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19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक पर टिकी है विपक्षी एकता की कहानी

Political News: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए तैयार हुआ इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा यह 19 दिसंबर को तय हो सकता है। इस तारीख को विपक्षी एकता की बैठक लम्बे समय के बाद होने जा रही है। इसी तारीख को यह भी तय होगा कि नीतीश कुमार को इस गठबंधन में कोई बड़ा पद मिलता है या नहीं। उन्हें संयोजक बनाने की मांग लम्बे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस इस मसले पर चुप्पी ओढ़े हुए हैं। उधर पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जिस तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस का रवैया सपा ,जदयू और आप पार्टी के साथ रहा उससे इंडिया गठबंधन के भीतर नाराजगी भी सामने आयी। अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर कई तरह से हमले भी किये। नाराज जदयू के लोग भी हुए और आप पार्टी भी नाराज हो गई। तीनो दलों ने अपने -अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे और परिणाम यही हुआ कि कांग्रेस के हाथ से मध्यप्रदेश निकल गया।

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नाराज नीतीश कुमार ने फिर अलग से वाराणसी में रैली करने की बात की। इसकी तैयारी चल ही रही थी कि अभी जो खबर आयी है उसके मुताबिक जदयू की वराणसी रैली फिलहाल टाल दी गई है। स्थानीय प्रशासन ने रैली के लिए जगह देने से इंकार कर दिया है। नीतीश कुमार वाराणसी में रैली करके कुर्मी -कोइरी बहुल इस इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने की तैयारी में है। कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ सकते हैं तो कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन अब जब 24 दिसंबर की रैली को रोक दिया गया तब आगे क्या होगा इसे देखने की बात होगी।

नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं अब इसका फैसला 19 दिसंबर की इंडिया गठबंधन की बैठक में तय की जाएगी। जानकर कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में कई बातो को साफ़ किया जाना है। पहली बात तो यह है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात है। दूसरी बात यह है कि सीट शेयरिंग पर क्या समीकरण बनते हैं। और तीसरी बात यह है कि हिन्दी गठबंधन के बड़े नेताओं की साझा रैली खान -खान और कैसे की जाए ताकि गठबंधन से जुड़े सभी बड़े नेता नीतीश कुमार ,ममता बनर्जी ,शरद पवार ,राहुल गाँधी ,खड़गे ,लालू यादव जैसे नेता एक मंच को साझा करें। अगर ये बाटे तय हो जाती है टी गठबंधन को आगे बढ़ाया जा सकता है। आगे ये बातें तय नहीं होगी तो संभव है कि गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता।
अभी कांग्रेस बैक फुट पर आ गई है। पांच राज्यों के चुनाव में से तीन राज्यों में बीजेपी की जीत हुई है। ऐसे में दो राज्यों को कांग्रेस ने खोया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत की सम्भावना थी लेकिन वाहन भी हार गई। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां वह हर गई। ऐसे में कांग्रेस चाहे जो भी दावा करे उसकी कमजोरी सामने आ गयी है और अब वह सीट शेयरिंग को लेकर कोई बड़ा दवाब नहीं बना सकती। एक और मामला है। वह है पीएम उम्मीदवार को लेकर। सूत्रों के मुताबिक अभी नीतीश कुमार भी चाहते है कि भले ही अभी पीएम चेहरा की घोषणा नहीं हो लेकिन संयोजक की घोषणा तो की जानी चाहिए और सीट का बंटवारा हो जाना चाहिए। अगर इस बैठक में सब कुछ तय हो जाएगा तभी इंडिया गठबंधन आगे बढ़ पायेगा

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नीतीश कुमार यूपी से लेकर झारखंड में अपनी पार्टी का विस्तार चाहते हैं। पूर्वी यूपी के कुछ सीटों पर जदयू चुनाव लड़ने की रणनीति बना भी रही है। जहाँ जातीय समीकरण अनुकूल होगा वहां जदयू चुनाव लड़ भी सकती है लेकिन खेल में अखिलेश यादव पर सहयोग जरुरी है। नीतीश कुमार यह भी चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में सभी बातें तय हो जानी चाहिए। अगर गठबंधन चाहेगी कि नीतीश कुमार वाराणसी से चुनाव लाडे या फिर फूलपुर से चुनाव लड़े तो नीतीश चुनाव भी लड़ सकते हैं और मोदी को चुनौती भी दे सकते हैं। लेकिन नीतीश कुमार यह नहीं चाहते हैं कि उनका हश्र केजरीवाल वाला हो जाए। वाराणसी चुनाव में पहली बार मोदी के खिलाफ खेजरीवाल मैदान में उतरे थे ,हार गए। नीतीश की समझ यह है कि अगर सभी दल मिलकर उनका साथ देता है तो वे वाराणसी के चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए इंडिया गठबंधन की यह बैठक काफी अहम् माना जा रहा है। इस बैठक में ही यह तय हो जायेगा कि गठबंधन आगे चलेगा यह नहीं।

आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए तैयार हुआ इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा यह 19 दिसंबर को तय हो सकता है। इस तारीख को विपक्षी एकता की बैठक लम्बे समय के बाद होने जा रही है। इसी तारीख को यह भी तय होगा कि नीतीश कुमार को इस गठबंधन में कोई बड़ा पद मिलता है या नहीं। उन्हें संयोजक बनाने की मांग लम्बे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस इस मसले पर चुप्पी ओढ़े हुए हैं। उधर पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जिस तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस का रवैया सपा ,जदयू और आप पार्टी के साथ रहा उससे इंडिया गठबंधन के भीतर नाराजगी भी सामने आयी। अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर कई तरह से हमले भी किये। नाराज जदयू के लोग भी हुए और आप पार्टी भी नाराज हो गई। तीनो दलों ने अपने -अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे और परिणाम यही हुआ कि कांग्रेस के हाथ से मध्यप्रदेश निकल गया।
नाराज नीतीश कुमार ने फिर अलग से वाराणसी में रैली करने की बात की। इसकी तैयारी चल ही रही थी कि अभी जो खबर आयी है उसके मुताबिक जदयू की वराणसी रैली फिलहाल टाल दी गई है। स्थानीय प्रशासन ने रैली के लिए जगह देने से इंकार कर दिया है। नीतीश कुमार वाराणसी में रैली करके कुर्मी -कोइरी बहुल इस इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने की तैयारी में है। कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ सकते हैं तो कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन अब जब 24 दिसंबर की रैली को रोक दिया गया तब आगे क्या होगा इसे देखने की बात होगी।

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नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं अब इसका फैसला 19 दिसंबर की इंडिया गठबंधन की बैठक में तय की जाएगी। जानकर कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में कई बातो को साफ़ किया जाना है। पहली बात तो यह है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात है। दूसरी बात यह है कि सीट शेयरिंग पर क्या समीकरण बनते हैं। और तीसरी बात यह है कि हिन्दी गठबंधन के बड़े नेताओं की साझा रैली खान -खान और कैसे की जाए ताकि गठबंधन से जुड़े सभी बड़े नेता नीतीश कुमार ,ममता बनर्जी ,शरद पवार ,राहुल गाँधी ,खड़गे ,लालू यादव जैसे नेता एक मंच को साझा करें। अगर ये बाटे तय हो जाती है टी गठबंधन को आगे बढ़ाया जा सकता है। आगे ये बातें तय नहीं होगी तो संभव है कि गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता।
अभी कांग्रेस बैक फुट पर आ गई है। पांच राज्यों के चुनाव में से तीन राज्यों में बीजेपी की जीत हुई है। ऐसे में दो राज्यों को कांग्रेस ने खोया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत की सम्भावना थी लेकिन वाहन भी हार गई। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां वह हर गई। ऐसे में कांग्रेस चाहे जो भी दावा करे उसकी कमजोरी सामने आ गयी है और अब वह सीट शेयरिंग को लेकर कोई बड़ा दवाब नहीं बना सकती। एक और मामला है। वह है पीएम उम्मीदवार को लेकर। सूत्रों के मुताबिक अभी नीतीश कुमार भी चाहते है कि भले ही अभी पीएम चेहरा की घोषणा नहीं हो लेकिन संयोजक की घोषणा तो की जानी चाहिए और सीट का बंटवारा हो जाना चाहिए। अगर इस बैठक में सब कुछ तय हो जाएगा तभी इंडिया गठबंधन आगे बढ़ पायेगा।नीतीश कुमार यूपी से लेकर झारखंड में अपनी पार्टी का विस्तार चाहते हैं। पूर्वी यूपी के कुछ सीटों पर जदयू चुनाव लड़ने की रणनीति बना भी रही है। जहाँ जातीय समीकरण अनुकूल होगा वहां जदयू चुनाव लड़ भी सकती है लेकिन खेल में अखिलेश यादव पर सहयोग जरुरी है। नीतीश कुमार यह भी चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में सभी बातें तय हो जानी चाहिए। अगर गठबंधन चाहेगी कि नीतीश कुमार वाराणसी से चुनाव लाडे या फिर फूलपुर से चुनाव लड़े तो नीतीश चुनाव भी लड़ सकते हैं और मोदी को चुनौती भी दे सकते हैं। लेकिन नीतीश कुमार यह नहीं चाहते हैं कि उनका हश्र केजरीवाल वाला हो जाए। वाराणसी चुनाव में पहली बार मोदी के खिलाफ खेजरीवाल मैदान में उतरे थे ,हार गए। नीतीश की समझ यह है कि अगर सभी दल मिलकर उनका साथ देता है तो वे वाराणसी के चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए इंडिया गठबंधन की यह बैठक काफी अहम् माना जा रहा है। इस बैठक में ही यह तय हो जायेगा कि गठबंधन आगे चलेगा यह नहीं।

