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आखिर उपेंद्र कुशवाहा ने क्यों कहा कि नीतीश की पार्टी डूबती हुई नाव है ?

Bihar Politics News! हर विपक्ष सत्ता पक्ष को बेकार और जनविरोधी ही बताता है। और जब सत्ता पक्ष से निकल कर कोई नेता विपक्ष के साथ जाता है तब तो हमला हो जाता है। उपेंद्र कुशवाहा का कुछ यही हाल है। पहले वे नीतीश कुमार के हम सफर थे। जब वे बीजेपी के साथ थे तब राजद पर हमला करते थे। जब मन भर गया तो बीजेपी उनके निशाने पर आ गया। नीतीश के साथ जा मिले। लम्बे समय तक इस बात की प्रतीक्षा की कि नीतीश कुमार उन्हें उपमुख्यमंत्री बना देंगे। लेकिन जब यह सब नहीं हुआ तो नीतीश पर हमलावर हुए। पार्टी से निकले और पार्टी बनाकर फिर बीजेपी के साथ जा मिले। ये है उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति। कल फिर क्या करेंगे ,कहाँ जायेंगे कोई नहीं जनता ! राजनीति में ऐसे लोगों को क्या कहा जा सकता है भगवान् ही जाने !

पिछले दिनों पटना में विपक्षी एकता की बैठक हुई। देश भर के कई नेता शामिल हुए। रणनीति यही बनी की सब मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़े ताकि वोटों का बिखराव नहीं हो पाए। अगर ऐसा नहीं होगा तो बीजेपी की हार हो सकती है। बीएस इतनी सी बात है। पता नहीं इस बैठक से बीजेपी समेत उसकी सहयोगी पार्टियों को क्या तकलीफ हो रही है ? क्या चुनाव में जीत के लिए कोई रणनीति नहीं बना सकता ? क्या बीजेपी ऐसा नहीं करती है ? जीत हार की असली परीक्षा तो चुनाव में जनता ही करती है। लोकतंत्र का राजा तो जनता ही है। किसी एक की ही जीत होती है। जबकि हार बहुत से नेताओं और पार्टियों की होती है। कर्नाटक में भी क्या हुआ ?

उपेंद्र कुशवाहा अब नीतीश कुमार पर फिर हमला कर रहे हैं। उन्होंने आज कहा है कि पटना में कोई विपक्षी एकता की बात नहीं हुई। बात तो केवल राहुल की दाढ़ी और शादी को लेकर ही हुई। उन्होंने यह भी कहा कि इस बैठक से कुछ होने वाला नहीं है। बिहार में ही गठबंधन का बुरा हश्र होने वाला है। जदयू से लोग बहार निकल रहे हैं। यह डूबती नाव है। इसमें भला कौन सवार होगा ?

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अब सवाल है कि विपक्षी एकता का कोई असर नहीं पड़ेगा तो कुशवाहा को क्या परेशानी है। उन्हें होने की जरूरत है। विपक्ष जब ढेर होगा तो उनको लाभ होना चाहिए। जब नीतीश की पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं है तो उनकी पार्टी को ही सभी वोट मिल जायेंगे। फिर उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी को ही होगा ? राजनीति में इसे कहने की भी जरुरत नहीं होती। लेकिन सच तो यही है कि कुशवाहा की राजनीति खुद चौपट हो गई है। बीजेपी की तरफ से उन्हें कितनी सीटें मिलेगी यह भी तय नहीं है। दो तीन सीटें मिल भी जाए तो उसे ही जितने कोशिश उन्हें करनी चाहिए ताकि राजनीति उनकी चलती रहे। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब विपक्ष का अगर कोई असर नहीं पडेगा तो कुशवाहा और बीजेपी को बिहार की सभी सीटें जितने में और भी आसानी होगी। लेकिन उनकी बौखलाहट क्यों है ?

कुशवाहा ने और भी कुछ कहा है। उन्होंने आगे कहा है कि 2024 के चुनाव में ज्यादा दुर्गति होने वाली है। बिहार में वह साफ़ हो जाएगी। लेकिन कौन पार्टी महागठबंधन को साफ़ करेगी इसका जवाब वे नहीं दे रहे हैं। क्या बीजेपी या क्या उनकी पार्टी ?
कुशवाहा ने आगे यह भी कहा कि कद्दू बहुत जल्द टूट जाएगी। वहां के नेता अपना ठिकाना खोज रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि जदयू के कितने नेता उनके संपर्क में हैं ? और जो संपर्क में हैं क्या वे उन्हें टिकट दिला पाएंगे ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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