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पुलिस ने पहलवानों पर PMO जाने पर लगाई रोक! विनेश फोगाट ने कर्तव्य पथ पर छोड़ा अर्जुन अवार्ड और खेल रत्न…

Wrestling Controversy: साक्षी मलिक (SAKSHI MALIK) के संन्यास के बाद पहले बजरंग पूनिया और फिर विनेश फोगाट ने अपने अवॉर्ड कर्तव्य सड़क पर छोड़ दिए। 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका ही जाने वाला है और इससे पहले कुछ भाजपा के खिलाफ जा रही है तो यही विवाद है। पहलवान का बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप हैं।

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अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होंगी। मंच पूरी तरह तैयार है। दुनियाभर से सेलेब्स और बड़े नेताओं का जमघट लगेगा। देश ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व राम धुन में मग्न है। बीजेपी के जयकारे लग रहे हैं तो पीएम नरेंद्र मोदी की हर तरफ तारीफ हो रही है। इसके साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल भी जल्द ही बजने वाला है। पार्टी को पूरा भरोसा है कि मोदी के नेतृत्व में जीत की हैट्रिक लगेगी। हाल ही में 3 बड़े राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी जबरदस्त जीत हुई है, जिसने विपक्षी पार्टियों को बैकफुट पर ला दिया है। इस बीच कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा कम कर दी है, जिससे इंटरनेशनल लेवल पर भारत के वर्चस्व और देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख बढ़ गई है। भाजपा के लिए सारी गोटियां फिट हैं, मगर इसमें एक कड़ी जो गड़बड़ हो रही है वह रेसलर्स और रेसलिंग महासंघ के बीच विवाद।

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इस तरह शुरू हुआ विरोध

इसके लिए हमें फ्लैशबैक में जाना होगा। इस साल जनवरी में पहलवानों ने पहली बार बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना शुरू किया था। उन पर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ सहित कई संगीन आरोप लगाए। धरना प्रदर्शन के दौर और दिल्ली में दांव-पेचों के बाद खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई से सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और डब्ल्यूएफआई की आपातकालीन आम सभा बैठक निर्धारित करने को कहा। मंत्रालय ने जांच के लिए कमिटी बनाई तो पहलवानों ने अपना धरना वापस ले लिया। अप्रैल में कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जो सार्वजनिक नहीं की गई। इसके बाद धरना फिर शुरू हो गया। जून में अनुराग ठाकुर द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद विरोध रुका कि बृजभूषण के खिलाफ पुलिस कार्यवाही पूरी हो जाएगी।

फूलों से लदे बृजभूषण शरण सिंह की फोटोज आत्मघाती गोल साबित हुईं

खैर, इसी महीने चुनाव हुए तो Sanjay singh नए अध्यक्ष बने। sanjay singh को बृजभूषण सिंह का करीबी माना जाता है। चुनाव नतीजों के बाद यह दिखा भी। जश्न के दौरान जहां संजय सिंह के गले में एक माला थी तो बृजभूषण सिंह माले से लदे हुए थे। इन तस्वीरों ने आत्मघाती गोल का काम किया। इससे संदेश गया कि कुर्सी पर भले ही संजय सिंह बैठेंगे, लेकिन बृजभूषण सिंह ही राज करेंगे। आनन-फानन में इकलौती ओलिंपिक मेडल विनर महिला पहलवान साक्षी मलिक ने रोते हुए मेज पर अपनी बूट रखकर संन्यास का ऐलान किया तो बजरंग पूनिया ने अपना अवॉर्ड पीएम हाउस के आगे रखकर विरोध जताया। खेल मंत्रालय ने चुनाव में जीते सभी सदस्यों को आयोग्य घोषित कर दिया।

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WRESTLERS का किसान कनेक्शन और 2024 लोकसभा दांव पर

यह तो पूरा सार रहा कुश्ती और BJP के एक नेता की रस्साकशी का। अब समझते हैं इसका 2024 से क्या कनेक्शन है। दरअसल, कुश्ती जमीन से जुड़ा खेल माना जाता है, जबकि पहलवानी किसान के बच्चे करते हैं। अधिकतर बड़े पहलवान पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से आते हैं। बृजभूषण सिंह और सरकार के खिलाफ आंदोलन में पहलवान अकेले नहीं हैं। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 50 से ज्यादा खाप पंचायतों का भी पहलवानों को सपोर्ट है। पहलवान का विरोध जारी रहा और उनकी मांग नहीं मानी गई तो भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा के सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। यूपी से 62 सीटें मिली थीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाजपा ने 17 में 14 सीट जीते थे।

पहलवानों की नाराजगी क्यों BJP के गले की हड्डी बनेगी

जाहिर सी बात है कि चुनाव में विपक्ष के पास यह मुद्दा है। बृजभूषण सिंह पर जैसे आरोप हैं उससे BJP की छवि पर नकारत्मक असर पड़ रहा है। महिला सुरक्षा भारत में बड़ा रहा मुद्दा है। पार्टियां चुनाव से पहले इसे लेकर काफी वादें करती हैं। ऐसे में यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोपी को पार्टी बचाने की कोशिश करेगी तो उससे छवि खराब होनी ही है। इस असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता है। सिर्फ हरियाणा या पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी इसका असर दिख सकता है।

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विपक्ष के पास अभी सरकार के विरूद्ध कुछ खास मुद्दे नहीं हैं। ऐसे में उनके लिए wrestlers का आरोप उम्मीद की किरण जैसी दिख रही है। Rahul gandhi हाल में ही बजरंग पूनिया से मिलने पहुंचे थे। धरना के दौरान भी AAP और Congress के नेता जंतर-मंतर पहुंच रहे थे। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेर रही है। अगर यह विवाद चलता रहा तो चुनाव के पास आने तक और भी ज्यादा गंभीर हो सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों और किसान संगठनों के एक इशारे पर वोट का गणित बदल जाता है। अगर यहां दांव उल्टा पड़ा तो विरोध में एक आवाज से विपक्षी को काफी फायदा होगा।

साक्षी मलिक ने संन्यास से लिया है। बजरंग ने पद्म अवॉर्ड वापस किया। इसके बाद सरकार ने नए कुश्ती संघ को भंग कर दिया। अब विनेश फोगाट ने अवॉर्ड वापस करने का ऐलान किया और उसे कर्तव्य पथ पर भी छोड़ दिया। उन्हें भी पता है कि सामने चुनाव हैं। सरकार से अपनी मांग मनवाने का इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता है। इसी वजह से वह सरकार को बैकफुट पर भेजने के लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाह रही है। दूसरी ओर, बीजेपी और उसके नेता राजनीति की आग में तपकर कुंदन बने हैं। वह देखना होगा कि कब कौन सा दांव चलना है।

Prachi Chaudhary

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