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क्या कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम बीजेपी में जाने वाले हैं ?

Political News: जाने के लिए तो कोई कहीं भी जा सकता है। कोई रोकता तो है नहीं। जिसकी जहाँ मर्जी वहां वह जा सकता है। सली खेल तो विचारधारा का है। वह विचार है जो इंसान को इंसान से अलग करता है। इस धरती पर जीते और मरते तो सब हैं। लेकिन अमर कौन होता है ? वही न जो अमरता का काम करता है। वह काम जो देश ,समाज ,इंसान ,धर्म ,और मानवता के साथ ही सब को साथ लेकर आगे बढ़ने का काम करता है। जो सत्य बोलता है जो क्षमा करता है। जो हर परिस्थिति में भी स्थिर रहता है। वही तो महान है। वही तो औरों से अलग है। वही तो सबसे परे है। यह अलग भाव ही एक दूसरे की पहचान होती है। ऐसे में कौन कहाँ जाता है इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। महात्मा गाँधी ने तो केवल सत्य और अहिंसा व्रत का ही पालन किया था। अमर हो गए। कहने को कोई भी कह सकता है कि वह गाँधी को मानता है ,गाँधी की राह पर चलता है लेकिन ऐसा है नहीं। जो गाँधी को मानेगा वह बोलेगा नहीं। वह करता भी दिखेगा। और आज की जो राजनीति है उसमे करने से ज्यादा बोलने पर जोर दिया जाता है। दिखाया जाता है कि वही महान है। लेकिन वह कितना महान है यह सबको पता है।


अब बात कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम की। पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा की जा रही है कि कांग्रेस में उन्हें भाव नहीं मिल रहा है इसलिए वे बीजेपी के साथ जा सकते हैं। कल तक प्रमोद कृष्णम बीजेपी पर हमलावर थे ,अब बीजेपी के चिंतक बनेगे। ऐसा लोगों का कहना है। पिछले दिनों अचानक उनकी पीएम मोदी से मुलाकात हुई और अब ासाहनक आचार्य की मुलाकात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हुई है। इसके बाद तो खबर आंधी की तरह आगे बढ़ने लगी है। संभव है जो खबर चल रही है उसमे जान भी हो। संभव है कि आचार्य अपनी श्रद्धा भाव को बदल रहे हों। वे तो कांग्रेसी थे। गांधीवादी थे। फिर अचानक बदलाव कैसा ? लेकिन इसका उत्तर देगा कौन ? बदलाव तो प्रकृति का नियम है। फिर इंसान की क्या विसात ?


प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के नदी नेता हैं। वे कल्कि धाम के पीठाधीश्वर भी हैं। आजकल कांग्रेस पर खूब हमला कर रहे हैं। जब से कांग्रेस ने राम मंदिर का न्योता ठुकराया है तभी से आचार्य महोदय कांग्रेस के खिलाफ बोल रहे हैं। किसी भी नेता को छोड़ नहीं रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ भी बोलने से नहीं चूक रहे। अब तो वे यह भी कह रहे हैं कि अगर मोदी नहीं होते तो यह मंदिर भी नहीं बन पाता। जाहिर वह बदल रहे हैं। इनके इरादे बदल रहे हैं।
अब खबर यह भी आ रही है कि आचार्य जी वेस्ट यूपी से चुनाव लड़ना छाते हैं और यही वजह है कि वे बीजेपी के साथ जाने को रतैयार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में आचार्य महोदय लखनऊ से चुनाव लाडे थे। राजनाथ सिंह के खिलाफ। हालांकि वे राजनाथ सिंह से चुनाव हार गए लेकिन उनकी राजनीति आज भी चलती ही रही। यह समझ से परे है किे राजनाथ सिंह से उनकी जो मुलाकात हुई है उसके पीछे का सच क्या है ? लेकिन एक सच साफ़ है कि जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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