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OSHO Rajneesh Birth Anniversary: एक ऐसा भारतीय दार्शनिक जिससे अमेरिका डरता था, जिस पर 21 देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था

एक ऐसा दार्शनिक जिसने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया. जिसने 20वीं सदी के अंत में पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था. एक ऐसा दार्शनिक जिससे विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका डर गया. एक ऐसा भारतीय संयासी जिस पर 21 देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था. पूरी दुनिया भ्रमण करने की उनकी ख्वाहिश थी.

नई दिल्ली: 11 दिसंबर 1931 को हमारी सरज़मीं पर एक ऐसे महापुरूष (OSHO Rajneesh Birth Anniversary) का जन्म हुआ. जिनके पीछे पूरी दुनिया पागल हो गई थी. एक ऐसा दार्शनिक जिसने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया. जिसने 20वीं सदी के अंत में पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था. एक ऐसा दार्शनिक जिससे विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका डर गया. एक ऐसा भारतीय संयासी जिस पर 21 देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था. पूरी दुनिया भ्रमण करने की उनकी ख्वाहिश थी. लेकिन अमेरिकी दबाव के कारण उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका.

आचार्य रजनीश का नाम ओशो भी था

नाम था उनका आचार्य रजनीश प्यार से उनके भक्त ओशो कहकर बुलाते थे. उनका जन्म मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में हुआ था. उनके बचपन का नाम चंद्रमोहन जैन था. जब वो छोटे थे तभी से उनकी रूचि दर्शन में थी. जबलपुर में पढ़ाई पूरी करने के बाद वो एक यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर काम करने लगे. इसके बाद उन्होंने सभी धर्मों और विचारधाराओं पर देशभर में प्रवचन देना शुरू कर दिया.

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अमेरिकी सरकार ने देश छोड़ने का सुनाया फरमान

फिर वो अमेरिका चले गए जहां उनके शिष्यों ने 65 एकड़ में रजनीशपुरम नामक एक शहर बसाया. उनका अमेरिका प्रवास बेहद विवादास्पद रहा. महंगी घड़ियां, रोल्स रॉयस कारें और डिजाइनर कपड़ों के कारण वे हमेशा चर्चा में बने रहते थे. ओशो के विचारों और बढ़ते अनुयाइयों के कारण अमरिकी सरकार डर गई और अप्रवास नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाकर उन्हें हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद अमेरिकी सरकार ने देश छोड़ने का फरमान सुना दिया. ओशो को अमेरिका छोड़ना पड़ा 14 नवंबर 1985 को वो भारत पहुंचे. अमेरिका के दबाव में ब्रिटेन और कनाडा समेत 21 देशों ने ओशों पर प्रतिबंध लगा दिया.

तथाकथित धर्मों के खिलाफ थे ओशो

ओशो सभी भारतीय संतों से अलग थे. वे न तो कोई धार्मिक कर्मकांड करवाते थे. और न, ही पूजा पाठ करते थे. वो धर्मों में फैली कुरीतियों की काफी आलोचना करते थे. उनका कहना था कि मैं सभी तथाकथित धर्मों के खिलाफ हूं, क्योंकि वे धर्म हैं ही नहीं. सच्चा धर्म विज्ञान की तरह एक ही होता है. धर्मों ने पूरी दुनिया को पाग़लखाना बना रखा है. ओशो के प्रवचन बिल्कुल अलग होते थे. वो प्यार-मोहब्बत पर खुलकर बोलते थे. उनके विचारों का एक संकलन संभोग से समाधि की ओर आज भी विवादित माना जाता है.

ओशो के आश्रम में किसी सन्यासी की मौत पर उत्सव मनाने का रिवाज़ था. उनका निधन 19 जनवरी 1990 को हुआ था. उनके निधन पर भी उत्सव मनाया गया था. आज भी उनकी समाधि पर लिखी हुई है. ओशो न कभी जन्मे, न कभी मरे. वे 1931 से 1990 के बीच धरती पर आए थे.

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Neetu Pandey

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