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आखिर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा कि मेइती को एसटी का दर्जा देने पर फिर से विचार करे सरकार !

Supreme Court: मणिपुर में कहने को तो सब कुछ ठीक ही ,शांति है लेकिन ऐसा है नहीं। पूरा मणिपुर भीतर ही भीतर बज भी सुलग रहा है। अगर सेना की वापसी वहां से हो जाये मणिपुर में क्या हो सकता है इसकी कल्पना ही की जा सकती है। सच यही है कि मणिपुर सुलग रहा है। मेइती और कुकी नागा आदिवासियों के बीच चल रही यह लड़ाई और भी गंभीर हो सकती है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार को सलाह दी ही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को मैंतो को एसटी का दर्जा देने के मामले में सर्कार को फिर से विचार करना चाहिए।


मणिपुर को लेकर बुधवार कोर्ट ने जो कहा है उस पर गौर करने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन को कहा है कि अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती को कोटा देने के अपने फैसले को दुरुस्त नहीं किया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश गलत था और मुझे लगता ही कि हमें हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगानी होगी। हमने न्यायाधीश मुरलीधरन को खुद ही सही करने का समय दिया था लेकिन उन्होंने सही नहीं किया।

इस पीठ में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा ,जेबी पारडीवाला ने कहा कि यह निर्देश न्यायालय की संवैधानिक पीठों के पिछले निर्णयों द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के खिलाफ था। जो अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के रूप में वर्गीकरण से संबंधित था। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई क्योंकि उसे सूचित किया गया था कि उसके खिलाफ अपील हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के समक्ष लंबित है।

बता दें कि मणिपुर सरकार द्वारा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुरलीधरन की पीठ के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था और पीठ ने मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा देने के अपने 27 मार्च के निर्देश का पालन करने के लिए राज्य के लिए समय सीमा बढ़ा दी थी।

यह भी बता दें कि मणिपुर के आदिवासी 27 मार्च के मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मेइती को आरक्षण का विरोश कर रहे हैं। जिसमे राज्य सरकार को मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को सिफारिस भेजने को कहा गया है।

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गौरतलब है कि मणिपुर में मूलतः तीन समुदाय के लोग हैं। एक तो मेइती समुदाय के लोग हैं जिनकी आबादी ज्यादा है और यह समुदाय मैदानी इलाकों में रहते रहे हैं। यह समुदाय मूलतः हिन्दू हैं और राज्य की राजनीति में इनकी काफी पकड़ भी है ,उधर कुकी और नागा आदिवासी समुदाय हैं जो पहाड़ो और जंगलों में रहते हैं। मेइती समुदाय को आदिवासी का दर्जा मिलने के बाद ही मणिपुर में हिंसा भड़क गई और अब तक सैकड़ों लोगों की जाने चली गई। कुकी और नागा समुदाय को लगता है कि मेइती के आदिवासी होने से अब उनका सभी लाभ मेइती ही उठा लेंगे क्योंकिसामजिक रूप से मेइती समुदाय ज्यादा मजबूत हैं और राजनीति में भी इनकी पकड़ है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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