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शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले ,वतन पर मरने वालो का यही बाकी निशा होगा…

आज बात करेंगे यूपी के कुशीनगर जिले के रहने वाले पूर्व विधायक रामसकल त्रिपाठी (Ramskal Tripathi) के छोटे बेटे अमिय त्रिपाठी की जो भारतीय सेना (Indian Army) में मेजर पद पर थे जो बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखे थे,सपना ऐसा की जान की परवाह तक नही थी,देश की आन बान शान के लिए वह हर दम तैयार रहते थे तभी तो 90 के दशक में शुरू हुआ आतंकवाद धीरे धीरे बढ़ता गया

यह पंक्ति कुशीनगर (Kushinagar) के माटी के लाल Shaheed मेजर अमिय त्रिपाठी खूब फबती है. 25 मई 2004 को जम्मू के कुपवाड़ा (Kupwara) जिले के डोडा में आतंकियों (Terrorists) से लड़ते हुए शहीद हुए मेजर अमिय त्रिपाठी (Major Amiya Tripathi) ने 3 आतंकियों मारकर अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया था इस मुठभेड़ में मेजर अमिय के साथ उनके सहायक जवान की भी वीरगति को.  शहादत के 19 साल बीत जाने के बावजूद उनकी पुण्यतिथि हर साल मैराथन दौड़ (Marathon Munning) के साथ भव्य आयोजन होता है साथ ही गणतंत्र दिवश की पूर्वसंध्या पर दीपांजलि कार्यक्रम आयोजित कर शहीद मेजर त्रिपाठी के साथ देश पर जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है शहीद मेजर अमिय त्रिपाठी की जीवनी.यूपी के कुशीनगर जिले के भेलया चंद्रौटा गांव के रहने वाले अमिय त्रिपाठी जो आतंकवादियों से लोहा लिए हुए  25 मई 2004 को जम्‍मू कश्‍मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गए।सरकार ने भी शहीद जवान के परिवार को जो मदद बन सकी किये साथ ही भारत सरकार ने वीर चक्र से सम्मानित भी किया उनकी इस बहादुरी के लिए.

आज बात करेंगे यूपी के कुशीनगर जिले के रहने वाले पूर्व विधायक रामसकल त्रिपाठी (Ramskal Tripathi) के छोटे बेटे अमिय त्रिपाठी की जो भारतीय सेना (Indian Army) में मेजर पद पर थे जो बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखे थे,सपना ऐसा की जान की परवाह तक नही थी,देश की आन बान शान के लिए वह हर दम तैयार रहते थे तभी तो 90 के दशक में शुरू हुआ आतंकवाद धीरे धीरे बढ़ता गया,जिस वजह से आतंकवाद रोकने और उनके मकसद को रोकने के लिए ऑपरेशन रक्षक (Operation Guard) तक चलाया गया,फिर वह दिन आ गया मेजर अमिय त्रिपाठी के लिए जब कुछ आतंकवादियों के छुपे होने की सूचना मिली फिर क्या बिना देरी गवाए मेजर सिर पर कफन बांधे ऑपरेशन रक्षक की कमान संभाली. दिन था  25 मई 2004 का जहां कुपवाड़ा में चार आतंकवादियों ने एक घर में कुछ लोगो को बंधक बना कर छुपे हुए थे,लोगो को सुरक्षित बचाना और आतंकवादियों को खत्म करना चुनौती थी,मेजर अमिय त्रिपाठी बिना देरी किये इन आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए ऑपरेशन रक्षक की पूरी ज़िमेदारी लेते अपने साथ कुछ सहयोगियों के साथ मौके पर सीना तान आतंकवादियों से गोली बारूद की परवाह किये बगैर आगे बढ़े की आतंकवादियों ने गोली चलानी शुरू कर दी,जिसकी जवाबी कार्यवाही करते हुए भारतीय सेना ने भी जवाब दिया जिसके बाद चार आतंकवादियों को मार गिराया गया,लेकिन इस मुठभेड़ में मेजर अमिय त्रिपाठी शहीद हो गए साथ ही उनके एक और सहयोगी भी आतंकवादियों की गोली लगने से शहीद हुए.

कुशीनगर (Kushinagar) के तमकुही विकास खंड (development block)  के ग्राम पंचायत भेलया निवासी शहीद मेजर अमिय त्रिपाठी के बड़े भाई अभय त्रिपाठी कहते है कि शहीद मेजर अमिय त्रिपाठी बचपन से सेना में जाने के इछुक थे तभी उन्होंने 5 वी तक कि पढ़ाई कुशीनगर में करने के बाद वह आगे की पढ़ाई लखनऊ के सैनिक स्कूल (Military School) में एडमिशन लिए और 12क्लास पास की परिवार की इच्छा थी कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें लेकिन अमिय त्रिपाठी सेना में जाने का मन बना चुके है,1990 वह भारतीय सेना में शामिल हुए जिन्हें असिस्टेंट लेफिटनेंट के तौर 1996 में तवांग में पहली पोस्टिंग हुई,जिसके बाद अमिय त्रिपाठी पंजाब,राजस्थान, एडीसीटू में कमांडेंट बने और जम्मू कश्मीर में भी अपनी सेवा दिए,फिर नार्थ ईस्ट के बाद उन्हें फिर 2001 में उन्हें जम्मू कश्मीर में भेजा गया।2002 में सिक्ख रेजिमेंट के आर आर बने और 25 मई 2004 को वीर गति को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.

शहीद मेजर अमिय त्रिपाठी की शहादत के बाद शहीद की पत्नी रंजना त्रिपाठी भी अपनी पति के शोर्य को अपने इकलौते बेटे कुशाग्र में देखना चाहती थी,पति के शहादत के बाद अपने ढाई साल के इकलौते बेटे को सेना में भेजने का फैसला लिया और मां की उम्मीदों और पिता के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए बेटे कुशाग्र उर्फ आयुष त्रिपाठी ने मुसीबतों को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया और न ही हालात से समझौता किया। पूरी मेहनत और लगन से सेंट फ्रांसिस स्कूल लखनऊ से हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। इसके बाद दिल्ली से स्नातक किया। उसी दौरान कुशाग्र तैयारी में जुटे रहे। उनकी मेहनत और माता-पिता का आशीर्वाद रंग लाया। सीडीएस (संयुक्त रक्षा सेवा) की ओर से आयोजित परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किए। उनका चयन लेफ्टिनेंट के पद पर वर्ष 2023 में उनका प्रशिक्षण पूरा हुआ।लेकिन उनकी माँ देखा हुआ सपना वह खुद नही देख पाई और 50 वर्ष की आयु में लंबे बीमारी के चलते उनका देहांत हो गया.

Prachi Chaudhary

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