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ग्रह-नक्षत्रों के कारण उत्पन्न होती है रिश्तों में समस्या, दिए गए उपाय से सुलझाएं उलझे रिश्ते

Planetary Relationships in Vedic Astrology: ग्रह-नक्षत्र का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की बदलती चाल से व्यक्ति के स्वभाव और कार्यों में भी बदलाव होते हैं। साथ ही हमारे आसपास जितने भी रिश्ते मौजूद होते हैं, उन सभी पर ग्रहों का विशेष प्रभाव रहता है। जैसे पिता का संबंध सूर्य और माता का चंद्रमा से होता है। यदि किसी रिश्ते में परेशानी चल रही है तो उस ग्रह के उपाय से रिश्तों को अच्छा किया जा सकता हैं…

Planetary Relationships in Vedic Astrology

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वीय रिश्ते-नातों पर ग्रह-नक्षत्र का प्रभाव (Planetary Relationships in Vedic Astrology) रहता है, जिसके फलस्वरूप रिश्ते बनते भी हैं और बिगड़ते भी हैं। प्रायः भाई-भाई में अनबन, पिता-पुत्र में मन-मुटाव, पति-पत्नी में नोक-झोक, सास-बहु का टकराव ग्रह-नक्षत्रों के कारण ही उत्पन्न होता है। अगर समय रहते ग्रहों के प्रभाव को समझकर उपाय की शुरुआत की जाएं तो बिगड़ते रिश्ते भी सुधर जाते हैं।

ग्रहों का रिश्तों से क्या संबंध?

लाल किताब के मुताबिक, हर ग्रह हमारे एक रिश्तेदार (Planetary Relationships in Vedic Astrology) से जुड़ा हुआ है और वह ग्रह जन्म कुंडली में अगर अच्छी स्थिति में है, तो उस रिश्तेदार से हमारी जीवनभर बनती है। इसके विपरीत यदि उस रिश्तेदार से संबंधित ग्रह जन्म कुंडली में पीड़ित है तो वह रिश्ता हमारे दुख का कारण बनता है। सूर्य का रिश्ता पिता से माना गया है, मां का संबंध चंद्रमा से, शुक्र ग्रह स्त्री का प्रतिनिधित्व करता है, मंगल भाइयों का, बुध ननिहाल पक्ष, गुरू स्त्री की कुंडली में पति का कारक होता है, राहु से दादा और केतु से नाना का विचार किया जाता है। कुछ विद्वान राहु का संबंध साले और ससुर से भी मानते हैं।

ग्रहों की स्थिति अच्छे होने पर क्या होता है?

जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह की अच्छी स्थिति पिता के रिश्ते को मजबूत (Planetary Relationships in Vedic Astrology) रखता है। जन्म कुंडली में चंद्रमा के बलवान होने पर माता का पूर्ण सुख मिलता है। इसी प्रकार मंगल के शुभ स्थान पर बैठने पर भाइयों का सहयोग जीवन भर मिलता है। अगर किसी का शुक्र कमजोर हो तो पत्नी से कष्ट प्राप्त होता है, इसके विपरीत शुक्र मजबूत होने पर स्त्री के कारण भाग्योदय एवं जीवन में उन्नति होती है। जीवनसाथी से संबंधित जन्म कुंडली के सप्तम भाव में शनि, सूर्य, राहु, मंगल जैसे क्रूर ग्रह गृहस्थ जीवन में बाधक बनते हैं।

ग्रहों की ऐसी स्थिति पर पति-पत्नी के रिश्तो में क्या आती है खटास?

सप्तम भाव में क्रूर ग्रह या क्रूर ग्रहों की दृष्टि पति-पत्नी में वैमनस्यता लाता है और अलगाव की स्थिति उत्पन्न करता है। ज्यादातर देखा गया है कि (Planetary Relationships in Vedic Astrology) सूर्य जन्म कुंडली में पीड़ित होकर सप्तम भाव में स्थित हो तो जातक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वह गृहस्थ सुख में न्यूनता पाता है। अगर किसी कन्या की जन्म कुंडली में बृहस्पति कमजोर होगा तो उसका वैवाहिक जीवन समस्याओं से भरा रहता है, इसलिए प्रायः विवाह योग्य कन्या को बृहस्पति की पूजा की सलाह दी जाती है।

Planetary Relationships

ग्रहों की ऐसी स्थिति बढ़ाती हैं रिश्तो में दूरियां?

जब ग्रह खराब होते हैं अथवा खराब ग्रहों की दशा जन्म कुंडली में (Planetary Relationships in Vedic Astrology) चलने लगती है तो किसी तीसरे व्यक्ति के प्रभाव के कारण पति-पत्नी के बीच में दूरियां (Relationships) बढ़ने लगती हैं, जो आगे जाकर विनाशक रूप लेती हैं। ग्रह स्थिति के प्रभाव से पति-पत्नी एक-दूसरे से शत्रुवत व्यवहार करने लगते हैं। किसी भी परिचित या अपरिचित व्यक्ति से आलोचना करते हैं और एक-दूसरे को नीचा दिखाना एवं शर्मिन्दा करने का प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में वैवाहिक जीवन टूटने की स्थिति में आ जाता है। लेकिन यदि ग्रह स्थिति अनुसार उपाय सच्चे मन से किया जाए तो तलाक और लड़ाई-झगड़ा, प्रेम और आपसी सहयोग में परिवर्तित हो जाता है।

उपाय

दान-पुण्य, पूजा-पाठ जैसे ज्योतिषीय उपाय यदि यथासमय हो जाएं तो बड़े से बड़ा उलझा हुआ रिश्ता सुलझ जाता है। जन्म कुंडली में जो भी ग्रह कमजोर हो उसका षडबल आदि ज्योतिषीय (Planetary Relationships in Vedic Astrology) मानकों पर आकलन करना चाहिए, जिससे पता चल सके कि कौन सा ग्रह सर्वाधिक बलवान है और कौन सा ग्रह कमजोर, कमजोर ग्रह का उपाय अवश्य करें। पिता का सुख पूर्णतः प्राप्त करने के लिए सूर्य की आराधना करनी चाहिए। जन्म कुंडली में अगर सूर्य कारक हो तो माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए।

पति-पत्नी के बीच अनबन हो तो उन्हें हर गुरूवार को एक साथ लक्ष्मी-नारायण या सीतारामजी के मंदिर जाकर फल, फूल, प्रसाद चढ़ाकर प्रार्थना करनी चाहिए। जिस प्रकार राम-सीता और लक्ष्मी-नारायण का अटूट प्रेम (Planetary Relationships in Vedic Astrology) है, उसी प्रकार उनका भी प्रेम एक दूसरे के प्रति अटूट हो। सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए घर में फिटकरी का टुकड़ा काले कपड़े में बांधकर रखना चाहिए। साथ ही शयनकक्ष में मोरपंख रखें, मोरपंख रखना अतिशुभ माना जाता है। मोरपंख के प्रभाव से नजर आदि नकारात्मक प्रभाव शून्य हो जाता है।

Prachi Chaudhary

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