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Nitish’s party Jodo Yatra: यात्रा पर यात्रा ,अब होगी सीएम नीतीश की पार्टी जोड़ो यात्रा !

राजनीति का यह सच लुभाती भी भरमाती भी है भी है। लोकतंत्र का यह नायाब खेल चलता रहता रहता है और लोभी जनता इस खेल में डूबकी लगाती रहती है। भारत में यात्रा का अपना ही महत्व है। इतिहास गवाह है कि जब -जब नेताओं ने यात्रा की ,परिणाम सार्थक ही मिले। अभी तक ऐसी कोई यात्रा नहीं रही जिसके परिणाम सामने नहीं आये।

अखिलेश अखिल: कबीर दास के निर्गुण को याद कीजिये -कौन ठगवा नगरिया लूटल हो — ठग और प्रपंची राजनीति वादे तो बहुत कुछ करती है लेकिन वही राजनीति जब सत्ता पर बैठती है तब वादे पुरे होने की आस में टकटकी लगाई जनता को निराशा से ज्यादा कुछ नहीं मिलती। राजनीति का यह सच लुभाती भी  भरमाती भी है भी है। लोकतंत्र का यह नायाब खेल चलता रहता रहता है और लोभी जनता इस खेल में डूबकी लगाती रहती है। भारत में यात्रा का अपना ही महत्व है। इतिहास गवाह है कि जब -जब नेताओं ने यात्रा की ,परिणाम सार्थक ही मिले। अभी तक ऐसी कोई यात्रा नहीं रही जिसके परिणाम सामने नहीं आये। यात्रा चाहे धार्मिक रही हो या फिर राजनीतिक। जिसने भी यात्रा की भारतीय जनमानस को प्रभावित किया। जनता ने  उस यात्रा का स्वागत किया। गाँधी की डंडी मार्च  की बात हो या फिर  चद्रशेखर की भारत यात्रा की कहानी। आडवाणी की रथ यात्रा की बात हो या फिर  दक्षिण में जगन रेड्डी की यात्रा की कहानी। परिणाम बेहतर ही निकले। शंकराचार्य ने भी धर्म की स्थापना  के लिए भारत भ्रमण किया था। आज भी आदिगुरु की वह यात्रा धार्मिक ग्रंथों में पैबस्त है और उसकी प्रशंसा की जाती है।  अब तो राजनीतिक यात्राओं झरी लग गई है।

दक्षिण में चंद्रबाबू यात्रा निकाल रहे हैं। आंध्रप्रदेश की राजनीति को पलटने की मंशा पाले चंद्रबाबू (Chandrababu) आंध्रा को नाप रहे हैं। जमींदोज हो चुकी कांग्रेस दक्षिण से उत्तर भारत तक राहुल गांधी  नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। उधर बिहार में कांग्रेस की यात्रा चल रही है तो सीएम नीतीश कुमार भी बिहार के मिजाज को समझने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं। उन्हें बीजेपी से लड़ना जो है। लेकिन बिहार की यात्रा के बाद नीतीश नीतीश कुमार भारत की यात्रा भी करेंगे। कहा जा रहा है कि नीतीश की वह यात्रा पार्टी जोड़ो यात्रा होगी। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार भारत की यात्रा करेंगे। इसकी तैयारी की जा रही है। खबर है कि यह यात्रा फरवरी के बाद शुरू होगी। इस यात्रा में समाजवादी परिवार को जोड़ने की बात है साथ ही सामान विचारधारा वाले दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश। मकसद है अगले चुनाव में बीजेपी को पस्त करने का। उधर बीजेपी भी यात्रा की तैयारी कर रही है। कई राज्यों में उसकी यात्रा भी निकलेगी। लेकिन अभी नीतीश की यात्रा पर ही फोकस किया जाए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में अपनी एक नई यात्रा शुरू की है और कहा है कि वे जल्दी ही देश की यात्रा पर निकलेंगे। बताया जा रहा है कि देश की यात्रा से उनका मतलब विपक्ष को एकजुट करने की यात्रा है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पश्चिम चंपारण जिले के बगहा समाधान यात्रा शुरू की। कड़ाके की ठंड के बीच मुख्यमंत्री बगहा से दरुआबाड़ी गांव पहुंचे। उन्होंने सरकारी योजनाओं का हाल जाना।