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आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए तैयार हुआ इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा यह 19 दिसंबर को तय हो सकता है। इस तारीख को विपक्षी एकता की बैठक लम्बे समय के बाद होने जा रही है। इसी तारीख को यह भी तय होगा कि नीतीश कुमार को इस गठबंधन में कोई बड़ा पद मिलता है या नहीं। उन्हें संयोजक बनाने की मांग लम्बे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस इस मसले पर चुप्पी ओढ़े हुए हैं। उधर पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जिस तरह से मध्यप्रदेश में कांग्रेस का रवैया सपा ,जदयू और आप पार्टी के साथ रहा उससे इंडिया गठबंधन के भीतर नाराजगी भी सामने आयी। अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर कई तरह से हमले भी किये। नाराज जदयू के लोग भी हुए और आप पार्टी भी नाराज हो गई। तीनो दलों ने अपने -अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे और परिणाम यही हुआ कि कांग्रेस के हाथ से मध्यप्रदेश निकल गया।
नाराज नीतीश कुमार ने फिर अलग से वाराणसी में रैली करने की बात की। इसकी तैयारी चल ही रही थी कि अभी जो खबर आयी है उसके मुताबिक जदयू की वराणसी रैली फिलहाल टाल दी गई है। स्थानीय प्रशासन ने रैली के लिए जगह देने से इंकार कर दिया है। नीतीश कुमार वाराणसी में रैली करके कुर्मी -कोइरी बहुल इस इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने की तैयारी में है। कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ सकते हैं तो कोई यह भी कह रहा है कि नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन अब जब 24 दिसंबर की रैली को रोक दिया गया तब आगे क्या होगा इसे देखने की बात होगी।

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नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं अब इसका फैसला 19 दिसंबर की इंडिया गठबंधन की बैठक में तय की जाएगी। जानकर कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में कई बातो को साफ़ किया जाना है। पहली बात तो यह है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात है। दूसरी बात यह है कि सीट शेयरिंग पर क्या समीकरण बनते हैं। और तीसरी बात यह है कि हिन्दी गठबंधन के बड़े नेताओं की साझा रैली खान -खान और कैसे की जाए ताकि गठबंधन से जुड़े सभी बड़े नेता नीतीश कुमार ,ममता बनर्जी ,शरद पवार ,राहुल गाँधी ,खड़गे ,लालू यादव जैसे नेता एक मंच को साझा करें। अगर ये बाटे तय हो जाती है टी गठबंधन को आगे बढ़ाया जा सकता है। आगे ये बातें तय नहीं होगी तो संभव है कि गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता।
अभी कांग्रेस बैक फुट पर आ गई है। पांच राज्यों के चुनाव में से तीन राज्यों में बीजेपी की जीत हुई है। ऐसे में दो राज्यों को कांग्रेस ने खोया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत की सम्भावना थी लेकिन वाहन भी हार गई। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां वह हर गई। ऐसे में कांग्रेस चाहे जो भी दावा करे उसकी कमजोरी सामने आ गयी है और अब वह सीट शेयरिंग को लेकर कोई बड़ा दवाब नहीं बना सकती। एक और मामला है। वह है पीएम उम्मीदवार को लेकर। सूत्रों के मुताबिक अभी नीतीश कुमार भी चाहते है कि भले ही अभी पीएम चेहरा की घोषणा नहीं हो लेकिन संयोजक की घोषणा तो की जानी चाहिए और सीट का बंटवारा हो जाना चाहिए। अगर इस बैठक में सब कुछ तय हो जाएगा तभी इंडिया गठबंधन आगे बढ़ पायेगा।

नीतीश कुमार यूपी से लेकर झारखंड में अपनी पार्टी का विस्तार चाहते हैं। पूर्वी यूपी के कुछ सीटों पर जदयू चुनाव लड़ने की रणनीति बना भी रही है। जहाँ जातीय समीकरण अनुकूल होगा वहां जदयू चुनाव लड़ भी सकती है लेकिन खेल में अखिलेश यादव पर सहयोग जरुरी है। नीतीश कुमार यह भी चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में सभी बातें तय हो जानी चाहिए। अगर गठबंधन चाहेगी कि नीतीश कुमार वाराणसी से चुनाव लाडे या फिर फूलपुर से चुनाव लड़े तो नीतीश चुनाव भी लड़ सकते हैं और मोदी को चुनौती भी दे सकते हैं। लेकिन नीतीश कुमार यह नहीं चाहते हैं कि उनका हश्र केजरीवाल वाला हो जाए। वाराणसी चुनाव में पहली बार मोदी के खिलाफ खेजरीवाल मैदान में उतरे थे ,हार गए। नीतीश की समझ यह है कि अगर सभी दल मिलकर उनका साथ देता है तो वे वाराणसी के चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए इंडिया गठबंधन की यह बैठक काफी अहम माना जा रहा है। इस बैठक में ही यह तय हो जायेगा कि गठबंधन आगे चलेगा यह नहीं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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