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New Indian Judicial Code: नए आपराधिक कानून में बदलाव की पूरी डिटेल्स, सजा से लेकर जुर्म तक में हुए अहम बदलाव

New Indian Judicial Code Law | new laws will replace IPC-CRPC

New Indian Judicial Code: अब देश में आईपीसी-सीआरपीसी की जगह तीन नए कानून (New Indian Judicial Code) लेंगे। ये कानून हैं भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। नए कानून में देशद्रोह को खत्म कर दिया गया है। आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। जानिए नए कानून में क्या हैं बड़े बदलाव।

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने की घोषणा की है। ये कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह लेंगे। नए कानूनों में कई अहम बदलाव भी किए गए हैं, जैसे देशद्रोह को हटा दिया गया है। आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा स्पष्ट कर दी गई है। यौन अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। इन कानूनों का उद्देश्य कानूनी व्यवस्था को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।

एक जुलाई से लागू होंगे नए कानून

देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आवश्यक बदलावों के मद्देनजर 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होंगे। ये तीन कानून हैं भारतीय नागरिक संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)। ये कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह लेंगे। तीनों नए कानून पिछले साल मानसून सत्र में पेश किए गए थे और 21 सितंबर को संसद से मंजूरी मिल गई थी। उसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी थी। जानिए नए कानूनों में क्या बदलाव हुए है।

IPC-CrPC से इतने अलग ये नए कानून

IPC की जगह लेने वाले भारतीय न्यायिक संहिता में 358 धाराएं हैं, जबकि आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जिसने सीआरपीसी की जगह ली, में पिछले 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जिसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह ली, में 170 धाराएं हैं। ये पिछले कानून IEA के 166 से थोड़ा अधिक हैं। नये कानून में (New Indian Judicial Code) कई बड़े बदलाव भी किये गये हैं। इसमें देशद्रोह की बात हटा दी गई है। हालाँकि, सशस्त्र क्रांति, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्रवाइयों के कारण होने वाला राजद्रोह अभी भी आपराधिक अपराध माना जाएगा।

नए कानूनों में क्या है खास

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि राजद्रोह (Bharatiya Nyaya Sanhita News) तभी लागू होगा जब यह देश की अखंडता, संप्रभुता और एकता के खिलाफ हो, न कि सिर्फ सरकार के खिलाफ। सरकार की आलोचना करने की अनुमति है, लेकिन देश के झंडे, सुरक्षा या संपत्ति में हस्तक्षेप करने पर जेल हो सकती है। नए कानून आतंकवादी गतिविधियों को भी परिभाषित करते हैं जो केंद्र सरकार, किसी राज्य, विदेशी सरकार या अंतरराष्ट्रीय सरकारी संगठन की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। पहली बार आतंकवाद को परिभाषित कर दंडनीय अपराध बनाया गया है।

आतंकवाद पर लिखा सख्त एक्शन

नए कानूनों के (New Indian Judicial Code) तहत देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले को आतंकवादी माना जाएगा। इसमें खास बात यह है कि यदि कोई आरोपी व्यक्ति भारत से बाहर छिपा हुआ है तो भी उसके खिलाफ मामला दर्ज (Bharatiya Nyaya Sanhita News) किया जा सकता है। मामला तभी आगे बढ़ेगा जब वह 90 दिनों के भीतर अदालत में पेश होने में विफल रहेगा। ऐसे मामलों में, मामले की सुनवाई आरोपी व्यक्ति की अनुपस्थिति में की जाएगी और अभियोजन के लिए एक लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाएगी।

लड़कियों और बच्चों पर अपराध में सख्ती

नए कानून में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों का भी जिक्र है। अभियुक्त व्यक्तियों को दंड संहिता के उदार प्रावधानों का लाभ उठाने से रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामले (Bharatiya Nyaya Sanhita News) को पॉक्सो से जोड़ा गया है। ऐसे मामलों में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है। सामूहिक बलात्कार के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म को नये अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कुल मिलाकर नए कानून बनाने का उद्देश्य कानूनी व्यवस्था को आधुनिक जरूरतों के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।

Prachi Chaudhary

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