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बस और अब नहीं, कोहली को कब तक ढोएगी टीम इंडिया, ‘रन मशीन’ पर उठे सवाल!

Virat Kohli- Bad Luck: “एक हार के बाद जीतने का हौसला और बुलंद हो जाता है हार के बाद रोना नहीं मैदान में फिर से धूल चटाना याद हो जाता है” इंग्लैंड और भारत (IND vs ENG) के बीच खेले गए एजबेस्टन टेस्ट के बाद तो शायद आप समझ ही गए होंगे की लिखी गई शायरी किसको डेडिकेट की गई है।

टीम इंडिया (Team India) का हाल..,इस समय कुछ ऐसा हुआ है कि अपना गम बताए तो किसको बताए. क्योंकि ना तो टीम की प्लेइंग-11 सही हो पा रहा है और ना हीं कोई बड़े खिलाड़ी फॉर्म में चल रहे हैं और तो और कप्तान को लेकर टीम इंडिया लगातार एक्सपेरिमेंट कर रही है. जिसका असर टीम के परफॉर्मेंस पर देखने को मिल रहा है। लेकिन इस बार इंग्लैंड से मिली हार से खलबली मच गई है।. टीम तो छोड़िए कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) पर भी सवाल उठने लगे हैं। मगर इस बीच अगर किसी खिलाड़ी की मुश्किलें बढ़नें वाली है तो वो है भारत के रन मशीन विराट कोहली (Virat Kohli) जिनके बल्लों से रनों का सूखा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या अब विराट कोहली टीम इंडिया के लिए बोझ बन चुके हैं.?

रन मशीन’ पर उठे सवाल

3 साल का सूखा कोहली कब करेंगे खत्म

बतौर बल्लेबाज कोहली का औदा इतना बड़ा है कि उन्हें टीम से बाहर करना आसान नहीं है. लेकिन लगातार फ्लॉप शो के कारण भी टीम में जगह देना ये भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि अंत में नाम नहीं काम चाहिए जिसमें विराट बार बार फेल हो रहे हैं और ऐसा हम नहीं आंकड़े बता रहे हैं.

कोहली का प्रदर्शन

बसे पहले इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की सीरीज में कोहली का परफॉर्मेंस कैसा रहा, वो देखिए.

मैच- 5
रन- 249
औसत- 27.66

2019 के बाद विराट का प्रदर्शन

साल 2022 2021 2022
मैच 3 11 4
रन 116 536 220
औसत 19.33 28.21 31.42

सवाल: क्या कोहली खुद कप्तान होते तो ऐसे बल्लेबाज को प्लेइंग-11 में खेलने का मौका देते ?

पिछले तीन साल के खराब परफॉर्मेंस के बाद दुनियाभर में विराट सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में टॉप-30 में भी नहीं है. ऐसे प्रदर्शन के बाद भी उनके नाम और औदे के कारण उन्हें लगातार मौका मिल रहा है जिसमें वो अब तक सफल नहीं हुए हैं. सवाल

सवाल ये है कि क्या अगर कोहली खुद कप्तान होते तो क्या वो ऐसे साधारण खेल दिखाने वाले बल्लेबाज को इतने मौके देते जिसकी गवाही उनके कप्तानी के दौरान तय किए मायने नहीं देते क्योंकि उन्होंने बतौर कप्तान 68 टेस्ट मैचों में 64 मैचों में टीम की प्लेइंग-11 में बड़े बदलाव किए हैं.

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