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सफल हुआ PM मोदी का अमरीका दौरा, मून-मार्स मिशन पर साथ काम करेंगे NASA-ISRO

PM Modi US Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा कई लिहाज से भारत के लिए बहुत ही सफल बताई जा रही है। इस यात्रा के दौरान होने वाले समझौते भारत के लिए काफी निर्णायक साबित हो सकते हैं। हाल ही में भारत-अमरीका (NASA-ISRO) के बीच एक समझौता हुआ है जो कई लिहाज से भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है। आज के इस आर्टिकल में आपको इस समझौते से जुड़ी पूरी जानकारी मिलेगी

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व्हाइट हाउस से मिली जानकारी के मुताबिक मोदी-बाइडेन के बीच हुई वार्ता के बाद ये समझौता इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारत जल्द ही अमेरिका के अर्टेमिस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर कर सकता है। ताकि भारत अमेरिका के साथ मिलकर भविष्य में स्पेस स्टेशन पर मिशन कर सकें और इस मिशन के तहत भारतीयों को स्पेस स्टेशन पर भेजा जा सके। साथ ही सिविल स्पेस एक्प्लोरेशन को भी पूरा किया जा सके।

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व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत जल्द ही अर्टेमिस एकॉर्ड (Artemis Accords) पर हस्ताक्षर करने वाला है। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ ही अमेरिका-भारत दोनों मिलकर अंतरिक्ष की दुनिया में एक साथ आगे की और कदम बढ़ाएंगे।

आउटर स्पेस ट्रीटी 1967 की संधि के तहत इससे पहले अमेरिका में समझौते तो होते थे। अब अर्टेमिस एकॉर्ड्स 21वीं सदी के कुछ नियम और कायदे होते हैं। जिसके तहत समझौता करने से एक्सपेरिमेंट करने की और आइडिया शेयर करने की पूरी आजादी भी मिलती है। अब इसके तहत भारत-अमेरिका अगले साल स्पेस स्टेशन के लिए ज्वाइंट मिशन भेजेंगे।

क्या है अर्टेमिस एकॉर्ड (What is Artemis Accords)

what is Artemis Accords

आपको बता दें कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA (NASA-ISRO) के अर्टेमिस प्रोग्राम का एक हिस्सा है आर्टेमिस एकॉर्ड। इस प्रोग्राम के तहत नासा चंद्रमा पर पहली महिला को उतारेगा। चंद्रमा की सतह को और ज्यादा जानना ही इस प्रोग्राम का मकसद है। इस इंटरनेशनल सहयोग से नासा चांद पर स्थाई तौर पर मौजूद होगा। यहीं से मंगल ग्रह पर पहले मानव मिशन की तैयारी की जाएगी।

साल 2025 में अमेरिका अर्टेमिस मिशन के तहत इंसानों को चंद्रमा पर ले जाना चाहता है। इसके साथ ही मंगल और अन्य ग्रहों की खोज भी होने वाली है। ऐसे में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का योगदान इस मिशन में अहम हो जाता है। व्हाइट हाउस के अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक नासा और इसरो (NASA-ISRO) मिलकर एक स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क फॉर ह्यूमन स्पेसफ्लाइट कॉपरेशन तैयार कर रहे हैं।

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साल 2025 में भारत-अमरीका के ज्वाइंट स्पेस मिशन में अमेरिका की मदद से भारतीय एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएंगे। ये स्पेस स्टेशन का मिशन (NASA-ISRO) अगले साल यानी 2024 में होने की संभावना है।

इसके अतिरिक्त अधिकारी ने ये भी बताया कि अमेरिकी सेमी-कंडक्टर कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ समझौते कर रही हैं। ताकि एक सेमी-कंडक्टर इकोसिस्टम तैयार किया जा सके।

Semiconductor Industry में भी होगा निवेश

Semiconductor Industry

माइक्रोन टेक्नोलॉजी भारत के नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 800 मिलियन डॉलर्स निवेश करेगी। इसके तहत 2.75 बिलियन डॉलर्स का सेमी-कंडक्टर एसेंबली और टेस्ट फैसिलिटी भारतीय सरकार भारत के अंदर ही बनाएगी। अमेरिका 60 हजार भारतीय इंजीनियरों को सेमी-कंडक्टर इंडस्ट्री से जुड़ी ट्रेनिंग भी देगा। इतना ही नहीं अमेरिका दुर्लभ खनिजों और खनिजों की सुरक्षा संबंधी नीतियों पर भी भारत को सहयोग देगा ताकि भारत-अमेरिका के बीच दुर्लभ खनिजों को लेकर मजबूत रिश्ता बना रहे।

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