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UP Cabinet Minister convicted:कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता को एक साल की सजा, 10 हजार का जुर्माना

इस मामले में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता सहित तीन लोग नामजद थे। इस मामले का ट्रॉयल इलाहाबाद की एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहा था। बुधवार को इस केस में फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता, नीरज गुप्ता और निजामुद्दीन को 1-1 साल की सजा सुनायी है। इसके साथ ही तीनों पर 10-10 हज़ार रुपयें का जुर्माना लगाया गया है। नंद गोपाल को सजा सुनाने के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।

प्रयागराज। एमपी एमएलए कोर्ट ने आपराधिक मामले में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता दोषी सहित तीन लोगों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता को एक साल की सजा (UP Cabinet Minister convicted) सुनाई है। इसके साथ ही उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।


एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डॉ दिनेश चन्द्र शुक्ल ने नंद गोपाल गुप्ता व अन्य को आईपीसी की धारा 147 के तहत एक साल की सजा व पांच हजार का जुर्माना, धारा 149 व 323 के तहत छह माह सजा व पांच हजार का जुर्माना की सजा सुनायी।

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बता दें कि थाना मुट्ठीगंज( MuththiGanj Police Station) वादी बैंकटर रमण ने 3 मई, 2014 को उनके खिलाफ हंगामा, मारपीट करने व अन्य आरोपों में मामला दर्ज कराया था। उस समय वे लोकसभा के चुनाव में उम्मीदवार थे। उस समय उनकी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से झड़प हुई थी।

इस मामले में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता( Cabinet Minister Nand Gopal Gupta) सहित तीन लोग नामजद थे। इस मामले का ट्रॉयल इलाहाबाद की एमपी एमएलए कोर्ट(Allahabad MP-MLA Court) में चल रहा था। बुधवार को इस केस में फैसला सुनाया गया।

कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता

कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता, नीरज गुप्ता और निजामुद्दीन को 1-1 साल की सजा सुनायी है। इसके साथ ही तीनों पर 10-10 हज़ार रुपयें का जुर्माना लगाया गया है।नंद गोपाल को सजा सुनाने के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।

संविधान के अनुसार यदि कोर्ट किसी व्यक्ति को तीन साल या इससे कम की सजा सुनाती है, तो उसे तुरंत जमानत मिल जाती है। जमानत मिलने पर वह जेल जाने बच जाता है। इसके साथ ही उसे सजा सुनाये जाने वाली अदालत के फैसले के खिलाफ ऊपरी यानी हाईकोर्ट में चुनौती देने का अधिकार होता है।मंत्री नंद गोपाल गुप्ता को एक साल की सजा होने से उनकी विधायकी व मंत्री पद बना रहेगा। यदि उन्हें तीन साल से अधिक की सजा होती तो उनके मंत्री पद पर बने रहने का खतरा हो सकता था।

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