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जानें रथ यात्रा का पूरा शेड्यूल, क्यों जाते है जगन्नाथ अपनी मौसी के घर?

Jagannath Rath Yatra 2023: विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है। यहां पूरे साल इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती होती है लेकिन
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर तीन किलोमीटर की रथ यात्रा का शुभारंभ होता है। क्या है रथयात्रा का महत्त्व और क्यों निकाली जाती है ये सभी जानकारी हम आपको के इस आर्टिकल में डिटेल में देंगे।
Jagannath Rath Yatra 2022 Date: भगवान जगन्नाथ की इस बार146वीं रथयात्रा निकाली जा रही है और हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है। रथयात्रा में शामिल होने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आते है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए ओडिशा के पुरी शहर में लाखों लोगों की भीड़ कुछ दिन पहले ही यहां पहुंचना शुरू कर देती है। भगवान जगन्नाथ का ये मंदिर श्रीहरि के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पूरे साल गर्भगृह में इनकी पूजा मंदिर में होती है, लेकिन आषाढ़ माह में तीन किलोमीटर की भव्य रथ यात्रा निकाल कर इन्हें गुंडिचा मंदिर लाया जाता है और इसके बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तक यहां ही रुकते हैं।

इस साल क्या है रथ यात्रा का समय
20 जून, 2023: जगन्नाथ यात्रा का समय और पूर्ण कार्यक्रम 20 जून, 2023 यानि की मंगलवार से शुरू है और इस दिन जगन्नाथ रथ यात्रा प्रारंभ होगी और जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों की परंपरा के अनुसार गुंडिचा मौसी के घर जाते है।
24 जून, 2023: इस दिन हेरा पंचमी जिसमें पहले के पांच दिन भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं।
27 जून 2023: इस दिन संध्या दर्शन करने लाखों की संख्या में लोग पहुंचते है और इस दिन जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल तक नारायण की पूजा के समान पुण्य मिलता है।
28 जून 2023: इस दिन बहुदा यात्रा होती है। जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की घर वापसी होती है।
29 जून 2023: इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा संग मंदिर लौटते है और भगवान अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेते हैं।
30 जून, 2023: इस दिन को आधर पना कहते है। इस दिन आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर दिव्य रथों पर एक विशेष पेय चढ़ाया जाता है। जिसे पना कहते हैं और ये पना दूध, पनीर, चीनी और मेवा से बनता है।
1 जुलाई, 2023: भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के सबसे दिलचस्प अनुष्ठानों में एक है नीलाद्री बीजे जो की रथ यात्रा का समापन दिवस होता है।

क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा?
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से लेकर दशमी तिथि तक भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा संग यात्रा पर निकलते हैं। पद्म पुराण के अनुसार, द्वापर युग में एक बार भगवान श्रीकृष्ण से उनकी बहन सुभद्रा ने द्वारका देखने इच्छा को जताई। तब अपन बहन सुभद्रा की इच्छा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सुभद्रा और बलभद्र जी को रथ पर बैठाकर द्वारका की यात्रा करवाई थी। यहीं कारण है कि हर साल भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।

रथ यात्रा का महत्व
पैराणिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ, रथ पर सवार होकर अपने भाई-बहन संग अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ होता है, उनके ठीक पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है। जगन्नाथ रथ यात्रा की इस साल शुरुआत 20 जून से होगी और इसका समापन 1 जुलाई को होगा।

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