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महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा- यज्ञ, दान और तप सनातन संस्कृति के मूल आधारभूत नियम

नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा ने बताया कि आज हिन्दू समाज के पतन का सबसे बड़ा कारण हम सबका यज्ञ,दान और तप से दूरी है। हम अपने धर्म के मूल नियमों को समझने और उनका पालन करने में असमर्थ रहे। आज उसी का परिणाम ये है कि एक समुदाय के रूप में हम सम्पूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा कमजोर और असुरक्षित है।

गाजियाबाद । शिवशक्ति धाम डासना में श्रीकृष्ण कथा में सनातन संस्कृति के आधारभूत नियमों पर चर्चा हुई। शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भावद्गीता के अठाहरवें अध्याय के पांचवें श्लोक में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बताया कि हमें किसी भी परिस्थिति में यज्ञ,दान और तप का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।


उन्होंने कहा कि यज्ञ, दान और तप कर्मों का परित्याग नहीं करना चाहिए। क्योंकि यज्ञ, दान और तप का परित्याग करने से प्रकृति और समाज में संतुलन समाप्त होकर विषमता बढ़ जाती है। विषमताओं के बढ़ने से समाज अधोगति को प्राप्त होता है , जो सम्पूर्ण समाज के लिये घातक होता है।

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नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा ने बताया कि आज हिन्दू समाज के पतन का सबसे बड़ा कारण हम सबका यज्ञ,दान और तप से दूरी है। हम अपने धर्म के मूल नियमों को समझने और उनका पालन करने में असमर्थ रहे। आज उसी का परिणाम ये है कि एक समुदाय के रूप में हम सम्पूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा कमजोर और असुरक्षित है।


आज स्थिति यह है कि हमारी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने को देश में एक चलन सा हो गया है। ऐसा वर्ग आर्थिक,सामाजिक और राजनैतिक रूप से सुदृढ़ होता चला जाता है, जबकि धर्म के लिये निस्वार्थ लड़ने वाले अकेले पड़ कर धीरे धीरे समाप्त हो जाते हैं।अगर सनातन धर्मियों का समाज इस पर उचित चिंतन नहीं करेगा तो परिणाम बहुत भयावह होंगे।इस भयावहता से बचने का एकमात्र उपाय श्रीमद्भावद्गीता को अपने जीवन मे धारण करना ही है।


कथा के आरम्भ में मुख्य यजमान श्रीमती शशि चौहान और सतेंद्र चौहान जी ने विधिवत पूजा अर्चना की। कथा में साधु संतों के अतिरिक्त बृज मोहन सिंह, बाबू मंगल सिंह, कौशल कुमार, सनोज शास्त्री, कृष्ण वल्लभ भारद्वाज, राम सिंह, अंकुर जावला तथा अन्य भक्तगण उपस्थित थे।

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