ट्रेंडिंगन्यूज़राज्य-शहर

Jagdeep Dhankar News: आखिर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ के फैसले पर विवाद क्यों ?

Jagdeep Dhankar: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ के कुछ फैसले को लेकर संसद के भीतर और बाहर कही तरह की बाते कही जा रही है। कांग्रेस ने तो सभापति धनकड़ के हालिया फैसले पर आपत्ति भी जताई है और इसे विचित्र भी कहा है। विचित्र इसलिए कहे जा रहे हैं क्योंकि सभापति धनकड़ ने अपने निजी आठ सरकारी स्टाफ को राज्यसभा की 20 समितियों में नियुक्त कर दिया है। कांग्रेस तिवारी ने कहा है कि यह एक विचित्र फैसला है जिसमे निजी स्टाफ को समितियों में रख दिया गया है। इस तरह की कहानी अभी तक संसदीय इतिहास में नहीं देखी गई थी। तिवारी ने कहा है कि इसमें कई बैठके काफी महत्वपूर्ण और गोपनीय भी होती है ऐसे में इस तरह का फैसला विचित्र ही है।


बता दें कि उपराष्ट्रपति धनकड़ की तरफ से जिन निजी स्टाफ को संसदीय समितियों में नियुक्त किया गया है उनमे उनके ओएसडी राजेश एन नाईक ,पीएस सुजीत कुमार ,अतिरिक्त निजी सचिव संजय वर्मा और एक और ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत हैं। इसके साथ ही चार अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी समितियों में की गई है। इनमे कौस्तुक सुधाकर भालेकर ,अदिति चौधरी ,अखिल चौधरी और दिनेश डी भी शामिल हैं।


हालांकि यह सब पहली बार हुआ है। लेकिन इसको लेकर कई सवाल भी उठाये जा रहे हैं। विपक्ष कह रहा है कि समितियों के भीतर कई गंभीर मामले की बैठक होती है और कई मसले काफी गोपनीय होते है ऐसे में सभापति का यह फैसला किस आधार पर हुआ है कहा नहीं जा सकता। संसदीय समिति की परिभाषा में भी इस तरह की बातों का कोई जिक्र नहीं है।
उधर लोकसभा के पूर्व महासचिव पी डी टी आचार्य मानते हैं कि संसदीय समिति परिभाषा के मुताबिक़ केवल सांसद और लोकसभा और राज्य सभा के कर्मचारी ही समिति की सहायता की भमिका में रखे जा सकते हैं। उन्होंने साफ़ तौर से से कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके तहत अध्यक्ष समितियों की सहायता के लिए अपने निजी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकते हैं।


बता दें कि अभी तक संसदीय इतिहास में इस तरह की कोई नियुक्ति नहीं की गई थी। खिलाफत करने वाले लोग गोपनीयता को लेकर ज्यादा परेशान हैं। लोकसभा और राज्य सभा में कुल 24 स्थाई समितियां हैं जिनमें हर समितियों में 21 लोकसभा और 10 राज्य सभा के सांसद होते हैं। इन 24 स्थाई समितियों में से 16 समितियां लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आती है जबकि आठ समितियां राज्यसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। महासचिव धनकर अधिकार क्षेत्र में आने वाली समितियों में ही अपने निजी स्टाफ की नियुक्ति की है।

Read: Latest  Politics News and Updates at News Watch India


मनीष तिवारी ने एक और सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि उपराष्ट्रपति राज्य परिषद् के पदेन अध्यक्ष भी हैं। वे वाइस चेयरमैन पैनल की तरह सदन के सदस्य नहीं हैं। वह संसदीय स्थाई समितियों में व्यक्तिगत कर्मचारियों की नियुक्ति कैसे कर सकता है ? 13 मार्च से फिर संसद का सत्र शुरू होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्ष फिर इस मसले को भी सदन में उठाएगा और सरकार -विपक्ष के बीच तकरार बढ़ेगी।

news watch india
Team News Watch India

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button