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इस बार किसके पक्ष में एकजुट होगा मुस्लिम समाज ?

Lok Sabha Election 2024! कहने को की कुछ भी कह ले लेकिन सच यही है कि अभी तक देश का मुसलमान बीजेपी के साथ खड़ी नहीं दिखती। यह समाज अकसर उसी पार्टी और उम्मीदवार के साथ जाता रहा है जो बीजेपी या फर बीजेपी उम्मीदवार को हराता दीखता है। अभी तक का इतिहास तो यही रहा है। जो बीजेपी को हराये मुस्लिम वोटर उसी के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन कुछ सालों से इस सोंच में गिरावट भी आई है। पिछले कुछ चुनाव का अध्ययन करे तो यह भी साफ़ होता है कि बहुत से मुस्लिम वोटर बीजेपी के पक्ष में भी वोट डालते हैं और बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव भी जीतते हैं। बीजेपी की सोंच में भी बदलाव आये हैं और बीजेपी अब पहले जैसा रवैया भी मुसलमानो के साथ नहीं अपना रही है। यह बात और है कि बीजेपी के कुछ कटटर नेता आज भी मुसलमानो पर चोट करने से नहीं चूकते लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेता मुसलमानो को साथ लाने का कोई कसर भी नहीं छोड़ते।

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अभी पांच राज्यों में चुनाव है। इस चुनाव में मुस्लिम वोटरों की भी बड़ी भूमिका होनी है। राजस्थान में तो मुसलमानो का काफी प्रभाव भी चुनाव पर पड़ता रहा है। जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहाँ वहां कांग्रेस की जीत अब तक होती रही है। चुकी राजस्थान में मुकाबला हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होता रहा है इसलिए अधिकतर मुस्लिम बहुल सीटें कांग्रेस के खाते में जाती रही है। लेकिन यह भी सच है कि बीजेपी भी मुस्लिम बहुल इलाके से जीतते रही है। 2018 के चुनाव में भी बीजेपी को कई सीटों पर जीत मिली थी जो मुस्लिम बहुल रही है।

अब सवाल यह है कि इस बार क्या होगा ? क्या मुस्लिम वोट कांग्रेस के पक्ष में जायेंगे या फिर पसमांदा वोटर बीजेपी के साथ खड़े होंगे। याद रहे बीजेपी काफी समय से पसमांदा मुसलमानो को लेकर काफी सक्रिय रही है और पसमांदा मुसलमानो का भी बीजेपी के प्रति रुख बदला है। प्रधानमंत्री मोदी हर बार पसमांदा मुसलमानो के उत्थान की बाते करते रहे हैं और देश भर में बीजेपी इस समाज के लिए कई कार्यक्रम भी चलाती रही है। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि ऐसा नहीं है कि इस बार के चुनाव में मुसलमान कांग्रेस के साथ ही एकमुश्त जायेंगे। संभव है कि अधिकतर मुसलमान कांग्रेस के पक्ष में खड़े हों लेकिन मुसलमानो का एक बड़ा वर्ग बीजेपी के साथ भी। के प्रति मुसलमानो का नजरिया भी बदला है। अभी हाल में ही त्रिपुरा में उपचुनाव हुए थे। वह सीट मुस्लिम बहुल थी और वहां से मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जितने में सफल हुए हैं। यह कोई मामूली बात नहीं नहीं। कहा जा रहा है कि पसमांदा मुसलमानो की संख्या ही देश में ज्यादा है। वे गरीब भी है और उपेक्षित भी। सरकार भी इस समाज के लिए काफी कुछ कर रही है। ऐसे में मुसलमान वोटर अब पहले जैसे नहीं रहे। वे भी बीजेपी के साथ खड़े होते हैं और वोट बह डालते है।

बता दें कि राजस्थान में मुसलमानो की संख्या करीब साढ़े नौ फीसदी है जबकि एमपी में साढ़े 6 फीसदी। छत्तीसगढ़ में भी करीब दो फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। राजस्थान की कुल 200 सीटों में से 40 सीट मुस्लिम बहुल है। इस राज्य में करीब 16 सीटें तो ऐस हैं जहाँ मुस्लिम उम्मीदवार ही जीतते हैं। बीजेपी भी इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा करती है और जीतती भी है।

यह बात और है कि राजस्थान के पिछले चुनाव में 40 में से 33 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी इसमें बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल थे। इसमें से 9 मुस्लिम उम्मीदवार कांग्रेस से जीतकर आये थे। बीजेपी को भी इस मुस्लिम बहुल सीट में से सात पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी के दो मुस्लिम उम्मीदवार जीत कर आये थे। बीजेपी ने चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

मध्यप्रदेश में भी करीब 25 सीटें मुस्लिम बहुल है। इनमे से आधी सीटों पर हार जीत का निर्णय मुसलमान वोटर ही करते हैं। हालांकि यहाँ अभी तक मुस्लिम बहुल इलाके में कांग्रेस की जीत ही होती रही है लेकिन बीजेपी के पक्ष में भी काफी वोट पड़ते हैं। कई बार यहाँ से बीजेपी की जीत भी हुई है।
लेकिन इस बार क्या होगा यह देखने की बात है। अगर बीजेपी के पक्ष में मुस्लिम वोटर जाते हैं तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि बीजेपी और संघ बड़े स्तर पर मुस्लिम वोटरों को साथ लाने की योना पर काम कर रहे हैं और खासकर पसमांदा मुसलमानो का बीजेपी के प्रति नरम रुख कांग्रेस को परेशान भी कर रहा है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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