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जी20 की बैठक: जिनपिंग और पुतिन के दिल्ली नहीं आने का क्या असर हो सकता है?

G20 Summit in Delhi: जी20 की बैठक (G20 meeting) 9 और 10 तारीख को दिल्ली में होने जा रही है। इसकी पूरी तैयारी भी कर ली गई है। दिल्ली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। तीन दिनों तक लिए दिल्ली के कई मार्गों को बंद कर दिया है। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े आयोजन में दो प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और जिनपिंग नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कई सवाल भी उठ रहे हैं। चीन की तरफ से वहां के प्रधानमंत्री ली कियांग दिल्ली आ रहे हैं जबकि रूस की तरफ से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दिल्ली पहुंच रहे हैं।

G20 meeting

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जानकार मान रहे हैं कि दो देशों के प्रमुख के दिल्ली नहीं आने से भारत को झटका लग सकता है। जानकार कह रहे हैं कि भारत जिस विश्वगुरु की राह पर आगे बढ़ रहा है उसे झटका लग सकता है। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जिनपिंग के नहीं आने से निराशा जाहिर की है। जानकार मान रहे हैं कि जिनपिंग की अनुपस्थिति से जी 20 (G20 meeting) को वैश्वाविक आर्थिक सहयोग मंच बनाये रखने की वाशिंगटन की कोशिश और विकासशील देशों के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने के प्रयासों पर असर पड़ेगा। कई जानकार यह भी मान रहे हैं कि चीन के शामिल हुए बिना मुद्दे किसी तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकते।

चीन के राष्ट्रपति आखिर भारत क्यों नहीं आ रहे हैं इसके बारे में चीन ने काेई कारण नहीं बताया है। 2008 में इस समूह को राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर अपग्रेड करने के बाद यह पहली बार है जब कोई चीनी राष्ट्रपति इसमें हिस्सा नहीं ले रहा है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने सिर्फ यही कहा कि हम शिखर सम्मलेन की मेजबानी में भारत का समर्थन करते हैं और इसे सफल बनाने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।

चीन में जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग को दिल्ली भेजने का फैसला क्या दोनों देशों के बीच तनाव दिखाता है? इस पर प्रवक्ता ने कहा कि अभी दोनों देशों के बीच सम्बन्ध स्थिर है। प्रवक्ता ने सीमा विवाद की कोई बात नहीं कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और एक-दूसरे के संपर्क में है। हमारा मानना है कि चीन और भारत के रिश्तों में सुधार और विकास दोनों देशों और देशवासियों के साझा हित में है। हम भारत के साथ बेहतर रिश्तों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।

इधर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि रुसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की अनुपस्थिति का जी 20 की बैठक (G20 meeting) पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। ये दोनों राष्ट्रपति किसी कारण बस भारत नहीं आ रहे हैं लेकिन इनके लोग इस वैश्विक बैठक में आ रहे हैं और वे अपना पक्ष रखेंगे।

दरअसल, दुनिया के 20 विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी 20 में भारत अफ़्रीकी संघों को स्थाई सदस्यता दिलाना चाहता है। भारत ने अफ़्रीकी संघ अतिथि के आमंत्रित किया है। पीएम मोदी ने भारत को ग्लोबल साउथ के स्वंभू नेता के रूप में पेश किया है। जो विकसित और विकासशील पुल की तरह है। संघ को जी 20 में शामिल करने के साथ ही जी 21 में ब्लॉक का विस्तार करने पर जोर दिया है। इसके साथ ही मोदी ने भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देशों को अधिक अधिकार देने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच आम सहमति बनाने के लिए जी 20 (G20 meeting) का इस्तेमाल करने की कोशिश की है।

हालांकि अब दुनिया की नजर जी 20 के बाद संयुक्त बयान पर है क्योंकि भारत जी 20 वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद कोई संयुक्त बायन जारी नहीं कर पाया था। जी 20 की बैठकों में रूस-यूक्रेन का मुद्दा उठता रहा है और सदस्य देशों में इसको लेकर काफी मतभेद है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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