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Bihar News: राजनीति तौर पर भरोसेमंद नहीं रहे Nitish Kumar, RJD से हाथ मिलना घाटे का सौदा !

Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल भी मुख्यमंत्री थे, आज भी मुख्यमंत्री होंगे। बस इतनी जरुर है कि अब उनके राजनीतिक करियर में यह जरुर जुड़ा कि वे 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार को भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने पर इससे ज्यादा अब कुछ नहीं मिलने वाला है। दरअसल उनकी अति राजनीति महत्वाकांशी के चलते ही वह बिहार के राजनेताओं द्वारा पलटूराम, सांप, गिरगिट, जैसे शब्दों से संबोधित किये गये।

नीतीश कुमार ने इससे पहले भी राजनीतिक उलटपलट की है, लेकिन इस बार उन्होने कई भाजपा से सीधे बिना किसी तनातनी के एकतरफा फैसला लेकर राजनीतिक गठबंधन तोड़ा है और राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिलाया है, वह निश्चय ही उनके राजनीतिक भविष्य के घाटे का सौदा साबित हो सकता है। वे राजनीति अपना नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस आदि के साथ गठबंधन करने के बाद वे न केवल कड़ी आलोचना के शिकार हो रहे हैं, बल्कि विपक्षी दलों ने नेता भी उनके इस निर्णय को समझदारी भरा फैसला मान रहे हैंष उनके इस फैसले के बाद नीतीश कुमार जनता व राजनीतिक दलों के बीच अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। बिहार की जनता भी खुद का ठगा हुआ सा महसूस कर रही है। विधानसभा चुनाव में जिस दल (भाजपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और विरोधी दल राजद से उनका कड़ा मुकाबला रहा, अब विरोधी दल के साथ मिलकर सरकार बनाना जनता के साथ विश्वघात ही है।

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दरअसल नीतीश कुमार अति राजनीतिक महत्वकांशी हैं। वे तब से ही नाराज थे, आठ साल पहले नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया था। वह चाहते थे कि एनडीए उन्हें पीएम प्रत्याशी बनाएगी, लेकिन मोदी का नाम आने पर वे चाहकर भी कुछ नहीं कह सके थे, लेकिन यह टीस वे अपने मन से नहीं निकाल सके थे।

इसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि एनडीए उन्हें 2022 में राष्ट्रपति अथवा उप राष्ट्रपति प्रत्याशी बना सकती है, लेकिन नीतीश कुमार यहां भी मात खा गये। एनडीए ने उन्हें इस काबिल नहीं माना और उन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया। इसलिए नीतीश कुमार को लगा कि भाजपा उनका अपमान कर रही है। नीतीश कुमार देश हित में बिना कोई कार्य किये, बिना मेहनत और संघर्ष के देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने की राजनीतिक महत्वकांशा रखते थे, लेकिन भाजपा द्वारा बनायी गयी राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति पद प्रत्याशी के लिए रणनीति में वह किसी भी तरह से फिट नहीं बैठते थे, इसलिए उन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया। भाजपा को जदयू से नाता टूटने से कोई बड़ा राजनीतिक नुकसान नहीं होगा, लेकिन नीतीश को जरुर आने वाले समय में कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भाजपा को उन्होने धोखा दिया है और उसका खामियाजा तो उन्हें देर सवेर भुगतना होगा।    

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Team News Watch India

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