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जातीय जनगणना पर नीतीश सरकार (Nitish government) को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) से फिर झटका, याचिका खारिज

Bihar News : बिहार में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने नीतीश सरकार को फिर झटका दिया है। दरअसल बिहार में बीतें कई दिनों से जातीय जन गणना (caste census ) कराने की मांग की जा रही थी। इस मांग को लेकर राज्य सरकार (State Government) को कोर्ट का रूख करना पड़ा। जिस पर सुनवाई होनी थी। तो इसी बीच हाईकोर्ट ने जातीय जन गणना पर सुनवाई करते हुए नीतीश सरकार की जल्द सुनावाई करने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से नीतीश सरकार को ये दूसरा झटका लगा है। क्योकि इससे पहले बीते 4 मई को हाईकोर्ट की तरफ से अंतरिम आदेश जारी कर बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गई थी।


याचिका (Petition) में की गई मांग


बता दें कि याचिका में कहा गया था कि अगर ऐसे जाति के आधार पर गणना की जाएगी तो ये उनके व्यवसाय और उनकी योग्यता का ब्योरा मांगना एक तरह लोगों की निजता के अधिकार का हनन है। राज्य सरकार जातिगत गणना क्यों कराना चाहती है। किसी भी राज्य सरकार को जातिगत गणना कराने का संवैधानिक अधिकार (constitutional right) नहीं है।


नीतीश की याचिका में मांग

बता दें कि पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) जातीय जनगणना के खिलाफ दायर की गई याचिका में सुनवाई के दौरान नीतीश कुमार ने अपना पक्ष रखा था। जिसमें सीएम नीतीश ने कहा था कि किसी भी राज्य सरकार को अपने राज्य की गणना करने का पूरा अधिकार है। इसमे सिर्फ आर्थिक रूप से पिछड़े व अन्य लोगों की गणना करनी होती है। जातीय जनगणना में जो सवाल पूछे जा रहे हैं। इससे किसी कि भी गोपनीयता भंग नही हो रही है तो फिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है।

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तो वहीं इस मामले की अगली सुनावई पर कोर्ट ने कहा कि 3 जुलाई को होगी। तब तक कि कोई डाटा सामने नही रखा जाएगा। कोर्ट ने ये भी कहा कि अब 3 जुलाई को पूरे मसले पर गहनता और विस्तार से सुनवाई की जाएगी। बहरहाल जो कुछ भी हो हाईकोर्ट से फैसला आने के बाद से नीतीश सरकार को जातीय जनगणना (caste census) को लेकर दूसरा झटका लगा है। इतना ही नही कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस मामलें की जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नही है। अब देखना बेहद ही दिलचस्प होगा कि कोर्ट की अगली सुनवाई में क्या कुछ निकल कर सामने आएगा?

Priyanshi Srivastava

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