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पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी साध गई तो विपक्ष के वोटों की पूंजी ध्वस्त हो जाएगी!

BJP News : अभी हाल में बीजेपी के टॉप नेताओं ने गोदी मीडिया से जुड़े पत्रकारों के साथ एक बैठक की और सन्देश दिया कि फिलहाल हिन्दू-मुसलमानों की राजनीति को रोका जाना चाहिए और मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने वाली खबरें ज्यादा नहीं दिखाई जानी चाहिए। कई पत्रकारों को इस पर आश्चर्य हुआ। सवाल भी पूछे गए। जवाब मिला कि बीजेपी बड़े स्तर पर मुसलमानों के बीच अब पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) को साधने जा रही है। मुसलमानों में पसमांदा की आबादी सबसे ज्यादा है और अगर बीजेपी के पक्ष में इस समाज के कुछ प्रतिशत भी आ जाते हैं तो बीजेपी को बड़ा लाभ हो सकता है। पत्रकार मौन हो गए।

Pasmanda Muslims

बीजेपी की नजर पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) पर जा टिकी है। पार्टी को लग रहा है कि यूपी और बिहार के साथ ही बंगाल के पसमांदा को साध लिया गया तो विपक्ष की वोट की यह बड़ी पूंजी ही ख़त्म हो जाएगी और ऐसा हुआ तो बीजेपी को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है। बीजेपी अब पसमांदा को साधने के लिए गुरुवार 27 जुलाई से पसमांदा स्नेह यात्रा की शुरुआत करने जा रही है। यह यात्रा पूर्व राष्ट्रपति कलाम की पुण्यतिथि पर दिल्ली से निकलने जा रही है। इसकी व्यापक तैयारी की गई है। इस यात्रा को हरी झंडी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा दिखाएंगे।

यह यात्रा एक अगस्त को गाजियाबाद से यूपी में दखल देगी और फिर इस यात्रा को आगे बढ़ाया जायेगा। यह यात्रा दिल्ली के तुर्कमान गेट से गाजियाबाद से घुसेगी। इसके बाद यहां से मेरठ, मुज़फ्फरनगर और बुलंद शहर में यात्रा पहुंचेगी। इसके बाद यह यात्रा सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, होते हुए 6 अगस्त को लखनऊ पहुंच जाएगी। फिर लखनऊ से यह यात्रा सात अगस्त से बाराबंकी होते हुए पूर्वांचल की तरफ बढ़ेगी। 19 अगस्त को यह यात्रा कुशीनगर पहुंचेगी और फिर यहां से यह यात्रा बिहार की सीमा में प्रवेश करेगी।

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पसमांदा समाज मुसलमानों का वह वर्ग है जिसकी आबादी मुसलमानों में सबसे ज्यादा है लगभग 80 फीसदी से भी ज्यादा। पसमांदा के भीतर दर्जनों जातियां है और विकास के पैमाने पर यह समाज काफी पिछड़ा हुआ है और छोटे-मोटे काम करके यह समाज अपना गुजारा करता रहा है। पिछले साल हैदराबाद में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने पसमांदा पर फोकस करने को कहा था। उन्होंने कहा था कि यह समाज मुसलमानों (Pasmanda Muslims) के भीतर सबसे वंचित वर्ग है और इसे आगे बढ़ाने की जरुरत है।

अब बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पसमांदा को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है। कह सकते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी पसमांदा ने बीजेपी का साथ दिया था लेकिन अब बीजेपी की समझ है कि इस समाज का कुछ प्रतिशत और भी बीजेपी के साथ आ जाए तो खेल बदल जायेगा और खासकर यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। बीजेपी को लग रहा है कि पसमांदा अगर बीजेपी के साथ जुड़ गए तो सपा, बसपा और कांग्रेस की वोट पूंजी ही खतम हो जाएगी और ऐसा हुआ तो पार्टी को बड़ा लाभ हो सकता है। पार्टी का मिशन 80 पूरा हो सकता है।

Pasmanda Muslims

पसमांदा को लेकर बीजेपी की कैसी तैयारी है इसे समझने की जरुरत है। पसमांदा स्नेह यात्रा दिल्ली से निकल कर बिहार तक तो जाएगी ही इसके साथ ही यह यात्रा उत्तराखंड बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा तक जाएगी। जानकारी के मुताबिक 15 अक्टूबर को हरियाणा के मेवात में बड़ा पसमांदा सम्मलेन होगा जिसमें पार्टी के कई बड़े नेता शामिल होंगे।

बीजेपी मान कर चल रही है कि अगर यूपी में इस समाज का साथ मिल गया तो पार्टी को बड़ा लाभ होगा। यूपी में जितने मुसलमान हैं उनमें 90 फीसदी पसमांदा ही है। केंद्र और राज्य की योगी की सरकार यूपी में पसमांदा के लिए बहुत कुछ कर भी रही है। तामम योजनाओं के करीब साढ़े चार करोड़ लाभार्थी पसमांदा समाज से ही आते हैं। पिछले 2022 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 8 फीसदी मुसलमानों ने वोट किये थे। अब बीजेपी को लग रहा है कि अगर पसमांदा का साथ चार से पांच फीसदी और बढ़ जाता है तो कई लोकसभा सीट प्रभावित होंगे। बीजेपी किसी भी सूरत में यूपी से 70 से ज्यादा सीट जीतना चाहती है। बीजेपी को लग रहा है कि यह तभी संभव है जब तक पसमांदा उनके साथ नहीं आते। बीजेपी को यह भी लग रहा है कि पूरे देश में अगर पसमांदा की आबादी का दस फीसदी भी बीजेपी के साथ गए तो फिर बीजेपी को कोई हरा नहीं सकता।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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