Live Updateन्यूज़बड़ी खबर

Former RBI Governor Raghuram Rajan: RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बातों में कितनी सच्चाई, क्या चिप भारत को बर्बाद कर देगा?

How much truth is there in the words of former RBI Governor Raghuram Rajan, will the chip ruin India?

Former RBI Governor Raghuram Rajan: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश में चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सब्सिडी देने की सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि दुनिया का हर देश इस होड़ में शामिल हैं। इसलिए इससे बचने की जरूरत है। भारत के लिए चिप बनाने से भी जरूरी कई काम हैं।

भारत सेमीकंडक्टर चिप्स की मैन्यूफैक्चरिंग में बड़ा दांव खेलने जा रहा है। देश में चार सेमीकंडक्टर यूनिट बनाने का काम शुरू हो चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के मंत्री अश्विनी वैष्णव का दावा है कि अगले पांच साल में भारत सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाले दुनिया के टॉप 5 देशों की लिस्ट में शामिल होगा। लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि भारत को सेमीकंडक्टर चिप बनाने की रेस में शामिल नहीं होना चाहिए। ऐसा करके वह बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत के लिए सेमीकंडक्टर चिप बनाने से भी जरूरी कई काम हैं। इस हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उसे अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए।

शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रोफेसर रघुराम राजन ने एक नोट में कहा कि भारत सरकार उच्च शिक्षा के वार्षिक बजट की तुलना में चिप निर्माण के लिए सब्सिडी के रूप में अधिक पैसा दे रही है। यह अच्छी बात नहीं है। निश्चित रूप से यह विकसित देश बनने का रास्ता नहीं है। मोदी सरकार की नीतियों के धुर विरोधी रहे राजन ने साफ किया कि उनकी बात का यह मतलब नहीं है कि भारत को कभी भी सेमीकंडक्टर चिप नहीं बनाना चाहिए। लेकिन आज हर देश यही कर रहा है। इस रेस में पड़ने का मतलब खुद को बर्बाद करना है। भारत ने पिछले महीने तीन सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी थी। इन पर कुल 1.26 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा जिसमें सरकार की तरफ से 48,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।

चिप से ज्यादा जरूरी काम

राजन ने अपने नोट में कहा कि चिप सब्सिडी असल में पूंजीगत सब्सिडी है. इसका मतलब है कि इसका भुगतान अग्रिम भुगतान किया जाएगा, उत्पादन के आधार पर नहीं। सरकार दावा कर रही है कि जल्दी ही चिप्स का प्रॉडक्शन शुरू हो जाएगा। अगर यह दावा सही है तो कैपिटल सब्सिडी जल्दी हो देनी होगी। लेकिन कोई नौसिखिया ही इस पर यकीन करेगा कि सब्सिडी यहीं खत्म हो जाएगी। यदि  सब सही रहा तो हमें 28 NM  चिप्स मिलेगी। आज मॉडर्न सेल फोन पर 3 NM की चिप लगती है। यदि  हमें फ्रंटियर में ग्लोबल चिप मैन्यूफैक्चरर बनना है तो हमें उस स्तर तक पहुंचने के लिए कुछ फैक्ट्रीज को सब्सिडी देनी होगी। इसका कारण यह है कि आधुनिक चिप बनाने में अधिक मॉडर्न मैन्यूफैक्चरिंग टैक्नोलॉजी (Modern manufacturing technology) इस्तेमाल होती है जो ज्यादा महंगी होगी।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि भारत के लिए चिप मैन्यूफैक्चरिंग से भी जरूरी कई काम हैं। जैसे कॉलेजों में स्पेक्ट्रोमीटर लगाना ताकि साइंस के बेहतर छात्र पैदा कर सके। यह साफ नहीं है कि सरकार कैसे तय करती है कि किस इंडस्ट्री, सेक्यर या कंपनी को सब्सिडी चाहिए। चिप मैन्यूफैक्चरिंग में ज्यादा लेबर की जरूरत नहीं है जबकि इस समय रोजगार हमारी सबसे बड़ी चुनौती हैं। राजन ने कहा कि यह कहना गलत है कि भारत को चिप सेगमेंट में भागीदारी के लिए पूरी सप्लाई चेन की जरूरत है। आईटी मिनिस्टर ने खुद यह बात स्वीकार की है कि भारत के पास 300,000 चिप डिजाइनर हैं जबकि भारत चिप नहीं बना रहा है। एनवीडिया और क्वालकॉम चिप्स नहीं बनाते हैं, और न ही ऐप्पल। वे इसे डिज़ाइन करते हैं और इनका निर्माण ताइवान में किया जाता है। डच कंपनी ASML चिप बनाने की मशीनें बनाती है। इसलिए मुझे लगता है कि सरकार ने चिप सब्सिडी नीति बनाते समय ज्यादा नहीं सोचा।

Prachi Chaudhary

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button