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वृद्धाश्रम में अपनों के इंतजार में बैठे बूढ़े मां बाप…!

Diwali Special:लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है, जो कभी खफा नहीं होती।मुनव्वर राणा की ये पंक्तिया बिल्कुल सटीक बैठती हैं। जिन मां बाप ने अपने बच्चे को चलना सिखाया, दौड़ना सिखाया…दुनिया के बारे में पढ़ाया।आज वो बच्चे इतने बड़े हो गए हैं, कि उन्होंने अपने मां बाप को ही छोड़ दिया। वो मां जिसने अपने पेट में नहीं खाया, वो पिता जिसने अपनी चप्पलों में कांटे होते हुए भी अपने बेटे को जूते पहनाए। ना कोई स्वार्थ था, ना कोई लालच था, बस एक सपना था कि जब हम बूढ़े होंगे तो यही बच्चे हमारा सहारा बनेंगे। लेकिन साहब आज ये बच्चे इतने बड़े हो गए हैं। कि इन्होंने अपने मां बाप को ही छोड़ दिया है। ये वो मां बाप हैं, जिनकी ओलादैं तो हैं, लेकिन वो उनके अपने नहीं है। बेटा है मगर पूछता नहीं, बेटी है मगर देखती नहीं। बच्चों के घर बस गए हैं, लेकिन मां बाप बेघर हो गए हैं। आज पूरे देश में दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। हर घर में खुशी है, हर घर में उल्लास है… हर घर में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। लेकिन इन मां बापों का क्या जो वृद्धाश्रम में हैं।

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हिंदुस्तान में दिवाली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, छोटे-छोटे बच्चे अपने मां बाप का आर्शीवाद लेते हैं। भगवान श्री राम औऱ माता सीता की पूजा करते हैं, मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं और कामना करते हैं कि हमारे घर में सब कुछ ठीक रहे। लेकिन जरा आप सोचिए कि जो बच्चे अपने मां बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, उन पर भगवान भी कैसे कृपा करेंगे। आखिर उन मां बाप का क्या कसूर था कि इनको छोड़ दिया गया।

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वैसे तो आज कल वृद्धाश्रम में सारी सुविधाएं होती हैं, बेड होता है, अच्छा खाना होता है, पंखा होता है…कपड़े मिलते हैं, खाना अच्छा मिलता है…हर वो चीज होती है जिसे पैसों से खरीदा जा सके। हर वो वस्तु होती है जिसका कोई ना कोई मूल्य होता है, लेकिन नहीं होता तो सिर्फ अपने औऱ अपनों का प्यार। वृद्धाश्रम में ये बूढ़े हाथ अपनों का इंतजार करते हुए नजर आते हैं। अपनों बच्चों की आस लगाए दिवाली मनाते हैं। आंखों में आंसू होते हैं, चेहरे पर अपनों से बिछड़ने का दुख होता है। तो वहीं दूसरी ओर इन बूढ़े मां बाप के बच्चे दिवाली मना रहे होते हैं। ये अपने मां बाप को एक बार भी याद नहीं करते हैं। ये अपनी मां से एक बार मिलना भी जरूरी नहीं समझते हैं। ये नहीं समझते कि जिस बाप ने सारी जरूरतें पूरी की थी, आज वो बाप अपने बच्चों के आने का इंतजार करते हैं।

बूढ़े मां बापों का आज कोई सहारा नहीं है, जो हैं वो सिर्फ ये वृद्धाश्रम ही है। जहां पर ये बूढ़े मां बाप अपनों के आने का इंतजार करते रहते हैं। होली दिवाली हर वो त्योहार जिसे ये अपनों के साथ मनाना चाहते हैं, लेकिन मना नहीं पाते। क्योंकि घर में बहू है, जिसे बूढ़े सास ससुर पसंद नहीं है।

बड़े खुशनसीब हैं वो जिन के सिर पर मां का साया है, बड़े बदनसीब हैं वो जिन्होंने अपनी मां को ठुकराया है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ के एक वचन की खातिर अयोध्या जैसे राज सिंघासन छोड़ दिया था। कैकई के लिए वन चले गए थे। उन्हीं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आने की खुशी में हम दिवाली मनाते हैं। खुशी में मनाते हैं, लेकिन क्या हम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तरह अपने मां बाप का ख्याल रख पाते हैं।सोचने वाली बात है सोचिएगा जरूर। अपने मां बाप का ख्याल रखें औऱ न्यूज वॉच इंडिया की टीम की तरफ से आप सभी को शुभ दिवाली।

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