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आदित्य एल-1 ने चांद के बाद सूर्य को बोला ‘हेलो’, कौन हैं निगार शाजी ? जिसकी 8 साल की तपस्या लाई रंग

Aditya-L1 launch: भारत का अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य L-1 अंतरिक्ष में 126 दिन तक 15 लाख KM की यात्रा करने के बाद 6 जनवरी यानि शनिवार को सफलतापूर्वक अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंच चुका है। Aditya L-1 यान को 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था और यह ‘लैग्रेंजियन पॉइंट 1’ पर पहुंच गया है, जहां से यह सूर्य की परिक्रमा करके उसका अध्ययन करेगा। ISRO ने अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। देश की पहली सोलर ऑबजर्वेटरी Aditya L-1 लैंगरंग प्वाइंट एल1 पर स्थापित हो चुकी है। यहां से अब अंतरिक्ष यान सूर्य को ‘आकाशीय सूर्य नमस्कार’ करेगा। खास बात है कि ISRO के इस जटिल मिशन को लीड करने वाली एक महिला हैं। प्रोजक्ट डायरेक्ट निगार शाजी वो नाम है जो आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। एक सौम्य और मुस्कुराती महिला जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी टीम के साथ आठ वर्षों तक अथक परिश्रम किया। इसरो के कई मिशनों में अहम भूमिका निभा रही 59 वर्षीया शाजी अब उन कई महिलाओं के लिए आदर्श बन गई हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर बनाना चाहती हैं।

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37 साल पहले इसरो किया था जॉइन

निगार शाजी ने 1987 में विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी ISRO को जॉइन किया था। उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल आंध्र तट के पास श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह पर काम के साथ शुरू किया था। बाद में उन्हें बेंगलुरु के U.R राव सैटेलाइट सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया, जो उपग्रहों के विकास के लिए प्रमुख केंद्र है। ISRO के साथ कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक पूरा किया। शाजी ISRO में भरोसे का प्रतीक बन गईं। इसके बाद उन्हें भारत के पहले सौर मिशन के परियोजना निदेशक बनाया गया। शाजी पहले रिसोर्ससैट-2A के सहयोगी परियोजना निदेशक भी रह चुकी हैं। यह प्रोजेक्ट अभी भी चालू है। शाजी सभी निचली कक्षा और ग्रहीय मिशनों के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर भी हैं।

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2016 में शुरू हुआ था मिशन पर काम शाजी और उनकी टीम ने 2016 में Aditya-L1 परियोजना पर काम करना शुरू किया। हालांकि 2020 के आसपास कोविड महामारी ने उनके काम को रोक दिया। उस समय ISRO की गतिविधियां लगभग रुक गईं, लेकिन प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका। उन्होंने और उनकी टीम ने सात वैज्ञानिक उपकरणों वाली सोलर ऑब्जर्वेटरी पर काम करना जारी रखा। मिशन आदित्य एल1 को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था। शाजी और उनकी टीम ने कई अभ्यासों के बाद पृथ्वी से L1 बिंदु की ओर अपनी पूरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान पर कड़ी नजर रखी। उनकी कड़ी मेहनत के कारण, Aditya-L 1 अंततः अपने गंतव्य, हेलो कक्षा तक पहुंच गया है। यहां से अंतरिक्ष यान बिना किसी बाधा या रुकावट के सूर्य का निरीक्षण करेगा।

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पिता की प्रेरणा से बढ़ीं आगे

शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ। शाजी की स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई में ही हुई। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तहत तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। शाजी के पिता शेख मीरान भी मैथ में ग्रेजुएट थे। हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती की ओर रुख किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में शाजी ने बताया था कि मेरे पिता ने मुझे हमेशा जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। मेरे माता-पिता दोनों ने मेरे पूरे बचपन में बहुत सहयोग किया। उनके निरंतर समर्थन के कारण, मैं इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची।

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महिला के रूप में भेदभाव नहीं

अंतरिक्ष एजेंसी में लैंगिक भेदभाव के बारे में किसी भी गलतफहमी को दूर करते हुए शाजी ने कहा कि उन्हें ISRO में कभी भी लैंगिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उनका कहना है कि अपने सीनियर्स के लगातार सहयोग के कारण ही वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं। शाजी कहती हैं कि टीम लीडर होने के नाते, अब कई लोग मेरे अधीन काम करते हैं। इसलिए, मैं उसी तरह तैयार होती हूं जैसे मेरे सीनियर्स ने मुझे तैयार किया।

Prachi Chaudhary

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