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क्या चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन बिखर जायेगा ?

Political News INDIA Alliance : मौजूदा समय की राजनीति में कब क्या हो जाए यह कौन जानता है ? राजनीति के बड़े पंडित भी कोई कयास लगा नहीं सकते क्योंकि चुनावी राजनीति में जितनी पार्टियां सक्रिय हैं उनमे से अधिकतर कोई देश का हित नहीं देखती ,उसकी जीत हो जाए बस यही तक उनकी सोंच और समझ बची हुई है। बीजेपी को टक्कर देने के लिए देश के अधिकतर विपक्षी दलों नेगठबंधन की शुरुआत की थी। बड़े -बड़े दावे किये थे। कहा था कि इस बार बीजेपी को धूल चटा देंगे। लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा।
अब जिस तरह से बिहार में नीतीश कुमार ने पलटी मारकर फिर से बीजेपी का दामन थामा है उसके बाद यह साफ़ हो गया है कि आगे आने वाले समय में इंडिया गठबंधन में एक बार फिर से बड़ा झटका लग सकता है। बिहार के बाद यूपी और बंगाल में वही सब होता दिख रहा है जिसकी कल्पना पहले से की जा रही थी।


सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन में मनमुटाव साफ़ दिख रहा है। यूपी को ही लीजिये तो सपा वहां कांग्रेस को 11 सीट देने की बात कर रही है। लेकिन कांग्रेस संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस कह रही हैं कि सपा जो कर रही है वह सपा की अपनी समझ हो सकती है लेकिन कांग्रेस की समझ कुछ अलग है। कांग्रेस को कुछ और सीटों की जरुरत है और यह सब पार्टी के बड़े नेता ही सुलझा सकते हैं। कांग्रेस यूपी में कम से कम 15 सीटों की मांग कर रही है लेकिन सपा अब इतनी सीट देने को तैयार नहीं है। ऐसे कांग्रेस आगे क्या कुछ करती है इसे देखने होगी। हलाकि यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता लगातार सपा से बात कर रहे हैं लेकिन सपा अब अपने निर्णय से आगे बढ़ना नहीं चाहती। साफ़ शब्दों में कहें तो सपा और कांग्रेस के बीच तननतनी तो है लेकिन इसका इजहार केवल नहीं हो रहा है।
उधर बंगाल की कहानी कुछ और ही है। बंगाल में ममता बनर्जी हालांकि कह चुकी है कि वह सभी 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। संभव है कि बदले माहौल में ममता कुछ नरम भी हो जाएँ लेकिन टीएमसी दो सीटों से ज्यादा कांग्रेस को नहीं दे सकती। यही वजह है कि बंगाल में अभी भी सीट शेयरिंग की कहानी रुकी हुई है। कांग्रेस सूत्र की माने तो टीएमसी और कांग्रेस के बीच चर्चा चल रही है। चुकी ममता बनर्जी अभी भी इंडिया गठबंधन के साथ है इसलिए अभी इस बात की उम्मीद है कि अंत तक भी कोई बेहतर परिणाम सामने आ जाए। कांग्रेस की चाहत है कि बंगाल में कम से कम उसे सात से आठ सीटें मिले .कांग्रेस इस दिशा में ममता से बात भी कर रही है। लेकिन सच यही है कि ममता के जो तेवर हैं उससे नहीं लगता कि ममता ज्यादा सीटें कांग्रेस को देगी। ममता की परेशानी यह है कि बंगाल में उसका सीधा मुकाबला अब बीजेपी से हो गया है। ममता को यह भी लग रहा है कि अगर इस चुनाव में वह चूक जाती है तो टीएमसी को बड़ा झटका लग सकता है और विधान सभा चुनाव में फिर बीजेपी बाजी पलट सकती है यही वजह है कि ममता किसी भी सूरत में किसी भी पार्टी को सीट देकर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है।


उधर बिहार में भले ही जदयू इंडिया गठबंधन से अलग हो गई है लेकिन जातीय समीकरण जदयू के साथ अभी भी है। हालांकि राजद ,कांग्रेस और वाम दलों के बीच ही अब सीटों का बंटवारा हो सकता है और यह भी संभव है कि कांग्रेस को इस बार 15 सीटें लड़ने को मिल जाए। लेकिन कांग्रेस बिहार में क्या कमाल दिखा पाएगी कहना कठिन है। बिहार में आज की तारीख में कांग्रेस के साथ किसी भी जाति का कोई वोट बैंक नहीं है। इसके साथ ही उसका संगठन भी काफी कमजोर है। ऐसे में भले ही कांग्रेस अगर ज्यादा सीटों पर चुनाव भी लड़ती है तो उसे कितना लाभ होगा कहना मुश्किल है। हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि राहुल की यात्रा के बाद बिहार में कांग्रेस के प्रति एक हवा बनती दिख रही है। अगर ये हवा चुनाव तक बनी रही तो कांग्रेस को कुछ सीटें मिलेगी।


पंजाब में आप पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। इस बात की चर्चा चल रही है। लेकिन दिल्ली में आप चार सीटों पर और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि कांग्रेस पंजाब में भी आठ सीटों की मांग कर रही है। लेकिन जिस तरह से आप जिद बनाये हुए है अगर कोई बात नहीं बनी तो आप और कंग्रेस्स के बीच भी खेल हो सकता है और खेल हुआ तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है।
उधर महाराष्ट्र में भी पेंच फंसा हुआ है। महाराष्ट्र की 38 सीटों पर तो बात बन गई है लेकिन दस सीटों पर अभी भी मामला फंसा हुआ है। प्रकाश आंबेडकर की पार्टी को भी तीन सीट देने की बात हो रही है और ये तीन सीटें कांग्रेस ,शिवसेना और एनसीपी के कोटे से जानी है। लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। अगर कोई फैसला नहीं होता है तो यहाँ भी खेल ख़राब हो सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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