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Gaganyaan mission: चंद्रयान- सूर्ययान अब गगनयान… भारत की अंतरिक्ष उड़ान! क्या क्रू एस्केप सिस्टम हो जाएगा पूरी तरह पास?

Crew Escape System: ISRO के लिए आज का दिन बेहद खास होने वाला है। गगनयान मिशन से जुड़ा पहला बड़ा ट्रायल होने वाला है। इस ट्रायल में रॉकेट के क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) की जांच के लिए अबॉर्ट मिशन-1( TV-D1) को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का नाम टेस्ट वीकल डिमॉन्सट्रेशन TV-D1 है। उड़ान भरने के 531.8 सेकंड बाद क्रू मॉड्यूल (Crew modular) श्री हरिकोटा के लॉन्च पैड से 10 km दूर समुद्र में गिर जाएगा।

चंद्रयान, आदित्य एल1 के बाद इस समय देश में गगनयान मिशन की बातें हो रही है। आज से ISRO ने इसका टेस्ट भी करना शुरू कर दिया है।

अंतरिक्ष की तरफ से बड़ी छलांग लगाने के लक्ष्य के साथ आज यानि 21 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास है। गगनयान मिशन को लेकर पहला बड़ा ट्रायल आज है। गगनयान मिशन को पूरी तरह से सफल बनाया जाए इसको लेकर इसरो के वैज्ञानिक पूरी तैयारी में जुटे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत के गगनयान मिशन के प्रक्षेपण की दिशा में क्रू एस्केप सिस्टम (CES) की पहली परीक्षण उड़ान आयोजित करने के लिए तैयार है। शनिवार गगनयान मिशन के दौरान रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट (Crew Escape System Test) की टेस्टिंग होगी। ऐसे अभियान में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह ट्रायल बेहद जरूरी है। क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) आखिर है क्या?

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बहुत पहले अपोलो मिशन के परीक्षण में एक एक्सीडेंट हुआ था और तीनों क्रू की डेथ हो गई थी। उसके बाद ये आइडिया आया कि हमें क्रू एस्केप मॉड्यूल (Crew Escape module) की जरूरत है। तब से पूरी दुनिया में ये एस्केप मॉड्यूल बनाए जा रहे हैं। भारत के गगनयान मिशन के लिए यह महत्वपूर्ण चरण होगा। इसकी महत्ता यही है कि अगर लॉन्च के बाद लगे कि कोई कमी रह गई। ऐसा लगे कि आपका यान सही दिशा में नहीं जाएगा और एक्सीडेंट होने की संभावना है। उससे पहले ही ये मॉड्यूल क्रू को बाहर निकालता है और क्रू को सुरक्षित जगह पर लैंड करता है। इससे एस्ट्रोनॉट्स बचाए जा सकते हैं। यह पहला परीक्षण है। इसरो इसी तरह के 3-4 टेस्ट और करेगा और उनका सिस्टम क्वॉलिफाई हो जाएगा… DD न्यूज से बातचीत में अंतरिक्ष विशेषज्ञ अजय लेले ने गगनयान मिशन के बारे में यह महत्वपूर्ण जानकारी दी। सरल शब्दों में समझिए तो आज गगनयान का जो टेस्ट हो रहा है वो हनुमान जी की तरह हर मुश्किल में रक्षा करेगा। जैसे हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है, गगनयान का एस्केप मॉड्यूल कुछ उसी तरह की भूमिका निभाएगा।

Crew Escape System की टेस्टिंग को ऐसे समझें
आसान भाषा में इसको ऐसे समझा जा सकता है। मिशन के दौरान यदि कोई गड़बड़ी आती है तो उस स्थिति में भारतीय एस्ट्रोनॉट को बाहर कैसे सुरक्षित धरती पर लाया जाएगा। इसकी टेस्टिंग आज होनी है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करेगा। इसके लिए पहला बड़ा ट्रायल होने जा रहा है। इस ट्रायल में Rocket में गड़बड़ी होने पर उसके अंदर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों को सुरक्षित धरती पर लाने वाले system की जांच होगी। इसमें test वीइकल अबॉर्ट mission TV-D1 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन (satish dhavan) अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। इस फ्लाइट में 3 हिस्से होंगे- सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम।

I point पर अबॉर्ट जैसी स्थिति बनाई जाएगी
क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) यानी अंतरिक्ष यात्री को रॉकेट से दूर ले जाना। इसकी टेस्टिंग के लिए टेस्ट वीइकल तैयार है, जो सिंगल फेज का रॉकेट है। यह गगनयान के आकार और वजन का है। इसमें गगनयान जैसे सारे सिस्टम भी होंगे। टेस्ट वीइकल एस्ट्रोनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ ऊपर ले जाएगा। फिर 17 Km की ऊंचाई पर किसी एक पॉइंट पर अबॉर्ट जैसी स्थिति बनाई जाएगी और क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) को रॉकेट से अलग किया जाएगा। इस दौरान टेस्ट किया जाएगा कि क्या क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) ठीक काम कर रहा है। इसमें पैराशूट लगे होंगे, जिनकी मदद से यह सिस्टम श्रीहरिकोटा तट से करीब 10 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में टचडाउन करेगा। इंडियन नेवी का जहाज और डाइविंग टीम ( driving team) की सहायता से इसे बाहर निकाला जाएगा।

ISRO इस मिशन के लिए 4 एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग शामिल है। TV-D1 क्रू मॉड्यूल की समुद्र से रिकवरी का काम नेवी को दिया गया है। रॉकेट के उड़ान भरने के 531.8 सेकंड बाद क्रू मॉडयूल लॉन्च पैड से करीब 10 KM की दूरी पर गिर जाएगा। रिकवरी जहाज क्रू मॉड्यू के पास पहुंचेंगे और गोताखोरों की एक टीम उसे रिकवर करेगी। इंडियन नेवी की ओर से रिकवर किए जाने तक ये तैरता रहेगा।

Prachi Chaudhary

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