लगता है?

बीजेपी के दूसरे सांसद हैं प्रह्लाद पटेल। काबिल नेता है और चर्चित भी। पहचान भी बड़ी है। पछले दिनों प्रचार के दौरान ही उनकी गाडी से एक्सीडेंट हो गया। एक आदमी की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पटेल साहब परेशान है। जहाँ सक्से चुनाव लड़ रहे हैं वहां के लोग उन्हें हारने की बात कर रहे हैं। उनके विरोधी तो और भी कई बाते कहते जा रहे हैं। जिन उम्मीदवार को टिकट मिलने की सम्भावना है वे भी भला बुरा कह रहे हैं। जनता भी कह रही है कि प्रह्लाद की राजनीति फंस सकती है। बीजेपी हालत को देखकर परेशान है। प्रह्लाद पटेल को भी लगने लगा है कि वे बेकार में ही इस झंझट में फंस गए।

राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौर और दिया कुमारी चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ वहां के बीजेपी वाले ही शोर मचा रहे हैं। दोनों नेताओं का विरोध कोई और नहीं बीजेपी के लोग ही कर रहे हैं। खासकर उन नेताओं का ज्यादा विरोध है जीने टिकट मिलने की सम्भावना थी। बीजेपी ऊपर सड़े भलके ही कह रही है कि सब ठीक है लेकिन ठीक कुछ भी नहीं। विरोधियों को मनाने की बात चल रही है लेकिन बागी मानते कब हैं ?

तेलंगाना में बीजेपी ने तीन सांसदों को मैदान में उतारा है। समझ यही थी कि कम से कम तीन सांसद भी चुनाव जीतकर पहुँच जायेंगे ताकि आगे की राजनीति चलेगी। लेकिन जो रिपोर्ट मिल रही है उससे बीजेपी के लोग भी घबरा रहे हैं। केसीआर और कांग्रेस की लड़ाई में ये तीनो सांसद अपनी जगह के लिए तगारास रहे हैं। जो लोग पहले इनके साथ खड़े थे वे भी भाग गए हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव में बीजेपी की हालत जो भी हो लेकिन ये तीनो सांसद जीत नहीं पाएंगे। हालांकि चुनाव केर बाद क्या परिणाम होंगे हैं इसे देखना बाकी है। जनता के मिजाज को आखिर कौन जानता है ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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