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2024 का ‘महायुद्ध’, BJP ने महिलाओं को बनाया चुनावी योद्धा!

Loksabha Election: 2024 के युद्ध को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने योद्धाओं का ऐलान कर दिया है….वो योद्धा जो हुंकार भरेंगे, वो योद्धा जो मोदी के 400 मिशन को पार करने के लिए जी जान एक कर देंगे। नारी शक्ति, नारी वंदन का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है।जिसमें इस नारे और संकल्प का असर साफ़ नजर आया। बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में 28 महिला कैंडिडेट शामिल हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में भी बीजेपी की महिला शक्ति अपना दम दिखाएगी। यहां की 7 में से 5 सीटों पर घोषित उम्मीदवारों की सूची में 2 महिलाएं शामिल हैं। इसमें नई दिल्ली सीट से केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का टिकट काटकर, दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को उम्मीदवार बनाया गया है।  साथ ही पश्चिमी दिल्ली से दो बार सांसद रहे प्रवेश साहिब सिंह की जगह कमलजीत सहरावत को चुनाव मैदान में उतरने का टिकट दिया गया है। जब बीजेपी ने इन दोनों नामों का ऐलान किया, तो ये हर किसी को हैरान कर गया।

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देश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट यानी नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज को टिकट देकर बीजेपी ने बड़ा दांव चला है। माना जा रहा है कि उन्हें टिकट देकर एक तीर से कई निशाने साधे गए हैं।तो वहीं पश्चिमी दिल्ली सीट पर बीजेपी ने चौंकाते हुए प्रवेश साहिब सिंह जैसे कद्दावर जाट के बदले कमलजीत सहरावत पर दांव लगाया है। बताया जा रहा है कि पार्टी ने उनके अनुभव को तरजीह दी है। कमलजीत एसएडीएमसी की मेयर रह चुकी हैं  और फिलहाल वार्ड नंबर 120 यानी द्वारका बी से पार्षद हैं। वो एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की भी सदस्य हैं। साथ ही दिल्ली बीजेपी में महासचिव का पद संभालती हैं। पार्टी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से वो केंद्रीय नेतृत्व की नजर में आईं। वो सोशल मीडिया में भी एक्टिव रहती हैं। पार्टी से मिले इतने बड़े मौके ने उन्हें भी चौंका दिया।

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बीजेपी ने यूपी के मथुरा से हेमा मालिनी को उम्मीदवार बनाकर सियासी पंडितों को हैरत में डाल दिया। क्योंकि मथुरा से दो बार संसद पहुंचने में कामयाब रही हेमा की उम्र 75 साल हो चुकी है। ऐसे में उन्हें इस बार टिकट नहीं दिए जाने की अटकलें थी। वहां से कई दावेदार भी मैदान में उतरने को तैयार थे… लेकिन हेमा की दावेदारी सब पर भारी पड़ी।

केंद्रीय नेताओं पर मजबूत पकड़ और साफ़ सुथरी छवि हेमा मालिनी के पक्ष में गई। साथ ही उनके पति धर्मेंद्र का जाट और खुद हेमा का ब्राह्मण होना भी जातिगत समीकरणों में फिट बैठा। ऐसे में दूसरे को मुकाबले हेमा का दावा ज्यादा मजबूत रहा और वो सबको पीछे छोड़कर बाजी मारने में कामयाब रहीं।

पहले महिला आरक्षण और अब टिकट बंटवारे में महिला शक्ति। बीजेपी महिला वोट बैंक को साधने के लिए हर तरकीब आजमा रही है। दिल्ली से लेकर मथुरा और देशभर में अब तक 28 महिला कैंडिडेट्स को टिकट थमाकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि आने वाले चुनावी रण में बीजेपी के महिलाओं उम्मीदवारों का दम दिखाई देगा।

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