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क्या शिवराज सिंह के लिए आफत खड़ी कर रही हैं उमा भारती?

Madhya Pradesh Election 2023: बीजेपी की फायर ब्रांड नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) हालांकि सक्रीय राजनीति से अभी दूर हैं लेकिन जनता के मुद्दों को उठाने से वे पीछे नहीं रह रही। मध्यप्रदेश की राजनीति में भारती की अपनी पहचान है और रुतबा भी। आगामी विधान सभा चुनाव में उमा भारती किस भूमिका में होंगी यह अभी साफ़ नहीं है लेकिन में वे महिला आरक्षण बिल के जरिये अपनी बात रख रही है उससे साफ़ है कि मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उमा भारती (Uma Bharti) में महिला आरक्षण बिल के सहारे प्रदेश की गरीब और गुरबा महिलाओं के साथ ही उन पिछड़ी समाज की महिलाओं की भी स्थानीय चुनाव में आरक्षण की बात कही है जो बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और मायावती करती दिख रही है। महिला आरक्षण को लेकर राबड़ी देवी ने भी कल बयान देते हुए कहा था कि महिलाओं को आरक्षण मिले यह ख़ुशी की बात है लेकिन उस आरक्षण में गरीब, शोषित और वंचित महिलाओं के लिए आरक्षण की जानी चाहिए ताकि समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिल सके। उधर मायावती ने भी कुछ इसी तर्ज पर महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की बात कही है। उन्होंने कहा कि जब महिलाओं की आबादी आधी है तब 33 फीसदी आरक्षण का क्या मतलब?

 Uma Bharti

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महिला आरक्षण का मामला संसद में जारी है। मंगलवार को सरकार की तरफ से इसे पेश किया गया था। आज चर्चा चल रही है। हालांकि इस चर्चा में अलग-अलग दलों के अपने तर्क भी हैं। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी इस बिल का समर्थन किया है लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि इस कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि महिलाओं को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी कहा है कि चूंकि इस बिल को पास कराने का सपना राजीव गांधी का भी था और राजीव गांधी चाहते थे कि देश की महिलाओं को समान अवसर मिलना चाहिए। लेकिन अब जब यह बिल पास होने को तैयार है तो सरकार को जल्द इसे अमल में लाना चाहिए। हालांकि बीजेपी ने सोनिया के इस बयान पर पलटवार कर कहा है कि कांग्रेस इसका श्रेय लेना चाहती है।

खैर संसद के भीतर महिला आरक्षण को लेकर बहस जारी है। इसी बीच उमा भारती ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है और उनसे कुछ बात को लेकर अनुरोध भी किया। भारती ने मौजूदा महिला आरक्षण बिल से नाराजगी जताते हुए पत्र में कहा है कि स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए सुनिश्चित 33 फीसदी आरक्षण में से 50 फीसदी आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी के लिए रखा जाना चाहिए। अपने पत्र में उमा भारती ने लिखा है कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पेश होना देश की महिलाओं के लिए अच्छी बात है। जब 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने सदन में यह बिल पेश किया था तब मैं संसद की सदस्य थी। मैंने इस विधेयक पर संशोधन पेश किया। उस समय सदन ने मेरा समर्थन किया था। देवगौड़ा ने उस संशोधन को स्वीकार भी किया फिर उन्होंने विधेयक को स्थाई समिति को भेज दिया।

uma bharti with shivraj singh

भारती आगे लिखती है कि जब वह उस समय सदन के गलियारे में आयी तो उनकी पार्टी के कई सांसद काफी नाराज थे। लेकिन दिवंगत प्रधानमंत्री अटल जी ने उनकी बातों को धैर्य पूर्वक सुना। उन्होंने लिखा कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी मुलायम सिंह यादव और लालू यादव और उनकी पार्टी के सांसद भी संशोधन के पक्ष में थे।

उमा भारती (Uma Bharti) लिखती है कि मैं आपके सामने भी एक संशोधन रख रही हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस संशोधन के साथ ही इस विधेयक को पास कराएंगे। स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। इस 33 फीसदी आरक्षित सीटों में 50 फीसदी एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए रखी जाए। भारती (Uma Bharti) ने कहा है कि पंचायती राज और स्थानीय निकायों में पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान है। उन्होंने कहा है कि मंडल आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी महिलाओं को भी निकायों में आरक्षण के लिए विचार किया जाना चाहिए ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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