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क्या आप जानते हैं कि Congress की Bharat Jodo Yatra से बढ़ गई है सपा (SP) की चिंता !

सपा का वोट बैंक मूल रूप से यादव और मुस्लिम रहा है। लेकिन पश्चिम यूपी के इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम और किसान राहुल के साथ खड़े रहे। भारत जोड़ो यात्रा जयकारा लगाते रहे। सपा अब अलर्ट हो गई है। सत्य तो ये है कि जिस कांग्रेस को पहले सपा अछूत समझ रही थी ,अब सपा का कांग्रेस के साथ समझौता करने की सम्भावना बढ़ गई है।

यूपी से निकलकर कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा हरियाणा से भी आगे बढ़ रही है लेकिन इस यात्रा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की चिंता बढ़ा दी है। अखिलेश यादव को अब लगने लगा है कि जिस तरह से जाटलैंड में कांग्रेस को समर्थन मिला है और बड़ी संख्या में सभी जाति -धर्मो के लोगों ने राहुल की यात्रा का समर्थन किया है ,अगर यही समर्थन चुनाव के वक्त भी कांग्रेस को मिल गया तो सपा की परेशानी बढ़ सकती है। सपा का वोट बैंक मूल रूप से यादव और मुस्लिम रहा है। लेकिन पश्चिम यूपी के इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम और किसान राहुल के साथ खड़े रहे। भारत जोड़ो यात्रा जयकारा लगाते रहे। सपा अब अलर्ट हो गई है। सत्य तो ये है कि जिस कांग्रेस को पहले सपा अछूत समझ रही थी ,अब सपा का कांग्रेस के साथ समझौता करने की सम्भावना बढ़ गई है। अगर सपा बदलती राजनीति में कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करती है तो आगामी लोक सभा चुनाव में उसे नुकसान हो सकता है। कांग्रेस भी चाहती है कि यूपी में सपा के साथ समझौता हो और सीटों का तालमेल बैठे। सपा को पता है कि अगले लोकसभा चुनाव में उसे सहयोगियों की जरूरत है, खास कर कांग्रेस की। पिछली बार सपा के साथ बसपा थी, फिर भी पार्टी सिर्फ पांच लोकसभा सीट जीत पाई थी। इस बार बहुजन समाज पार्टी का साथ मिलने की संभावना कम है। हालांकि अगर मायावती समझदारी दिखाएं तो वे फिर तालमेल कर सकती हैं क्योंकि सपा से तालमेल की वजह से ही उनकी लोकसभा सीटें जीरो से 10 पहुंची थीं। बहरहाल, अगर वे तालमेल नहीं करती हैं तो सपा को रालोद के साथ साथ कांग्रेस और कुछ दूसरी छोटी पार्टियों की जरूरत होगी।पहले की स्थिति में सपा के लिए कांग्रेस से तालमेल बहुत आसान था। उसे रायबरेली, अमेठी और आसपास की दो-तीन सीटें देकर काम चल सकता था। लेकिन तालमेल के लिए पहला कदम कांग्रेस ने बढ़ा दिया। उसने अखिलेश यादव को यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया। सबको पता था कि वे यात्रा में शामिल नहीं होंगे तभी पहले ही चिट्ठी लिखने की खबर लीक करके मीडिया में प्रचार किया गया, जिससे नाराज होकर अखिलेश ने कांग्रेस और भाजपा को एक जैसा बता दिया। हालांकि बाद में वे संभले और राहुल को शुभकामना की चिट्ठी लिखी।

Image Courtesy: PTI

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उनकी चिंता इस वजह से भी बढ़ गई है कि राहुल किसानों के इलाके से गुजरे और उनको बड़ा समर्थन मिला। वे मुस्लिम और दलित बहुलता वाले क्षेत्रों से गुजरे और उनकी यात्रा में भरपूर भीड़ जुटी। ऊपर से सपा की चिंता बढ़ाने वाली बात यह हुई कि राष्ट्रीय लोकदल व भारतीय किसान यूनियन ने खुल कर यात्रा का समर्थन किया। सो, अब जब तालमेल की बात होगी, तब कांग्रेस पार्टी दो-चार सीटों पर समझौता नहीं करेगी। कांग्रेस अपने दलित और मुस्लिम वोट आधार को हासिल करने का प्रयास कर रही है और इससे भी सपा की चिंता बढ़ी है।

उधर ,चुनावी राजनीति में यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन चाहे जो भी हो लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के जरिये पार्टी में जान तो आ ही  गई है। कांग्रेस को भी पता है यूपी में कांग्रेस का न सिर्फ संगठन कमजोर है बल्कि उसके वोटर भी खिसक गए है। पिछले विधान सभा चुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन कांग्रेस का रहा उससे पार्टी को बड़ा झटका लगा था। प्रियंका की राजनीति भी फेल हो गई थी। लेकिन अब ऐसा नहीं लगता। यूपी में बीजेपी आज भी बड़ी पार्टी है और उसके प्रदर्शन के सामने सारे दाल फीके हैं। सपा और बसपा की हालत भी मजबूत नहीं है लेकिन यह भी सच  है कि यूपी की राजनीति में सपा की राजनीति कांग्रेस से कही बड़ी है। ऐसे में आगामी चुनाव में यूपी की राजनीति क्या कुछ बदलाव होते हैं इसे देखना होगा। फिलहाल सपा चिंतित तो हो ही गई है।

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Neetu Pandey

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