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साल 2023 मानवता के इतिहास में सबसे गर्म रहने वाला साल, एशिया से लेकर अमेरिका तक इसका प्रभाव

EU Monitor Hottest Year: दुनिया में साल 2023 अब तक सबसे गर्म साल रह सकता है। जुलाई 2023 के बाद अगस्त दूसरा सबसे गर्म महीना रहा है। यही नहीं दुनिया के महासागरों का तापमान भी लगातार गर्म हो रहा है। इसका असर एशिया, अफ्रीका, अमेरिका समेत दुनिया के लगभग सभी महासागरों में देखा गया है।

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विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक धरती के उत्तरी गोलार्ध में इस वर्ष अब तक की प्रचंड गर्मी दर्ज की गई और अगस्त में रिकॉर्ड गर्मी के साथ उच्च तापमान बना रहा। WMO और यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस (European Climate Service Copernicus) ने 7 सितंबर यानि बीते गुरूवार बताया कि पिछला महीना न केवल अब तक का सबसे गर्म दर्ज किया गया, बल्कि यह जुलाई 2023 के बाद मापा गया दूसरा सबसे गर्म महीना भी था। वैज्ञानिकों ने आधुनिक (EU Monitor Hottest Year) उपकरणों की मदद से यह गणना की। उन्होंने बताया यह साल मानवता के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष रह सकता है।

इस वर्ष अगस्त का महीना करीब 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म (EU Monitor Hottest Year) था, जो कि तापमान वृद्धि की सीमा है जिसे विश्व पार नहीं करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा केवल 1 महीने से नहीं बल्कि दशकों से ज्यादा रही है। WMO और कॉपरनिकस ने बताया कि विश्व के महासागर में (पृथ्वी की सतह का 70 % से अधिक हिस्सा) करीब 21 डिग्री सेल्सियस (EU Monitor Hottest Year) के साथ अब तक का सबसे गर्म दर्ज किया गया और लगातार 3 महीनों तक यह उच्च तापमान (high temperatures) के निशान पर बना रहा है।

अल नीनो का दुनिया में पड़ा बुरा असर

कॉपरनिकस के मुताबिक, अब तक 2016 के बाद 2023 रिकॉर्ड दूसरा सबसे गर्म साल रहा है। वैज्ञानिकों ने (EU Monitor Hottest Year) कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने के साथ-साथ प्राकृतिक अल नीनो के अतिरिक्त दबाव की वजह मानव जनित जलवायु परिवर्तन के बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया है। अल नीनो, प्रशांत महासागर के कुछ भागों का अस्थायी रूप से गर्म होने की प्रक्रिया है जिसकी वजह पूरी दुनिया में मौसम की स्थिति बदलती है। अल नीनो (EU Monitor Hottest Year) इस वर्ष की शुरुआत में शुरू हुआ और आमतौर पर यह वैश्विक तापमान में अतिरिक्त गर्मी बढ़ाने का कार्य करता है।

सरकारें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को नहीं ले रही गंभीरता से

जलवायु विज्ञानी एंड्रयू वीवर (EU Monitor Hottest Year) ने बताया कि डब्ल्यूएमओ और कॉपरनिकस की तरफ से घोषित आंकड़े कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं बल्कि यह दुख की बात है कि सरकारें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि जब तापमान फिर से गिरेगा तो जनता इस मुद्दे को भूल जाएगी। कॉपरनिकस यूरोपीय संघ (EU Monitor Hottest Year) के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक प्रभाग है।

Prachi Chaudhary

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