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LokSabha Election 2024 Latest News: आखिर सभी पार्टियां धार्मिक ध्रुवीकरण के फेर में क्यों है ?

LokSabha Election 2024 Latest News: देश की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रह गई। आपसी प्रेम भाव भी पहले जैसा नहीं रहा। समाज अब बंटता जा रहा है। कहने को सभी नागरिक देश के ही है लेकिन धार्मिक खेल की वजह से देश की राजनीति बुनियादी रूप से बदल चुकी है। सामने चुनाव है तो धार्मिक ध्रुवीकरण को भला कौन रोक सकता है। कहने को तो यही कहा जाता है कि बीजेपी धर्म की राजनीति करती है और धार्मिक उन्माद के जरिये समाज में विष वामन किया जाता है लेकिन अब यह भी साफ़ होता दीखता है कि धार्मिक ध्रुवीकरण का खेल केवल बीजेपी ही नहीं कर रही है। देश की जो सेक्युलर पार्टियां है वह भी वही सब करती दिख रही है जो बीजेपी करती रही है।

अभी रमजान का महीना चल रहा है। पहले सभी पार्टियां रमजान के दौरान मुस्लिम भाइयों को रमजान के लिए बुलाते थे लेकिन इस बार कुछ भी ऐसा देखने को नहीं मिला। सच तो यही है कि जो देश की सेक्युलर पार्टियां है वह भी रमजान में किसी को दावत देने से कतराती ही रही। कह सकते हैं कि राजनीति के बदलने से यह काम भी अब ख़त्म सा होता गया है।

पिछले दिनों केरल की वायनाड सीट से राहुल गाँधी ने नामांकन दाखिल किया। इस समय कांग्रेस ने अपना झंडा तक नहीं फहराया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस को इस बात का डर था कि अगर कांग्रेस झंडा फहराती है तो उसके साथी दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का झंडा भी लहराना होगा। कांग्रेस को इस बात का डर था कि अगर मुस्लिम लीग ने भी झंडा फहराया तो बीजेपी उस पर अटैक कर सकती है।

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बीजेपी तो पहले से ही कहती रही है कि कांग्रेस पाकिस्तानी अजेंडे को चला रही है। यहाँ तक कि अभी हाल में ही कांग्रेस ने जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया बीजेपी से लेकर पीएम मोदी तक ने कहा कि इस घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप है। यही वजह है कि राहुल गाँधी के नामांकन के समय भी कोई झंडा नहीं फहराया गया।

अब कांग्रेस के इस फैसले का सीपीएम ने आलोचना की है। सीपीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अभी जो कुछ भी किया है उससे मुसलमान अपमानित हुए हैं। आरोप चाहे जो भी हों लेकिन अब साफ़ हो गया है कि कांग्रेस भी ध्रुवीकरण की राजनीति से पीछे नहीं है।

टिकट बंटवारे में भी ऐसा ही सबकुछ दिख रहा है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों में इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या काफी कम हो गई है। केवल ममता बनर्जी इसके अपवाद हैं। ममता ने कुल 42 उम्मीदवारों में से 6 मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारे हैं। हालांकि बंगाल में जितनी मुस्लिम आबादी है उसके हिसाब से 6 सीटें भी बहुत कम है लेकिन फिर बंगाल में मुस्लिम उम्मीदवारों को जगह दी गई है।

बिहार में राजद की राजनीति आज भी मुस्लिम के सपोर्ट पर ही टिकी है लेकिन इस बार राजद ने भी सिर्फ दो मुसलमानो को मैदान में उतारा है। राजद 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन मुसलमानो को केवल दो सीट दी गई है। राजद का वोट बैंक ही यादव मुस्लिम पर टिका है। राजद की जीत भी इसी समीरकरण के तहत होती है। लेकिन इस बार राजद ने जो किया है वह सब धार्मिक खेल के चलते ही किया है।

बता दें कि बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 18 फीसदी है। पिछले चुनाव में राजद ने पांच उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन सच यही भी है कि धार्मिक ध्रुवीकरण का इतना बड़ा खेल नहीं था। इस बार बिहार में कांग्रेस ने भी केवल 2 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारे हैं। बिहार में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कटिहार से तारिक अनवर मैदान में हैं जबकि किशनगंज से जावेद को उम्मीदवार बनाया गया है।

इसी तरह झारखंड में भी मुसलमानो को कोई टिकट अभी तक नहीं दिया गया है। यह हाल कांग्रेस और राजद दोनों का है। यूपी में भी सपा ने मुरादाबाद की सीट पर रूचि वीरा को मैदान में उतारा है। अभी यहाँ के मौजूदा सांसद एसटी हसन हैं।

लेकिन इनका टिकट काट दिया गया है। झारखंड के गोड्डा से फुरकान अंसारी राजनीति करते रहे हैं। लेकिन इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला है। और यह सब इसलिए हो रहा है ताकि किसी भी पार्टी पर यह इल्जाम नहीं लगे कि वह मुस्लिम परास्त है। ऐसे में साफ़ है कि हर पार्टी धार्मिक खेल को बढ़ा भी रही है और उससे बच भी रही है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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