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ज्ञानवापी का सर्वे जारी रहेगा ,सुप्रीम कोर्ट ने लगायी मुहर!

Gyanvapi Masjid ASI Survey: ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Masjid) में जारी सर्वे का काम चलता रहेगा और इसे रोका नहीं जायेगा। आज सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे पर मुहर लगा दी है। अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में वजूखाने को छोड़कर पूरे का सर्वेक्षण इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार ही चलता रहेगा। अदालत ने कहा कि सर्वे के दौरान कोई खुदाई का काम नहीं होगा। शीर्ष अदालत के इस फैसले से हिन्दू समाज के लोगों में काफी उत्साह का वातावरण बना हुआ है। लोग भोलेनाथ का नारा भी लगा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने निर्देश भी दिया है कि सर्वे के दौरान परिसर में कोई नुकसान न पहुंचे इसका ध्यान रखने की जरूरत है।

supreme court on gyanvapi

शीर्ष अदालत की पीठ ने मस्जिद प्रबंध समिति की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हफीजा अहमदी के उस अनुरोध पर विचार करने से इंकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एएसआई रिपोर्ट को तब तक सीलबंद लिफ़ाफ़े में बंद रखा जाना चाहिए जब तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से सम्बंधित एक और लंबित याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।

बता दें कि गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने अंजुमन इन्तजामियां मस्जिद कमिटी द्वारा वाराणसी जिला अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें एएसआई को सील क्षेत्र को छोड़कर मस्जिद परिसर के बैरिकेड क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की उन आशंकाओं को भी ख़ारिज कर दिया था कि सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप संरचना को नुकसान पहुंच सकता है। इसमें कहा गया था कि न्याय करने के लिए सर्वेक्षण जरुरी है। सर्वे कुछ शर्तों के साथ किया जाना चाहिए। सर्वे करें लेकिन बिना किसी डेमजिंग के।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को पारित एक अंतरिम राहत आदेश में कहा था कि एएसआई द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के व्यापक सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले वाराणसी कोर्ट के निर्देश को 26 जुलाई शाम पांच बजे तक लागू नहीं किया जायेगा। इसने मस्जिद समिति से वाराणसी जिला अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायलय का रुख करने को कहा था। जिला अदालत ने 21 जुलाई को एएसआई को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद हिन्दू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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