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चंद्रबाबू फाइल फोटो

इस दौरान नीतीश (Nitish Kumar) कुमार ने कहा कि वे बजट सत्र के बाद मैं देश की यात्रा पर निकलेंगे। उन्होंने कहा- पहले अपने राज्य का विकास देख रहे हैं। यहां के सारे काम पूरे करेंगे। इसके बाद आगे बढ़ेंगे। बजट सत्र पूरा होने के बाद हम देश की यात्रा पर निकलेंगे। इससे पहले दरुआबाड़ी गांव की लड़कियों ने मुख्यमंत्री से स्कूल बनाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से तुरंत इस मामले को देखने और समाधान के लिए कहा।

बगहा के बाद नीतीश कुमार बेतिया पहुंचे। यहां पर उन्होंने जन प्रतिनिधियों और अफसरों के साथ विकास कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री की पहले चरण की यात्रा 29 जनवरी को लखीसराय में समाप्त होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यात्रा को लेकर ट्विटर पर लिखा- समाधान यात्रा के तहत बिहार में विकास कार्यों की प्रगति और योजनाओं पर अमल की स्थिति का जायजा लेने के लिए आज से राज्य के विभिन्न जिलों की यात्रा करूंगा। इस यात्रा में महत्वपूर्ण योजनाओं का निरीक्षण, चिन्हित समूहों के साथ बैठक तथा जिलास्तरीय समीक्षा बैठक की जाएगी। इससे विकास कार्यों को गति मिलेगी तथा लोगों की समस्याओं का समाधान होगा।         

अब एक बड़ा सवाल। गरीब बिहार की असली समस्या क्या है ? गरीबी और बेकारी। बाढ़ का स्थाई निदान और सूबे में रोजगार बढ़ाने के लिए उद्योगों की स्थापना। 2005 से ही नीतीश कुमार बिहार को हाँक रहे हैं। जब सत्ता में लौट रहे थे तो यही कहा था कि बिहार विकसित राज्य बनेगा ,लोगों को रोजगार मिलेगा ,बाढ़ का समाधान होगा ,पलायन रुक जाएगा और स्वास्थ्य ,शिक्षा की हालत बेहतर होगी। इसके साथ ही जोड़ देकर यह भी कहा गया था कि बिहार में उद्योगों का जाल होगा और बिहारी युवाओं को बिहार से बहार जाने की जरूरत नहीं होगी। क्या इन सवालों का उत्तर बिहारी समाज को मिल गया है ? क्या नीतीश कुमार के पास इन सवालों के उत्तर मिल गए हैं। क्या उनके वादे पुरे हो गए हैं ?        

दरअसल राजनीति में जो बाते कही जाती है ,उसे पूरा नहीं किया जाता। वादे कुछ और किये जाते हैं और योजनाएं कुछ और चलाई जाती है। यही हाल सभी राज्यों के हैं। केंद्र सरकार भी तो यही कुछ करती है। लगातार बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार बिहार को चालते रहे और आज भी बिहार के सामने वही सवाल है जो सालों पहले से हैं। फिर विकास की बात कैसी। सच तो यही है कि इस देश में कोई भी नेता ,कोई भी सरकार जनता के असली मुद्दों पर काम नहीं करती। चुनावी लाभ जिस खेल में लाभप्रद हो उस खेल को आगे बढ़ाया जाता है और इस देश की भोली जनता नेताओं के बुने जाल में फसती चली जाती है। लोकतंत्र का यही नर्तन कबीर के दोहे को परिभाषित करता है।

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Neetu Pandey

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