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Basantpanchmi: त्रिवेणी में डुबकी लगाकर लाखों श्रद्धालुओं ने की सरस्वती मां की पूजा

आज का दिन विद्याआरम्भ के लिए भी सबसे उत्तम माना जाता है । इसीलिए बसंत पंचमी पर पतित पावनी व मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही जगह-जगह सरस्वती को पूजे जाने की भी परम्परा है। प्रयागराज में बसंत पंचमी पर गंगा यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर सरस्वती की पूजा करने वाले को सौ गुना फल प्राप्त होता है।

प्रयागराज । ऋतुराज बसंत के आगमन और ज्ञान की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पंचमी देश भर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है । बारिश के बावजूद प्रयागराज के गंगा , यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धारा में लाखों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगायी। इससे बाद उन्होंने विद्या की देवी सरस्वती की आराधना कर उनसे ज्ञान व सद्बुद्धि की कामना की।


इस बार बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ग्रहों और राशियों के दुर्लभ संयोजन हुआ है। इस कारण इस बार के बसंत पंचमी का स्नान और पूजन का महत्व काफ़ी बढ़ गया। माघ मेल में बसंत पंचमी के मौके पर प्रयागराज में संगम तट रात से हो रही बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं का ताता लगा है । श्रद्धालु ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की अदृश्य धारा और गंगा-यमुना के जल में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त किया।

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श्रद्धालु बसंत पंचमी पर सूर्य को अर्ध्य देकर मोक्ष दायिनी गंगा और ज्ञान की देवी सरस्वती से अपनी मनोकामनाएं मांग रहे हैं। बसंत पंचमी पर युवा वर्ग सरस्वती की कृपा बनी रहने और गृहस्थ सद्बुद्धि की कामना कर रहे हैं । पुराणों के मुताबिक बसंत पंचमी के ही दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का आज ही के दिन आविर्भाव हुआ था।


आज का दिन विद्याआरम्भ के लिए भी सबसे उत्तम माना जाता है । इसीलिए बसंत पंचमी पर पतित पावनी व मोक्ष दायिनी गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही जगह-जगह सरस्वती को पूजे जाने की भी परम्परा है। प्रयागराज में बसंत पंचमी पर गंगा यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर सरस्वती की पूजा करने वाले को सौ गुना फल प्राप्त होता है।


लोक साहित्य में बसंत पंचमी को ऋतुओं के बदलाव और उल्लास का प्रतीक भी माना गया है। फसलों के पकने और वैभव के आने की सूचना देने वाले इस लोक पर्व को भारत में उल्लास पर्व के रूप में मनाया जाता है ।

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