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यूपी निकाय चुनाव :बीजेपी की अग्नि परीक्षा

Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव का पहला चरण ख़त्म तो हो गया लेकिन बीजेपी की परीक्षा अभी होनी बाकी है। दूसरे चरण का चुनाव 11 तारीख को होने हैं और बीजेपी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि नई नगर निगम बनी शहजानपुर को कब्जे में कैसे लाया जाये। बीजेपी के लोग कहने के लिए तो बहुत कुछ कह रहे हैं लेकिन सच यही है कि शहजानपुर में सपा और बसपा ने जबरदस्त घेराबंदी किया हुआ है। जो हालत है और जो ख़बरें वहाँ से मिल रही है उससे तो यही लगता है कि बीजेपी की चुनौती यहां सबसे ज्यादा है।


लेकिन बीजेपी के सामने केवल शहजानपुर को लेकर ही चुनौती नहीं है। उसकी अग्नि परीक्षा तो अलीगढ और मेरठ में भी होनी है। यहाँ भी बसपा मजबूती से चुनाव लड़ रही है सपा भी यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। अयोध्या और बरेली की कहानी भी बीजेपी के लिए सिरदर्द के सामान ही जबकि कानपुर में बीजेपी को सपा से भारी चौनौती मिल रही है। कहा जा रहा है कि निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने भले ही के प्रयोग किये हैं लेकिन बसपा और सपा की राजनीति अब बीजेपी पर भारी भी पड़ रही है।

बता दें कि यूपी के निकाय चुनाव के दूसरे चरण में सात नगर निगम में चुनाव होने हैं। पहले चरण की सहारनपुर और मुरादबाद पर बीजेपी ने काफी ताकत लगाईं थी। लेकिन उसके परिणाम भी क्या आएंगे अभी कुछ कहा नहीं जा सख्त। पहले चरण के चुनाव में भी सपा ने भारी चुनौती है। हालत ऐसी है कि बीजेपी अभी जीत का दावा नहीं कर सकती। बीजेपी को लग रहा है कि अगर आगामी दूसरे चरण के चुनाव में कोई गड़बड़ी हुई तो निकाय चुनाव के जरिये लोकसभा चुनाव साधने की राजनीति कमजोर पड़ सकती है। बीजेपी मान कर चल रही है कि अगर यूपी का निकाय चुनाव उसके पक्ष में आ गए तो अगले साल के लोकसभा चुनाव को आसानी से साधा जा सकता है। लेकिन यही कहानी सपा और बसपा की भी है। वह दोनों पार्टी भी निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का ट्रेलर मान कर चल रही है। ऐसे में बीजेपी के सामने चुनौती ज्यादा है क्योंकि बीजेपी को सबसे ज्यादा लोकसभा सीट यूपी से ही मिल रही है।

दूसरे चरण में जिन साथ नगर निगमों में चुनाव होने हैं उनकी स्थितियां भी अलग किस्म की है। दूसरे गाजियाबाद ,मेरठ ,अलीगढ ,शाहजहांपुर ,बरेली कानपूर और अयोध्या नगर निगम के चुनाव होने हैं। लेकिन इन सभी जगहों पर बीजेपी को बागियों का भरी सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही भितरघात की कहानी भी देखने को मिल रही है। बीजेपी की दिक्कत ये है कि बहुत से लोग जो पहले मोदी के साथ जुड़े थे अभी कई मामलों को लेकर बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। अडानी मसले और फिर अभी के बृजभूषण शरण की कहानी से बीजेपी से जुडी कई जातियां पीछे हटती दिख रही है। अगर बीजेपी ने को नहीं मनाया तो खेल ख़राब भी हो सकता है। कानपुर में सपा की बड़ी तैयारी है। अखिलेश यादव से लेकर शिवपाल यादव और डिम्पल यादव तक कानपूर जाने की तैयारी में हैं। कहा जा रहा है कि सपा के साथ इधर कई जातियां और भी जुड़ती बीजेपी के लिए सिरदर्द बनती जा रही है।

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बीजेपी के सामने मेरठ और अलीगढ़ पर कब्जे की चुनौती है। अभी ये दोनों जगह बसपा का कब्जा है। अगर बीजेपी बसपा से इन दोनों नगर निगमों को नहीं छीन पाती है तो साफ़ है कि आने वाले समय में बीजेपी को बसपा से भी चुनौती मिलेगी और ऐसी हालत में बीजेपी की परेशानी बढ़ेगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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