KARNATAKA ELECTION 2023: कर्नाटक चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने एक नयी पहल की शुरुआत की है। वोट फ्रॉम होम की शुरुआत। चुनाव आयोग का कहना है कि इसकी शुरुआत से कर्नाटक के बुजुर्गों को राहत मिलेगी जो 80 साल से ज्यादा के हो गए हैं और जिन्हे चलने -फिरने में परेशानी होती है। इसके साथ ही जो लोग दिव्यांग हैं उन्हें भी इस कार्यक्रम का लाभ मिलेगा। चुनाव आयोग के इस पहल की खूब सराहना भी की जा रही है। कई लोग कह रहे हैं कि इस तरह की बात पहले भी की जानी चाहिए थी ताकि इसका लाभ सभी बुजुर्ग उठा सकते थे। उम्र की वजह से ही बहुत से लोग चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाते। लेकिन अब देर से ही चुनाव आयोग अगर ऐसा कर रहा है तो यह अच्छी बात है।
वोट फ्रॉम होम की शुरुआत चुनाव आयोग द्वारा शुरू की जा चुकी है। चुनाव आयोग और मतदान एजेंटों की पांच सदस्यीय टीम 80 साल से ऊपर के लोगों और दिव्यांगों तक पहुँच रही है और उनसे मतदान भी ले रही है। कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया 6 मई तक चलेगी। इसकी शुरुआत 29 अप्रैल से की गई थी।
जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग द्वारा 80 साल से ज्यादा के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को अपने घरों में करने के लिए मतपत्र प्रदान किये जा रहे हैं। मतदान के दौरान दो मतदान अधिकारी ,एक माइक्रो ऑब्जर्वर ,एक वीडियो ग्राफर ,और एक पार्टी एजेंट समेत स्थानीय पुलिस मौजूद रह रही है। बैलेट वोटिंग सिस्टम ,चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मियों और पुलिस की देखरेख में किया जा रहा है। मतदान ख़त्म होने के बाद बैले बॉक्स को स्टॉन्ग रम में भेजा जा रहा है जहां काफी सुरखा बढ़ा दी गई है। याद रहे दस मई को चुनाव और 13 मतगणना होने हैं।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक वोट फ्रॉम होम मतदान प्रकिया के दौरान दो वरिष्ठ अधिकारीयों की एक टीम को हर घर में जाने की अनुमति है। अगर मतदाता घर पर उपस्थित नहीं है तो चुनाव आयोग की टीम दोबारा मतदाता के घर जाएगी। लेकिन अगर मतदाता घर पर उपस्थित नहीं है तो फिर उसे मतदान नहीं करने दिया जायेगा। उसे पोलिंग बूथ पर भी दिया जायेगा।
इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को चुनाव आयोग मतदाताओं का विवरण पहुंचा रहा है। खबर के मुताबिक चुनाव आयोग सभी राजनीतिक पार्टियों को इसमें सहयोग देने के लिए भी काफी प्रचार कर रहा है। चुनाव आयोग यह भी कह रहा है कि इस वोट फ्रॉम होम प्रक्रिया में कोई भी खामी हो तो उसे जनता भी बताये।
कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी के बीच चुनावी लड़ाई तेज है। चुनाव आयोग की चाहत है कि इस चुनाव में अधिक से अधिक जनता मतदान में हिस्सा ले। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो आगे के चुनाव में भी इस प्रयोग को अपनाया जा सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग के इस प्रयोग को और भी सफल बनाने की चुनौती होगी।