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Iran Morality Police: महीनो के प्रदर्शन के बाद ईरान में महिलाओं को मिली जीत, मॉरैलिटी पुलिसिंग खत्म करने का हुआ ऐलान

ईरान (Iran Morality Police) में हो रहे इस विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की जीत के साथ ही मॉरैलिटी पुलिसिंग को ख़त्म करने का ऐलान कर दिया गया है। इस प्रदर्शन में अबतक 300 लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

नई दिल्ली: सितंबर महीने में ईरान में मॉरैलिटी पुलिस (Iran Morality Police) द्वारा एक 22 साल की ईरानी छात्रा जिसका नाम महसा अमिनी था उसे पुलिस कस्टडी में ले लिया जाता है जिसकी 3 दिन के अंदर यानि 16 सितंबर को कस्टडी में रहने के दौरान ही मौत हो जाती है। महसा आमिनी नामक उस छात्रा की गलती सिर्फ ये थी कि उसने हिज़ाब नही लगाया था, जिसके कारण उसे हिरासत में लिया गया। फिर उसकी मौत के बाद से ही महिलाओं का हुजूम सड़को पर प्रदर्शन के लिए निकल पड़ता है और ईरान में ये प्रदर्शन मॉरैलिटी पुलिस (Iran Morality Police) के खिलाफ किया जा रहा था।

ईरान (Iran Morality Police) में हो रहे इस विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की जीत के साथ ही मॉरैलिटी पुलिसिंग को ख़त्म करने का ऐलान कर दिया गया है। इस प्रदर्शन में अबतक 300 लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बता दें मॉरैलिटी पुलिस उन महिलाओ के खिलाफ काम करते हैं जो इस्लामिक कानून को नही मानता हैं या फिर शरिया के रास्ते से हटकर चलती हैं और उनके नियम का उल्लघंन करती हैं।

सरकार ने कही ये बात

ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद ज़फर मोंताजरी से तेहरान के एक रिलीजियस कॉन्फ्रेंस में जब पूछा गया कि इस पुलिसिंग पर क्यो एक्शन नही लिया जा रहा है? इस बात के जवाब में उन्होने कहा मॉरैलिटी पुलिसिंग का ज्यूडेशरी से कोई भी लेना-देना नही है, इसलिए इसे ख़त्म किया जा रहा है। ज़फर ने ये बात ईरानी न्यूज़ एजेंसी से कही थी।

मॉरैलिटी पुलिसिंग को अंग्रेज़ी में गाइडेंस पेट्रोलिंग और ईरान की स्थानीय भाषा में ‘गश्त-ए-एरशाद’ कहा जाता है। इसकी शुरुआत 2006 में उस समय के राष्ट्रपति मोहम्मद अहमदीनेजाद ने की थी। उसके बाद जब हसन रूहानी जब राष्ट्रपति बनें तो उन्होने कपड़ों को लेकर कुछ रियायत दी थी लेकिन जब जुलाई में इब्राहिम रईसी प्रेसीडेंट बनें तो उन्होने फिर से सारे कानूनो को सख्त कर दिया।

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ऐसे हुई आंदोलन की शुरुआत

13 सितंबर 2022 को महसा अमिनी ईरान से तेहरान अपने परिवार से मिलने जा रही थीं और उस समय उन्होने हिजाब नही पहना था। इसी कारण से मॉरैलिटी पुलिसिंग वालो ने उन्हे गिरफ्त में ले लिया, जिसके तीन दिन बाद 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई। जिसके बाद से ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। इसके बाद से वहां के युवाओ ने एक गरशाद नाम का एक मोबाइल ऐप बना डाला, जिके द्वारा सीक्रेट मैसेजेस भेजा जा सकता था। उसके बाद वहां के सरकार ने इंटरनेट सेवाओं पर ही पाबंदी लगा दी। लेकिन इसके बावजूद भी वहां पर हो रही गतिविधियों पर लगाम लगाना मुश्किल था।

ईरानी मीडिया की मानें तो महसा गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही कोमा में चली गईं थीं, जिसके बाद उनको अस्पताल पहुंचाया गया था। मगर उनके परिवारवालो का कहना था कि वो बिल्कुल ठीक थीं, उन्हे पहले से कोई बिमारी नही थी। उनकी मौत को बहुत संदिग्ध माना जा रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो पुलिस कस्टडी से लेकर अस्पताल जाने तक क्या हुआ किसी को कुछ भी अंदाजा नही है।

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Ashok Kumar

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