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Story of a Spy: पाकिस्तानी जेल से भारत तक का सफर, रोमांच से भरपूर है ये कहानी

नई दिल्ली: हमेशा ही देखा गया है कि इंसान इंसाफ के लिए, न्याय के लिए, अपनी समस्या के समाधान के लिए कोर्ट को दरवाजा खटखटाता है. हर किसी को उम्मीद रहती है कि देर से ही सही लेकिन उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा. इसी कारण सालों साल तक लोग न्याय के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ते रहते है.

लेकिन आपने अभी तक ऐसा मामला न सुना होगा न देखा होगा. एक युवक ने इंसाफ के लिए 30 साल तक लड़ाई लड़ी है. चलिए आपको बताते है कि कौन ये शख्स (Story of a Spy) और क्यों 30 साल तक संर्घष करना पड़ा?

ये एक ऐसी कहानी है,  जिसमें जासूसी (Story of a Spy) पर बनी रहस्य-रोमांच से भरपूर किसी मूवी के सारे एलिमेंट हैं. दरअसल एक शख्स ने दावा किया कि वह जासूस था और पाकिस्तान में उसने दो बड़े ऑपरेशन में हिस्सा लिया था. 

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बर्खास्तगी को बरकरार रखने के बाद भी कैसे फिर उन्हें मिला इंसाफ ?

लेकिन साल 1976 में तीसरे मिशन के दौरान पकड़ लिया गया. वहां वह 13 साल तक जेल में रहा. जेल में रहने के दौरान अंसारी ने अपने विभाग को कई खत लिखे और बताया कि वह अभी पाकिस्तान की कैद में है. खत में उन्होंने यह भी गुहार लगाई कि उनकी गैरहाजिरी को ड्यूटी से जानबूझकर गैरहाजिर होना न माना जाए.

उनका दावा ये है कि विभाग ने 31 जुलाई 1989 को बिना उनका पक्ष सुने बर्खास्त कर दिया. क्योंकि किसी भी आधिकारिक रिकॉर्ड में उसका नाम नहीं था. इसके बाद अंसारी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, जयपुर में अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी.

जुलाई 2000 में ट्राइब्यूनल ने दाखिल करने में देरी के कारण उनके आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया. उसी साल सितंबर में कैट ने उनकी रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया था. उन्होंने डाक निदेशालय, डाक भवन, नई दिल्ली के पोस्टल बोर्ड के सदस्य को अपील दायर की लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली.

2017 में हाई कोर्ट ने भी याचिका को कर दिया खारिज

अक्टूबर 2006 में, डाक विभाग ने सेवा से उनकी बर्खास्तगी को बरकरार रखा. फिर 2007 में, अंसारी वापस कैट जयपुर में चले गए, जिसने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह बनाए रखने लायक नहीं है. 2008 में, उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. 2017 में हाई कोर्ट ने भी याचिका को खारिज कर दिया. 2018 में अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

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