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क्यो मनाया जाता है विश्र्व रक्तदाता दिवस..जानिए इस दिन से जुडा इतिहास

World Blood Donor Day 2023: 14 जून को विश्र्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है..लेकिन क्यो मनाया जाता है किसने की थी इस दिन की शुरूआत आज इस लेख के जरिए हम आपको इस दिन से जुडा इतिहास बताएंगे.. आपको बता दे 14 जून को (Karl Landsteiner) कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म हुआ था. यही वे वैज्ञानिक है जिन्हे A,B और O रक्त group खोजने का श्रेय दिया जाता है. इस खोज के ले ही कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner)को साल 1930 में नोबल पुरस्कार(noble prize) से नवाजा गया था. उनकी खोज चिकित्सा की दुनिया में मील का पत्थर मानी जाती है, क्योकि इसके बाद जरूरतमंद मरीज को रक्त चढाने की शुरूआत हुई थी और इसीलिए 2004 से (Karl Landsteiner)कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन को हर साल विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल रक्तदाता दिवस की एक थीम होती है. इस साल विश्र्व रक्तदाता दिवस 2023 की थीम है रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन में हिस्सा दो.

क्यो जरूरी होता है रक्तदान
दिल्ली एम्स हॉस्पिटल के अधिकारी और अब तक 100 से भी ज्यादा शिविर में 25 ,000 से अधिक यूनिट खून एकत्रित करने वाले कनिष्क बताते है. कि देश के बडे (hospital)हॉस्पिटल में अक्सर बाहरी (patient) मरीजों के लिए रक्तदाता लाना बहुत कठीन होता है. कई बार ब्लड का इंतजार काफी लंबा और भारी पड जाता है. (volunteer donor)वॉलटियर डोनर बनने से आप उनके इस इंतजार को कम कर सकते है.

रक्तदान से पहले नींद पूरी होना जरूरी
डॉक्टर बताते है कि शहरी जीवनशैली में नींद पूरी न ले पाना एक बडी परेशानी बन रहा है. लेकिन, रक्तदान से पहले अच्छे से नींद लेनी बेहद जरूरी है . इसी तरह, शराब सेवन के 48 घंटे के अंदर भी रक्तदान नही करना चाहिए.

कौन कौन कर सकता है रक्तदान ?
18 से 65 वर्ष के बीच उम्र का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति, जिसका हीमोग्लोबिन 12.5 % से ज्यादा और वजन कम से कम 45 किलोग्राम हो, रक्तदान कर सकता है. अगर शुगर स्तर 225 तक है और व्यक्ति इंसुलिन नही लेता तो वह भी रक्तदान कर सकता है. रक्तदाता के लिए यह भी जरूरी है कि वह लंबे समय से किसी दना का सेवन न कर रहा हो हाल में कोई ऑपरेशन , चोट न लगी हो और खून से जुडी कोई बीमारी न हो.

रक्तदान……इसलिए है महादान
जानकारी के मुताबिक बता दे एक व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर रक्त होता है . वह हर 90 दिन में रक्तदान कर सकता है. रक्त से लाल कणिकाएं, प्लाज्मा, प्लेंटलेंट्रस और क्रायोप्रोसिपिटेट अलग कर उपयोग किए जाते है. प्लाज्मा 24 से 48 घंटे , लाल रक्त कोशिकाएं तीन सप्ताह और प्लेंटलेंट्रस व श्वेत रक्त कोशिकाएं मिनटो में फिर बन जाती है.

Prachi Chaudhary

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