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बीजेपी वाले सुशील मोदी ने क्यों कहा बिहार में पूर्ण शराबबंदी फेल !

Bihar Hooch Tragedy:  बिहार में पूर्ण शराब बंदी की घोषणा सालों पहले की गई थी ताकि महिलाओं को प्रताड़ना न झेलना पड़े ,घर की हालत बदले और सबकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। तब इस नीति की काफी सराहना की गई। नीतीश कुमार काफी सराहे भी गए। बिहार के लोगों ने उनकी खूब प्रशंसा की थी। जो लोग शराब पीते थे उनमें भी लगा कि सरकार का यह कदम ठीक है। लेकिन लत के मारे लोगों को कुछ ही समय में यह पता चल गया कि जिस शराब बंदी की वे सराहना कर रहे थे अब उनके लिए काल के सामान है। शराब वे छोड़ नहीं सकते और शराब पीने और रखने पर जेल तक की सजा है।

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बिहार के लोग परेशान हो गए। शराबियों की परेशानी बढ़ी तो तस्करों का खेल शुरू हो गया। जिनके पास पैसे थे वे शराब की तस्करी करने लगे। इस खेल में समाज के बड़े लोगों की चांदी काटने लगी। पैसे लगाओ और गरीबो के बीच महंगे दामों पर शराब बेचो। लोग मालामाल होने लगे। अब इस खेल में पुलिस वाले भी शामिल हुए। पुलिस वाले भी यह काम करने से नहीं चुके। बड़ी संख्या में पुलिस वाले भी शराब के धंधे में उतरे। कहीं सीधे तो कहीं अपरोक्ष रूप से खूब चोखा धंधा चला और आज भी चल रहा है।उधर सरकार अपने नियम कानून पर खड़ी थी। काफी संख्या में गरीब लोग जेल जाने लगे। हजारों से लेकर लाखों लोग शराब की कहानी में जेल गए। जिस घर की परेशानी और महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर शराब पर पाबन्दी लगाईं थी अब शराब नहीं मिलने पर वह सब और भी तेज हो गया। आज भी जारी है।

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सालों दर साल बिहार में शराब बंदी का कहर लोगों पर बढ़ता गया। एक तरफ शराब पीने और शराब बेचने से लेकर रखने पर लोगों की गिरफ्तारी हुई तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में शराब पीने वालों की संख्या और भी बढ़ती गई। जो कम पीते थे अब वे ज्यादा पीने लगे। जो काम पैसे में पीते थे अब वे ज्यादा पैसे में पीने लगे। खेल यही तक का नहीं हुआ। नकली शराब की बाढ़ आ गई। नकली शराब और जहरीली देसी शराब ने लोगों पर असर डालना शुरू किया और फिर मौत का सिलसिला शुरू हुआ।
पिछले चार से पांच सालों के बीच का ही अध्ययन करें तो पता चलता है कि बिहार में नकली शराब की वजह से सैकड़ों लोगों की जाने चली गई। आज भी जान जा रही है। पकडे़ गए शराब पुलिस के मार्फ़त लोगों तक पहुँच जाते हैं तो गांव -गांव में देसी जहरीली शराब पीकर लोग पटापट मरते जा रहे हैं। अभी हाल में ही फिर से सीतामढ़ी और गोपालगंज में दस लोगों की जाने चली गई। गर्मी के दिनों में मरने वालों की संख्या कुछ ज्याद ही होती है।

हालिया शराब पीने पर जो मौत हुई है उसको लेकर बिहार की राजनीति एक बार फिर से गर्म हो गई है। बीजेपी नेता और सांसद सुशील मोदी ने नीतीश सरकार पर हमला किया है और कहा है कि जिस उद्देश्य की खातिर शराब बंदी की गई थी वह फेल हो गई। अभी गोपालगंज और सीतामढ़ी में दस लोगों की मौत से साफ़ हो गया है कि सरकार की मद्यनिषेध नीति फेल है। अब तो सरकार को मरने वालों को अनुग्रह राशि भी देने की घोषणा करनी चाहिए। सुशील मोदी हर मृतकों के लिए कहर लाख की मांग की है।

मोदी ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हर साल जहरीली शराब से काफी लोग मर रहे हैं। लेकिन सरकार अभी तक इस पर समीक्षा करने की बात ही कर रहे हैं। सच तो यही है कि पुलिस और माफिया मिलकर पैसे कमा रहे हैं और गरीब जहरीली शराब पीकर मारे जा रहे हैं। लेकिन सरकार इसे नहीं मानती। सच तो यही है कि जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों को सरकार अज्ञात बीमारी से मौत मान रही है। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि जो मरे हैं उन्हें मुआबजा न देना पड़े।

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मोदी ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सीतामढ़ी में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई। पुलिस के डर से शव का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया और उसे जला दिया गया। मोदी ने कहा कि इस साल ही साढ़े आठ लाख लीटर से ज्यादा शराब पकडे़ गए जबकि इससे दस गुना से ज्यादा शराब धड़ल्ले से बेचीं गई। इस खेल में बहुत से लोग शामिल है। पहले यह शराब का धंधा छोटी गाड़ियों में होते थे लेकिन अब बड़ी बड़ी गाड़ियों के जरिये यह धंधा फल फूल रहा है। सब मिले हुए हैं। इसमें सरकार के लोग भी शामिल है और पुलिस भी। सभी मिलकर तस्करी कर रहे हैं और लोगों की जान भी जा रही है।
मोदी ने कहा कि बिहार में अब शराब की होम डिलीवरी होती है। पान की दुकानों में शराब बेचीं जा रही है और यह हर जगह उपलब्ध भी है। ऐसे में सरकार को फिर से इसके बारे में सोंचने की जरूरत है। किसी को जेल भेजकर या फिर अधिकारीयों को निलंबित करके इस कानून को न तो सख्त बनाया जा सकता है और न ही इसे रोका ही जा सकता है। ऐसे ने सरकार को इस नीति के बारे में फिर से सोंचने की जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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